पितृपक्ष में मोक्षदायिनी सरयूनदी के दरौली का पंच मंदिरा घाट बना, गया का फाल्गु नदी
पितृपक्ष मे तर्पण करने के लिए उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़
* धार्मिक एवं पारंपरिक मान्यताओं के तहत लोग अपने पितरों के शांति व मोक्ष प्राप्ति हेतु पितृ पक्ष में करते हैं पिंडदान व तर्पण
-पंद्रह दिनों तक चलेगा पितृ पिंडदान व तर्पण
श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):
सीवान के दक्षिणांचल मे प्रवाहित हो रहीं मोक्षदायिनी सरयूनदी तट गया के फाल्गु नदी बन गया है। पितृपक्ष में पिंडदानी श्रद्धालु पहुंच अपने पितरों को जलातर्पण व पिंडदान कर रहे हैं। यह पिंडदान व तर्पण अमवस्या तक चलेगा।
दरौली के सरयु नदी क पंच मंदिर घाट पर रविवार को पिंडदानी स्नान कर अपने पितरों को जलातर्पण व पिंडदान किया। पारंपरिक मान्यताओं को अनुसार पितृपक्ष मे पिंडदानी श्रद्धालुओं के द्वारा सरयु नदी में स्नान कर अपने पितरों को पितृ पक्ष के प्रतिदिन जलातर्पण किया जाता है ।
ऐसी मान्यता हैं कि पितृपक्ष में पितर पृथ्वी पर अपनी वंशजों से पिंडदान व जल तर्पण प्राप्ति हेतु आते है । वही परिजनों के तरफ से उन्हें तर्पण और पिंडदान कर तृप्त किया जाता है । अपने परिजनों से पितर तृप्त होकर संभवत मोक्ष को प्राप्त कर लेते हैं ।
वही पंडित बजरंगी तिवारी ने बताया की पितृपक्ष के दौरान पितरों की पूजा और पिंडदान का बहुत महत्व है । उन्होंने बताया कि हिंदू धर्म के मान्यता के अनुसार पिंडदान करने से पुत्र को पितृऋण से मुक्ति मिलती है। साथ ही मनुष्य की आयु मैं वृद्धि होने के साथ-साथ परिवार के ऊपर छाए हुए पितृ दोष से संबंधित सर्व बाधाओं का हरण होता है। पितरगण मनुष्य को पुत्र प्रदान कर वंश का विस्तार करते हैं । साथ ही परिवार में धन धान्य में वृद्धि होती है।
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