नेपाल और चीन की निकटता भारत के लिए कितना नुकसानदायक है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

चीन और नेपाल ने व्यापार, सड़क संपर्क और सूचना प्रौद्योगिकी सहित कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिये 12 समझौतों पर हस्ताक्षर किये।

नेपाल और चीन के बीच हस्ताक्षरित समझौते:

  • समझौतों में निम्नलिखित के लिये समझौता ज्ञापन शामिल हैं:
    • नेपाल के राष्ट्रीय योजना आयोग और चीन के राष्ट्रीय विकास एवं सुधार आयोग के बीच सहयोग।
    • डिजिटल अर्थव्यवस्था निगम को बढ़ावा।
    • हरित और निम्न-कार्बन विकास पर सहयोग।
    • कृषि, पशुधन और मत्स्य पालन के क्षेत्र में सहयोग।
    • विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार और मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में सहयोग।
    • नेपाल-चीन व्यापार और भुगतान समझौते की समीक्षा के लिये तंत्र।
  • नेपाल से चीन तक चीनी चिकित्सा के लिये पौधों से प्राप्त औषधीय सामग्रियों के निर्यात के लिये फाइटोसैनिटरी आवश्यकताओं के एक प्रोटोकॉल पर भी हस्ताक्षर किये गए।
  • नेपाल ने चीन की वैश्विक सुरक्षा पहल (GSI) में शामिल होने के चीन के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया, इस बात का समर्थन करते हुए कि भारत, चीन और अमेरिका के बीच रणनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिये संयुक्त सुरक्षा नेपाल के हित में नहीं है।

चीन-नेपाल संबंध की पूर्व स्थिति:

  • भू-राजनीतिक संबंध:
    • नेपाल अपनी विदेश नीति की रणनीति के हिस्से के रूप में अपने दो पड़ोसियों, भारत और चीन के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है।
    • हाल के वर्षों में नेपाल में चीन का प्रभाव काफी बढ़ गया है, सितंबर 2015 से भारत द्वारा नेपाल की लगभग छह महीने की आर्थिक नाकेबंदी ने चीन को देश में तेज़ी से प्रवेश करने का मौका दिया।
      • चीन ने नेपाल की राजनीति में आक्रामक हस्तक्षेप करने के साथ ही दो कम्युनिस्ट पार्टियों- माओवादी सेंटर तथा यूनिफाइड मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट को एक साथ लाने में भूमिका निभाई।
      • नेपाल में कम्युनिस्ट आंदोलन के साथ चीन के ऐतिहासिक संबंध हैं, विशेष रूप से नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) के साथ, जो नेपाली राज्य के खिलाफ एक दशक लंबे सशस्त्र विद्रोह में शामिल थी। इस अवधि के दौरान माओवादी आंदोलन को चीन से वैचारिक, तार्किक और यहाँ तक ​​कि सैन्य समर्थन भी प्राप्त हुआ।
  • आर्थिक सहयोग:
    • व्यापार, निवेश और बुनियादी ढाँचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए चीन एवं नेपाल के बीच आर्थिक सहयोग में तेज़ी देखी गई है।
    • क्रॉस-हिमालयन रेलवे, बंदरगाह और पनबिजली संयंत्र जैसी प्रमुख परियोजनाएँ कनेक्टिविटी बढ़ाने के साथ ही नेपाल की आर्थिक वृद्धि में योगदान दे रही हैं।
      • नेपाल ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में रुचि व्यक्त की है, जिसका लक्ष्य बुनियादी ढाँचे की कनेक्टिविटी और व्यापार सुविधा में सुधार करना है।
  • सुरक्षा एवं रक्षा सहयोग:
    • चीन और नेपाल संयुक्त सैन्य अभ्यास करते हैं और क्षमता निर्माण एवं सैन्य प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करते हुए रक्षा सहयोग बढ़ा रहे हैं।
    • चीन ने अपने रक्षा संबंधों को और मज़बूत करते हुए नेपाल को सैन्य सहायता प्रदान की है।
  • चीन और नेपाल के बीच मुद्दा:
    • अपने नए मानचित्र में चीन ने नेपाल के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में भूमि के एक हिस्से की पहचान करने से इनकार कर दिया, यह एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर नेपाल ने दावा किया था और वर्ष 2020 में अपने मानचित्र में इसे चित्रित किया था।

