भारतीय सिनेमा के सिरमौर अमिताभ बच्चन 81 बरस के नहीं 18 वर्ष के युवा है, कैसे?
इंसान का दिल बड़ा होना चाहिए फिर कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
अमिताभ बच्चन 81 साल के हो गये. इस दौरान वह शिखर पर भी रहे और बुरा दौर भी झेला. लेकिन उनकी तीन बातें अब भी वही हैं- लोकप्रियता, अनुशासन और उत्साह. अमिताभ आज भी उतने ही उत्साही, ऊर्जावान और युवा हैं, जितना वह 35 की उम्र में थे. कई बार तो लगता है कि उम्र के साथ उनकी ऊर्जा भी बढ़ रही है.
1977 में वह अस्वस्थ होने के कारण बाबू जी हरिवंश राय बच्चन और मां तेजी जी के पास रहने आये थे. तब तक वह अपनी जंजीर, अभिमान, दीवार, शोले और कभी-कभी जैसी फिल्मों से सुपरस्टार बन चुके थे. उनकी रेखा के साथ पहली फिल्म ‘दो अंजाने’ कुछ दिन पहले ही प्रदर्शित हुई थी. फिर डॉन, त्रिशूल, नसीब, नमक हलाल, मुकद्दर का सिकंदर और शराबी जैसी फिल्में प्रदर्शित होती गयीं, और देखते-देखते वह फिल्मी दुनिया के महानायक और बिग बी बन गये. यहां तक कि 1984 में अपनी जन्मभूमि इलाहाबाद से लोकसभा सांसद भी.
लेकिन, इतनी सफलताओं के बावजूद उनकी जिंदगी में 1991 में एक ऐसा तूफान आया कि संकटों के चक्र में फंसकर वह दिवालिया हो गये. तब कुछ बरस वह काफी परेशान और निराश रहे. लेकिन, उनके अंदर यह आत्मविश्वास तब भी था कि बुरे दिन जल्दी गुजरेंगे. हुआ भी ऐसा ही, जब जुलाई 2000 में स्टार प्लस पर टीवी शो केबीसी आया, और इसके बाद से ही वह पहले से कहीं अधिक ऊर्जावान और युवा हो गये.
अमिताभ 1969 की पहली फिल्म ‘सात हिंदुस्तानी’ से अभी तक के अपने 54 बरस के करियर में 200 से ज्यादा फिल्में कर जिस शान से डटे हैं, वह बेमिसाल है. पिछले बरस ही उनकी पांच फिल्में- झुंड, रनवे-34, ब्रह्मास्त्र, गुडबाय और ऊंचाई प्रदर्शित हुईं. इस वर्ष भी उनकी ‘गणपथ’, ’उमेश क्रॉनिकल’ और ‘कल्कि 2898 एडी’ जैसी फिल्में आनी हैं. फिल्मों के साथ वह लगातार केबीसी भी कर रहे हैं. साथ ही विज्ञापनों और सामाजिक कार्यों में योगदान के मामले में भी अमिताभ ने सबको पीछे छोड़ दिया है.
बड़ी बात यह भी है कि इतना काम अमिताभ तब कर रहे हैं, जब उनका रोगों से भी गहरा नाता रहा है. सन 1982 का ‘कुली’ फिल्म का भयंकर हादसा हो या 1984 में मायस्थेनिया ग्रेविस का रोग. केबीसी-2 के दौरान 2006 की लिवर की बीमारी हो या 2021 में कोरोना संक्रमण. यह निश्चय ही अकल्पनीय है कि 80 की उम्र में अस्थमा सहित कुछ अन्य रोगों के कारण जब उनके लिवर का 75 प्रतिशत हिस्सा खराब हो, तब भी वह 18 घंटे काम करने की क्षमता रखते हैं.
साथ ही वह अनुशासन के इतने पक्के हैं, कि एक मिनट देरी से भी नहीं पहुंचते. ना बीमारी का बहाना, ना ट्रैफिक का. इतने वरिष्ठ होने के बावजूद वह आज भी निर्देशक के अभिनेता हैं. सही अर्थों में अमिताभ आज सभी के लिए प्रेरणा हैं, जिनसे अभिनय ही नहीं, सफलता का मंत्र भी सीखा जा सकता है.
भारतीय सिनेमा के 110 साल के इतिहास में कुछ और भी अभिनेताओं ने 80 की आयु के बाद फिल्मों में काम किया, जैसे अशोक कुमार, देव आनंद और अब धर्मेंद्र भी. अशोक कुमार ने 2001 में जब दुनिया से कूच किया, तो उनकी उम्र 90 बरस थी. वह अपनी 86 की उम्र तक काम करते रहे. देव आनंद अपने जीवन के अंतिम पड़ाव- 88 की उम्र तक काम करते रहे.
लेकिन, अपने अंतिम 20 बरसों में, गजब की ऊर्जा के बावजूद वह मात्र नौ फिल्मों में काम कर सके, जिनमें आठ उन्होंने खुद बनायी थीं, और जो नहीं चलीं. अब धर्मेंद्र 88 बरस के एक ऐसे सितारे हैं जो ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ जैसी फिल्मों में अब भी दिखे.
लेकिन, पिछले 12 बरसों में वह मुख्यतः अपनी होम प्रोडक्शन की ‘यमला पगला दीवाना’ की फिल्मों में ही नजर आये. दिलीप कुमार, शम्मी कपूर, शशि कपूर, राजेश खन्ना, विनोद खन्ना जैसे नायक भी 70 की उम्र के बाद अमिताभ-सा करिश्मा करने में असफल रहे. अमिताभ ने 70 से 80 की उम्र में 20 प्रमुख फिल्में कीं, जिनमें कई कामयाब रहीं.
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