भारत में गरीबी और भुखमरी की क्या स्थिति है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

वर्ल्डवाइड और वेल्थुंगरहिल्फ द्वारा संयुक्त रूप से जारी किये गए वैश्विक भुखमरी सूचकांक/ग्लोबल हंगर इंडेक्स, 2023 में भारत 125 देशों में से 111वें स्थान पर है, यह भारत में भुखमरी के गंभीर स्तर को दर्शाता है।

  • इस इंडेक्स में भारत के पडोसी देशों; पाकिस्तान (102वें)बांग्लादेश (81वें)नेपाल (69वें) और श्रीलंका (60वें) ने भारत से बेहतर स्थान हासिल किया।

वैश्विक भुखमरी सूचकांक:

  • परिचय: 
    • वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index- GHI) एक सहकर्मी-समीक्षा रिपोर्ट है, जिसे कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्थुंगरहिल्फे द्वारा वार्षिक आधार पर प्रकाशित किया जाता है।
    • GHI एक उपकरण है जिसे वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भूख को व्यापक रूप से मापने और ट्रैक करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जो समय के साथ भूख के कई आयामों को दर्शाता है।
      • GHI स्कोर की गणना भूख की गंभीरता को दर्शाते हुए 100-बिंदु पैमाने पर की जाती है- 0 सबसे अच्छा स्कोर है और 100 सबसे खराब स्कोर को दर्शाता है।

नोट: कंसर्न वर्ल्डवाइड एक अंतर्राष्ट्रीय  मानवतावादी संगठन है जो विश्व के सबसे गरीब देशों में गरीबी और पीड़ा से निपटने के लिये समर्पित है।

  • वेल्थुंगरहिल्फे जर्मनी में एक निजी सहायता संगठन है। इसकी स्थापना वर्ष 1962 में “फ्रीडम फ्रॉम हंगर कैंपेन ” के जर्मन खंड के रूप में की गई थी।
  • गणना: 
    • प्रत्येक देश के GHI स्कोर की गणना एक सूत्र के आधार पर की जाती है जो चार संकेतकों को जोड़ता है, जो भूख की बहुआयामी प्रकृति को रेखांकित करते हैं:
      • अल्पपोषण: जनसंख्या का वह हिस्सा जिसका कैलोरी सेवन अपर्याप्त है;
      • चाइल्ड स्टंटिंग: पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों से संबंधित आंकड़ों की हिस्सेदारी उनकी उम्र के अनुसार कम है, जो दीर्घकालिक कुपोषण को दर्शाता है;
      • चाइल्ड वेस्टिंग: पाँच वर्ष से कम उम्र के ऐसे बच्चों की हिस्सेदारी, जिनका वज़न उनकी लंबाई के अनुसार कम है, गंभीर कुपोषण को दर्शाता है;
      • शिशु मृत्यु दर: अपने पाँचवें जन्मदिन से पहले मरने वाले बच्चों की हिस्सेदारी, अपर्याप्त पोषण और अस्वास्थ्यकर वातावरण की गंभीर स्थिति दर्शाती है।
  • सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के साथ संरेखण:
    • अल्पपोषण की व्यापकता SDG 2.1 का एक संकेतक है, जो सभी के लिये सुरक्षित, पौष्टिक और पर्याप्त भोजन तक पहुँच सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
    • बच्चों का बौनापन और दुबलापन दर SDG 2.2 के संकेतक हैं, जिसका लक्ष्य सभी प्रकार के कुपोषण को समाप्त करना है।
    • शिशु मृत्यु को कम करना SDG 3.2 का लक्ष्य है।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स, 2023 के प्रमुख बिंदु: 

  • भारत का GHI स्कोर: 
    • स्कोर विश्लेषण: 
      • वर्ष 2023 में भारत का GHI स्कोर 28.7 है, जिसे GHI भुखमरी की गंभीरता के मापदंड के अनुसार “गंभीर” के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
        • यह भारत के वर्ष 2015 के GHI स्कोर 29.2 में सुधार को दर्शाता है।
      • इसके अतिरिक्त, वर्ष 2000 में 38.4 और वर्ष 2008 में 35.5 के चिंताजनक GHI स्कोर की तुलना में भारत ने महत्त्वपूर्ण प्रगति की है।
    • संबंधित डेटा और संदर्भ: 
      • बच्चों में बौनापन 35.5% प्रचलित है (भारत का राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) 2019-2021)
      • भारत में अल्पपोषण की व्यापकता 16.6% है (विश्व में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति रिपोर्ट 2023)
      • भारत में बच्चों में वेस्टिंग दर लगभग 18.7% (भारत का NFHS, 2019-21) है, जो रिपोर्ट में सभी देशों में सबसे अधिक है।
      • पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 3.1% है (बाल मृत्यु अनुमान के लिये संयुक्त राष्ट्र अंतर-एजेंसी समूह जनवरी 2023)
  • भुखमरी का वैश्विक रुझान: 
    • GHI 2023 रिपोर्ट के अनुसार, बेलारूस, बोस्निया और हर्जेगोविना, चिली, चीन शीर्ष रैंक वाले देशों हैं (यानी यहाँ भुखमरी का स्तर निम्न है ) और यमन, मेडागास्कर, मध्य अफ्रीकी गणराज्य सूचकांक में सबसे नीचे हैं।
    • समग्र विश्व के लिये GHI 2023 स्कोर 18.3 है, जिसे मध्यम (Moderate) माना जाता है, वर्ष 2015 के बाद से इसमें न्यूनतम सुधार हुआ है।
      • वर्ष 2017 के बाद से अल्पपोषण (Undernourishment)  की व्यापकता 572 मिलियन से बढ़कर लगभग 735 मिलियन हो गई है।
    • GHI ने स्थिरता के लिये जलवायु परिवर्तन, संघर्ष, आर्थिक आघात, कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध सहित विभिन्न संकटों को उत्तरदायी माना है।
      • इन संकटों ने सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को बढ़ा दिया है एवं विश्व भर में भुखमरी कम करने की प्रगति में बाधा उत्पन्न की है।

