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 हनुमान जी के घर का पता मिल गया … - श्रीनारद मीडिया

 हनुमान जी के घर का पता मिल गया …

 हनुमान जी के घर का पता मिल गया …

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

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हनुमान जी सात चिरंजीवियों  मैं से एक है, और उनको कलयुग के अंत तक धरती पर ही रहने का वरदान मिला है, हनुमान जी आज भी हमारे साथ, हमारे बीच ही रहते है.  कई लोगो का ये  दावा  है की वो अपने भक्तों को  साक्षात  दर्शन भी देते है, अगर आप भी चाहे तो हनुमान जी के साक्षात् दर्शान पा सकते है.

रामायण के अंत मैं जब सीता मैय्या धरती में समां जाती है तब  कुछ समय बाद   श्री राम भी  अपना देह त्याग देते है और वैकुण्ठ धाम चले जाते है .  तब हनुमान जी उनकी याद मैं हर उस जगह जाते है  जहा श्री राम जी गए थे, उनकी याद मैं हनुमान जी एक बार श्रीलंका भी पहुंचे वहा उन्हें मातंग कबीले के लोग मिले जिनके साथ हनुमान जी  कई वर्षो तक रहे.

मातंग कबीले के लोगो ने हनुमान जी की निस्वार्थ सेवा की और काफी समय बीत जाने के बाद जब  हनुमान जी  वहां से जाने लगे तब कबीले के लोगो ने  हनुमान जी को जाने से रोका और ज़िद्द  पकड़ ली की आप यही हमारे साथ रहिये, हमारी पीढ़ियां कलयुग के अंत तक आपकी सेवा मैं अपना जीवन बिताएंगी  , आप चले गए तो हमारी पीढ़ी को दीक्षा और ज्ञान कौन देगा?

लेकिन हनुमान जी  ज़्यादा समय एक ही स्थान पर नहीं रुक सकते थे, तब हनुमान जी ने उस कबीले के वासियो की श्रद्धा और साफ मैमन्न  देखकर  कबीले के लोगो को  वरदान मैं एक  मंत्र दिया और कहा की जब भी इस मंत्र का साफ़ मन्न  से उच्चारण  करोगे तब मैं प्रकट हो जाऊंगा और जाते जाते हनुमान जी ने उनसे ये वादा भी किया की मैं हर 41 वर्षो बाद तुम्हारे कबीले मैं आकर तुम्हारी नई  पीढ़ी को जीवन का ज्ञान और दीक्षा दूंगा, इसके बाद हनुमान जी लुप्त हो गए.

मान्यता है की उसके बाद हनुमान जी दक्षिण भारत के गंधमार्दन पर्वत पर वास करने लगे, और आज भी वो वही रहते है।  हनुमान जी अपने वादे के अनुसार 41 साल मैं श्रीलंका के मातंग कबीले  मैं जाते है और वहाँ के लोगो को  जीवन  और मृत्यु का ज्ञान, मोक्ष की प्राप्ति पर  ज्ञान देते है, उस कबीले का सरदार हनुमान जी का दिया हुआ ज्ञान एक ‘हनु पुस्तिका ‘ में लिखा रहता  है

हैरानी की बात तो ये है की आज की सदी में  जहा बेहद कम आदिवासी रह गए है, ये एक ऐसा कबीला है जहा के लोग नजाने कौनसी भाषा बोलते है, ये जानवारो और पक्षियों से बात करते है, और बाहरी दुनिया से दूर ही रहते है. ना ही इन कबीले वालों को किसी चीज़ का लालच है, ना इनको बाहरी दुनिया और उनके लोगो  मैं किसी भी प्रकार की दिलचस्पी है।

लेकिन वैज्ञानिकों ने इनसे संपर्क करने और इनकी भाषा समझने की काफी सालों से बहुत कोशिश की, इनकी भाषा बिलकुल अलग होने की वजह से  ज़्यादा कुछ तो  पता नहीं लगा  पाए  लेकिन उनके कबीले की हनु पुस्तिका से ये ज़रूर पता चला की हनुमान जी आखिरी बार 2014 मैं उनसे मिलने आए थे, और अब वो 2055 मैं आएँगे।

जिस समय हनुमान जी वहां  मौजूद थे उस समय कुछ वैज्ञानिक भी वहा खोज बीन के लिए  गए हुए थे, उनका कहना है, की कबीले के लोगो ने कुछ मंत्र जप कर अपना शुद्धि करण  किया और अपने चारो ओर एक ऊर्जा पैदा कर दी, फिर थोड़े समय बाद वह किसी अदृश्य व्यक्ति से बात करने लगे, जो हमें नहीं दिख रहा था लेकिन कबीले के सभी लोगो को दिख रहा था, उसके बाद वैज्ञानिक वहां  से अचंभित होकर चले गए.

आज भी हनुमान जी हमारे ही बीच रहते है और जहा भी राम चरित मानस का पाठ होता है, हनुमान जी वही अदृश्य होकर पाठ मैं शामिल होते है , इसलिए कई जगह जहा भी लोग राम चरित मानस का पाठ करते है वहां  एक सीट हनुमान जी के लिए खली ज़रूर छोड़ देते है। अगर आपको हनुमान जी के साक्षात दर्शन करने है तो आपका मन्न साफ़ होना चाहिए।

,एक बार बोलिए जय श्री राम जय हनुमान

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