नेपाल में चीन की बढ़ती उपस्थिति का भारत पर प्रभाव: 

 

  • सुरक्षा चिंताएँ:
    • नेपाल में चीन का बढ़ता प्रभाव संभावित रूप से भारत के लिये रणनीतिक घेराबंदी का कारण बन सकता है, क्योंकि यह उस देश में अपनी उपस्थिति मज़बूत करता है जो भारत के साथ लंबी सीमा साझा करता है।
    • इससे भारत के लिये सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ गई हैं।
  • संसाधनों तक पहुँच:
    • नेपाल में चीन की बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ और आर्थिक जुड़ाव भारतीय निवेश तथा  आर्थिक हितों के साथ प्रतिस्पर्द्धा का कारण बन सकते हैं, जिससे क्षेत्र में संसाधनों और बाज़ारों तक भारत की पहुँच प्रभावित हो सकती है।
  • बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) और कनेक्टिविटी:
    • चीन की BRI पहल में नेपाल की भागीदारी से चीन समर्थित बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं और कनेक्टिविटी में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है, जिससे व्यापार के लिये चीन पर नेपाल की निर्भरता बढ़ेगी परिणामस्वरूप भारत के हितों को हानि होगी।
  • क्षेत्रीय समन्वय को लेकर चुनौतियाँ:
    • चीन के साथ नेपाल के घनिष्ठ संबंध दक्षिण एशिया में चीन को रणनीतिक मज़बूती प्रदान करते हैं, जिससे संभावित रूप से चीन को अपनी सीमाओं से परे शक्ति और प्रभाव दिखाने की अनुमति मिलती है।
    • नेपाल में चीन की मज़बूत भागीदारी से भारत के लिये क्षेत्रीय प्रतिक्रियाओं और पहलों को प्रभावी ढंग से समन्वित करना अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

भारत के लिये नेपाल का महत्त्व:

  • नेपाल का सामरिक महत्त्व:
    • नेपाल की सीमा 5 भारतीय राज्यों- उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और बिहार से लगती है। इसलिये नेपाल साझे सांस्कृतिक एवं आर्थिक आदान-प्रदान का एक प्रमुख बिंदु है।
    • नेपाल, भारत की ‘हिमालयी सीमाओं’ के मध्य में स्थित है, और भूटान के साथ यह उत्तरी ‘सीमावर्ती’ पार्श्व-भाग के रूप में कार्य करता है। साथ ही यह चीन द्वारा किसी भी संभावित आक्रमण के खिलाफ बफर राज्य के रूप में कार्य करता है।
  • रक्षा सहयोग:
    • भारत उपकरण आपूर्ति और प्रशिक्षण प्रदान करने के सस्थ ही नेपाल सेना को उसके आधुनिकीकरण में सहायता करता है।
    • ‘भारत-नेपाल बटालियन-स्तरीय संयुक्त सैन्य अभ्यास सूर्य किरण’ का आयोजन भारत और नेपाल द्वारा बारी-बारी से किया जाता है।
      • इसके अतिरिक्त वर्तमान में नेपाल के लगभग 32,000 गोरखा सैनिक भारतीय सेना में सेवारत हैं।
  • आर्थिक सहयोग:
    • भारत, नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। नेपाल, भारत का 11वाँ सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य भी है।
    • कुल स्वीकृत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 30% से अधिक का योगदान के साथ भारतीय कंपनियाँ नेपाल में सबसे बड़े निवेशकों में से हैं।
  • 1950 की शांति और मित्रता की संधि:
    • यह संधि दोनों देशों के बीच निवास, संपत्ति, व्यापार और आवाजाही के संदर्भ में भारतीय तथा नेपाली नागरिकों के साथ पारस्परिक व्यवहार को बढ़ावा देती है।
  • विद्युत क्षेत्र में सहयोग:
    • जून 2023 में भारत और नेपाल ने एक दीर्घकालिक विद्युत व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसमें आने वाले वर्षों में नेपाल से 10,000 मेगावाट विद्युत के आयात का लक्ष्य रखा गया।
    • फुकोट कर्णाली जलविद्युत परियोजना और लोअर अरुण जलविद्युत परियोजना के विकास के लिये भारत के नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (NHPC) तथा नेपाल के विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।

आगे की राह

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