GHI रिपोर्ट 2023 पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया:

  • कार्यप्रणाली की आलोचना: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने रिपोर्ट की पद्धति के विषय में चिंता जताई है, जिसमें “गंभीर पद्धतिगत मुद्दे” और “दुर्भावनापूर्ण इरादे” पर प्रकाश डाला गया है।
    • सरकार के पोषण ट्रैकर के डेटा से पता चलता है कि बच्चों में वेस्टिंग की दर 7.2% से कम है, जो GHI के 18.7% के रिपोर्ट किये गए आँकड़ों के विपरीत है।
  • बाल स्वास्थ्य पर ध्यान: सरकार ने कहा कि चार GHI संकेतकों में से तीन बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित हैं और पूरी जनसंख्या का पूर्ण प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते हैं।
  •  न्यूनतम आबादी सर्वेक्षण: सरकार ने “कुपोषित जनसंख्या का अनुपात” संकेतक की सटीकता के विषय में संदेह व्यक्त किया, क्योंकि यह एक कम आबादी पर किये गये सर्वेक्षण पर आधारित है।
  • जटिल कारक: सरकार का तर्क है कि स्टंटिंग और वेस्टिंग जैसे संकेतक स्वच्छता, आनुवंशिकी, पर्यावरण और भोजन उपयोग सहित विभिन्न जटिल कारकों के परिणाम हैं तथा केवल भुखमरी के लिये ज़िम्मेदार नहीं हैं।
    • सरकार ने यह भी बताया कि शिशु मृत्यु दर केवल भुखमरी का परिणाम नहीं हो सकती है, यह दर्शाता है कि अन्य कारक भी इसमें भूमिका निभा रहे हैं।

भुखमरी से संबंधित अन्य शब्द:

शब्द परिभाषा
अल्पपोषण (Undernourishment)
  • संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन द्वारा दी गई परिभाषा के अनुसार, यह स्वस्थ जीवन को बनाए रखने के क्रम में अपर्याप्त कैलोरी सेवन को संदर्भित करता है।
  • यह उम्र, लिंग, कद और शारीरिक गतिविधि के संदर्भ में व्यक्तिगत आवश्यकताओं  पर आधारित है।
कुपोषण (Undernutrition)
  • इसमें कैलोरी के अलावा ऊर्जा, प्रोटीन और आवश्यक विटामिन एवं खनिजों की कमी को शामिल किया जाता है।
  • मात्रा और गुणवत्ता दोनों के संदर्भ में अपर्याप्त भोजन का सेवन, संक्रमण या बीमारियों के कारण पोषक तत्त्वों का सही तरीके से उपयोग न हो पाना या इन कारकों के संयोजन से अल्पपोषण होता है।
अनाहार/दुर्भिक्ष (Famine)
  • यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा परिभाषित एक विशेष स्थिति है जो कुछ विशिष्ट परिस्थितियों के कारण घटित होती है:
    • जब कम-से-कम 20% आबादी भोजन की गंभीर कमी का सामना करती है,
    • तीव्र बाल कुपोषण दर 30% से अधिक,
    • प्रतिदिन 10,000 में से दो लोग भुखमरी या कुपोषण संबंधी बीमारियों से मरते हैं।

