भाषा मात्र सम्प्रेषण ना ह , भाषा इतिहास ह वर्तमान ह भविष्य ह ।

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

ग्रियर्सन के सबसे शुरुवाती आ बेहतर काम रहे भोजपुरी के । अइसन नइखे कि भोजपुरी प काम करे वाला पहिला व्यक्ति रहले ग्रियर्सन , काहें कि भोजपुरी व्याकरण प पहिला काम 11वी-12 शताब्दी में तनी मनी भइल रहे । असल में संस्कृत व्याकरण प काशी में काम होत रहे ओहि में भोजपुरी के व्याकरण के चर्चा भइल बा स्थानीय भाषा के नाव प । भोजपुरी शब्द लिखे के प्रमाण 17वी -18वी शताब्दी मिलेला आ भोजपुरी प शुरुवाती काम करे वाला लोग अंग्रेज अधिकारी रहे जवना में बीम्स , हार्न्ले , ग्रियर्सन, आर्चर आदि लोग मिलेला । जदि एह में ग्रियर्सन के छोड़ दिहल जाउ त बाकी लोगन के भाषा काम शौखिया रहे भा बहुत सिमीत क्षेत्र के रहे ।

हम ग्रियर्सन के बात एह से करत बानी काहें कि ग्रियर्सन के विरोध में डॉ. उदय नारायण तिवारी के भोजपुरी प काम करे के चेष्टा शुरु भइल रहे । आ ओहि क्रम में उदय जी आज से 70-80 साल पहिले भोजपुरी के मय इलाका सीमावर्ती जिला आ गांवन में जा के प्रायोगिक तौर प भाषा के बोले के नमूना लेहले आ फेरु भोजपुरी भाषा के इतिहास आ व्याकरण के लिखले ।

एगो सवाल अक्सर लोग उठावेला कि भाषा आ बोली का ह ?

असल में भाषा शब्द संस्कृत के भाष्‌ शब्द से बनल बा जबकि बोली शब्द प्राकृत के बोल्ल्‌इ शब्द से बनल बा । यानि कि अंग्रेजी में Mother Tongue हिंदी के मातृभाषा हो जाला । लिपि जवन लिखे के तरिका ह , यानि कि जवन रउवा बोलत बानी उ भाषा ह रउवा अंग्रेजी हिंदी बंगाली भोजपुरी अरबी उर्दू मय के बोल सकेनी , बाकिर एकनी के लिखे खातिर रउवा कैथी, रोमन, देवनागरी, ब्राम्ही , तिरहुता, नस्तालिक आदि लिपि के प्रयोग करे के परी । रउवा बोले खातिर लिपि के जरुरत ना परेला ।

एकर माने का भइल कि रउवा विश्व के कवनो भाषा के लिख सकेनी आ ओह के बोल सकेनी । एह बात के अउरी बुझे के जरुरत बा त ध्यान दिहीं कि अंग्रेजी में काहें Mother Tongue होला बाकिर Mother Language काहें ना होला ? ( पिछला कुछ समय से Mother Language कहाए लागल बा)

काहें बेटा-बेटी जनमते बोलेला । बोल्ल्‌इ । ध्यान इहो देबे के जरुरत बा कि हिंदी में कवनो मातृबोली लेखा शब्द नइखे , बस कुछ हिंदी के साहित्यकार लोग Mother Tongue के सोझ माने मातृबोली बना देले बा बाकिर मूल प्रायोजन मातृभाषा से बा ।

संगे संगे इहो बात ध्यान राखे के जरुरत बा कि , मातृलिपि लेखा कवनो शब्द हिंदी में नइखे आ ना Mother Script जइसन शब्द अंग्रेजी में बा । एह के माने इ भइल कि स्क्रिप्ट जवना के हमनी के लिपि कहेनी जा उ भौगोलिक आधार प ना हो के ओह क्षेत्र के बुद्धिजीवी लोगन के एगो भाषा के लिखे खातिर Developed तरिका ह । कैथी एगो नीमन उदाहरण बिआ जवना के एगो वर्ग यानि कि कायस्थ ( लाला/श्रीवास्तव /सिन्हा /गुप्ता ) लोग अपना हिसाब किताब जोड़-घटाव खातिर विकसीत कइल लो जवन लिपि के रुप ले लेहलस । भारत के अधिकतर लिपि के विकास ब्राम्ही लिपि से भइल बा भा प्रभावित बाड़ी स ।

शुरुवात में जवन अंग्रेजी में लिखल बा उ डॉ उदय नारायण तिवारी जी के भोजपुरी भाषा के विश्व पटल प ले जाए के प्रयास के देखावल गइल बा । तिवारी जी अंग्रेजी आ हिंदी में भोजपुरी के किताब लिखले बानी । इहें के प्रयास से भोजपुरी के पहिला कहानी संग्रह ‘ जेहल के सनदि ‘ आइल रहे आ इहें के प्रयास से भोजपुरी के अदभुत आ संभवतः पहिला महाकाव्य ‘ बौद्धायन ‘ सिरजित भइल रहे ।

राहुल सांकृत्यायन , बाबा नागार्जुन , अवध बिहारी सुमन ‘ दण्डीस्वामी’ आ उदय नारायण तिवारी , एह चारो लोगन के चौकड़ी इलाहाबाद में खुब जमत रहे । तीन गो भोजपुरिया आ एगो मैथिल । असल में तिवारिये जी के संगत ह कि भोजपुरी में गद्य के कमी के देखत जेहल के सनदि आइल आ एह से पहिले राहुल सांकृत्यायन जी के 5 नाटक आ फेरु 3 नाटक , कुल्ह 8 गो नाटक आइल । तिवारी जी के उसुकावला के बादे , अवधबिहारी सुमन जी , दण्डीस्वामी बनला के बाद ‘ बौद्धायन’ महाकाव्य के सिरजना कइनी ।

इतिहास में बहुत कुछ बा , भाषा के निर्माण अंगुरी प गिन के नइखे भइल सदियन सदियन से फेंड़ खुंट जीउ जनावर के अजब गजब आवाज से बुनियाद धराइल बा शब्दन के । भाषा के बोले के इतिहास 70 हजार साल के बा , बाकिर भाषा के लिखे के इतिहास मात्र 4 हजार साल के बा । भाषा मात्र सम्प्रेषण ना ह , भाषा इतिहास ह वर्तमान ह भविष्य ह ।

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