क्या बिहार में जाति आधारित गणना से विकास में मदद होगा?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
सरकार के पास जनसंख्या संबंधी विस्तृत आंकड़े होंगे तो विकास योजनाएं बनाने में आसानी होगी लेकिन जब जाति जनगणना के आंकड़े जल्द ही होने वाली राष्ट्रीय स्तर पर जनगणना से भी हासिल किये जा सकते हैं तो राज्यों को अपनी मशीनरी का इस्तेमाल जाति आधारित राजनीति के लिए करने से बचना चाहिए। CM ने जाति आधारित गणना करवा कर चर्चा को दूसरी ओर मोड़ने का प्रयास किया है।
बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने राज्य में जाति आधारित गणना का आदेश पिछले साल तब दिया था, जब केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह आम जनगणना के हिस्से के रूप में एससी और एसटी के अलावा अन्य जातियों की गिनती नहीं कर पाएगी। देखा जाये तो मोदी सरकार का यह कहना पूर्णतया तर्कसंगत था कि जनगणना करते समय अन्य पिछड़ी जातियों की गणना नहीं की जाएगी। जहां तक पिछड़ों की गणना का सवाल है, पहली बात तो यह है कि अक्सर हर जाति के लोग अपने आप को पिछड़ा बताने के लिए तैयार हो जाते हैं, क्योंकि नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिलेगा। उसका नतीजा यह होता है कि किसी प्रदेश के एक जिले में जो जाति सवर्ण है, वही दूसरे प्रदेश के अन्य जिले में पिछड़ी है।
दावा किया जा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव परिणाम पर इसका व्यापक असर पड़ सकता है। जो लोग नीतीश कुमार सरकार के इस कदम को मास्टर स्ट्रोक बता रहे हैं उन्हें समझना होगा कि यह मास्टर स्ट्रोक तब होता जब बिहार को पिछड़ेपन से आजादी मिल जाती, मास्टर स्ट्रोक तब होता जब बिहार में स्कूलों की हालत सुधर जाती, मास्टर स्ट्रोक तब होता जब बिहार में अस्पतालों की हालत सुधर जाती, मास्टर स्ट्रोक तब होता जब बिहार में गुंडाराज और माफिया राज का खात्मा हो जाता,
मास्टर स्ट्रोक तब होता जब बिहार में पेपर लीक होना बंद हो जाता, मास्टर स्ट्रोक तब होता जब बिहार में भ्रष्टाचार समाप्त हो जाता, मास्टर स्ट्रोक तब होता जब बिहार में बेरोजगारी समाप्त हो जाती और पलायन रुक जाता, मास्टर स्ट्रोक तब होता जब बिहार में शराबबंदी के बावजूद जहरीली शराब पीने से होने वाली मौतें बंद हो जातीं, मास्टर स्ट्रोक तब होता जब बिहार में सड़कों की हालत सुधर जाती। मास्टर स्ट्रोक तब होता जब बिहार में उद्योग-धंधे लग जाते, मास्टर स्ट्रोक तब होता जब बिहार में नौकरी की मांग पर पुलिस लाठीचार्ज होना बंद हो जाता। मास्टर स्ट्रोक तब होता जब बिहार भी जीएसटी संग्रहण में कुछ योगदान कर पाता। इसलिए नीतीश कुमार का यह फैसला मास्टर स्ट्रोक नहीं बिहार को पीछे धकेलने का प्रयास है।