भारत में भुखमरी के लिये ज़िम्मेदार कारक 

  • सामाजिक आर्थिक असमानताएँ और गरीबी: व्यापक गरीबी और सामाजिक आर्थिक असमानताएँ भारत में भुखमरी के मूलभूत निर्धारक हैं।
    • गरीबी के कारण अपर्याप्त भोजन ,आवश्यक पोषण तथा स्वास्थ्य सेवाएँ वहन करने में समस्या उत्पन्न होती है।
  • प्रच्छन्न भुखमरी: भारत गंभीर सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी (जिसे प्रच्छन्न भुखमरी के रूप में भी जाना जाता है) का सामना कर रहा है। 
    • इस समस्या के कई कारण हैं, जिनमें खराब आहार, बीमारी और गर्भावस्था तथा स्तनपान के दौरान सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की ज़रूरतों को पूरा करने में विफलता शामिल है।
  • अकुशल कृषि पद्धतियाँ और खाद्य वितरण: कृषि पद्धतियों में अक्षमताएँ, जिनमें इष्टतम से कम फसल की पैदावार और फसल के बाद के नुकसान शामिल हैं जो अपर्याप्त खाद्य उपलब्धता में योगदान करती हैं।
    •  इसके अलावा खाद्य वितरण और आपूर्ति शृंखला प्रबंधन में बाद में हुई कमी ने कमज़ोर आबादी तक भोजन के प्रवाह को प्रतिबंधित कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप भोजन की कमी और कीमतें बढ़ गई , जो गरीबों को असंगत रूप से प्रभावित करती हैं।
  • लैंगिक असमानता और पोषण संबंधी असमानताएँ: लिंग आधारित असमानताएँ भारत में भूख और कुपोषण की समस्या को बढ़ाती हैं।
    • महिलाओं और लड़कियों को अक्सर घरों में भोजन की असमान पहुँच का अनुभव होता है, उन्हें छोटे हिस्सा या कम गुणवत्ता वाला आहार मिलता है।
    • यह असमानता, मातृ एवं शिशु देखभाल की मांग के साथ मिलकर उन्हें उच्च पोषण संबंधी जोखिमों में डालती है, जिससे दीर्घकालिक कुपोषण की स्थिति उत्पन्न होती है।
  • जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय तनाव: भारत जलवायु परिवर्तन से संबंधित पर्यावरणीय तनावों, जैसे बदलते मौसम पैटर्न, विषम मौसम की घटनाओं और प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अतिसंवेदनशील है।
    • ये कारक कृषि उत्पादन को बाधित कर सकते हैं, जिससे फसल बर्बाद हो सकती है और भोजन की कमी हो सकती है।
  • पोषण संबंधी कार्यक्रमों के लिये लेखापरीक्षा का अभाव: यद्यपि देश में पोषण में सुधार के मुख्य घटक के साथ कई कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है, लेकिन स्थानीय शासन स्तर पर पोषण संबंधी लेखापरीक्षा तंत्र न्यूनतम या इसका अभाव है।

भुखमरी के उन्मूलन हेतु भारत की पहलें: 

  • ‘ईट राइट इंडिया मूवमेंट’
  • पोषण (POSHAN) अभियान
  • मध्याह्न भोजन योजना  
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013
  • मिशन इंद्रधनुष
  • एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) योजना
  • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना

आगे की राह 

  • सामाजिक लेखापरीक्षण और जागरूकता: पोषण पर जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ, स्थानीय अधिकारियों को शामिल करते हुए सभी ज़िलों में मध्याह्न भोजन योजना के सामाजिक लेखापरीक्षण को अनिवार्य किया जाना चाहिये।
    • कार्यक्रम की बेहतर निगरानी के लिये सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिये।
    • समुदाय-संचालित पोषण शिक्षा कार्यक्रमों की शुरुआत की जानी चाहिये जो संतुलित आहार, भोजन तैयार करने और स्थानीय भाषाओं में पोषण के महत्त्व के बारे में जागरूकता को बढ़ाते हैं, विशेष रूप से महिलाओं एवं बच्चों को लक्षित करते हुए
  • PDS योजना का विस्तार: पौष्टिक भोजन की उपलब्धता में पारदर्शिता, विश्वसनीयता और वहनीयता  को बढ़ाने के लिये सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को पुनर्जीवित किया जाना चाहिये, जिससे आर्थिक रूप से वंचित लोगों को लाभ होगा।
  • भोजन की बर्बादी को कम कर भुखमरी का निराकरण: भंडारण और शीत भंडारण सुविधाओं में सुधार करके भोजन की बर्बादी के मुद्दों का समाधान करने की आवश्यकता है।
    • इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रेफ्रिज़रेशन के अनुसार, यदि विकासशील देशों में विकसित देशों के समान स्तर का प्रशीतन बुनियादी ढाँचा उपलब्ध होता, तो वे 200 मिलियन टन भोजन या अपनी खाद्य आपूर्ति का लगभग 14% भाग बचा पाने में सक्षम होते, जिससे भुखमरी और कुपोषण से निपटने में मदद मिलती।
  • मोबाइल पोषण  क्लीनिक: मोबाइल पोषण क्लीनिक जैसी सुविधाओं की शुरुआत की जानी चाहिये जो बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य मूल्यांकन, आहार परामर्श तथा उन्हें पूरक आहार प्रदान करने के लिये सुदूर व वंचित क्षेत्रों का दौरा करें।
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