सरदार पटेल की जयंती आज, राष्‍ट्रीय एकता के लिए हमेशा याद किये जाएंगे

सरदार पटेल की जयंती आज, राष्‍ट्रीय एकता के लिए हमेशा याद किये जाएंगे

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडया, सेंट्रल डेस्‍क:

लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती 31 अक्तूबर को मनाई जा रही है। इस दिन को भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। सरदार पटेल आजाद भारत के पहले उप प्रधानमंत्री थे। देश की आजादी में सरदार पटेल ने अभूतपूर्व योगदान दिया। जिसके बाद अंग्रेजो की गुलामी से आजाद हुए भारत में सरदार पटेल को देश के पहले प्रधानमंत्री के तौर पर देखा जाने लगा था। कांग्रेस में लगभग सभी चाहते थे कि सरदार पटेल प्रधानमंत्री बने लेकिन महात्मा गांधी के कहने मात्र से उन्होंने प्रधानमंत्री बनने की रेस से अपना नाम वापस ले लिया। इसी लौह पुरुष ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को भारत और चीन के रिश्ते पर पहले से आगाह किया था। सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के मौके पर जानिए उनके जीवन से जुड़े रोचक तत्थ। सरदार वल्लभ भाई पटेल को क्यों कहा जाता है लौह पुरुष और उनकी जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाने की वजह जानें।

सरदार पटेल की पारिवारिक पृष्ठभूमि
==========================
सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म गुजरात के खेड़ा जिले में 31 अक्तूबर को हुआ था। वह एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे। हालांकि एक साधारण किसान परिवार का लड़का अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर भविष्य में खास बन गया।

देश की आजादी में भूमिका
===================
वल्लभ भाई पटेल ने शराब, छुआछूत और नारियों पर अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी। हिन्दू-मुस्लिम एकता को बनाए रखने की पुरजोर कोशिश की। आजादी की लड़ाई के दौरान वह कई बार जेल भी गए लेकिन पटेल की दृढ़ता के सामने अंग्रेजी हुकूमत को झुकना पड़ा।

आजाद भारत के प्रधानमंत्री बन सकते थे पटेल
============================
जब देश आजाद हुआ तो भारत में नई सरकार बनने की तैयारी शुरू हुई। कांग्रेस के नए अध्यक्ष के नाम पर सभी की निगाहें टिकी थी। उम्मीद की जा रही थी कि कांग्रेस का नया अध्यक्ष ही भारत का पहला प्रधानमंत्री होगा। सरदार पटेल की लोकप्रियता के चलते कांग्रेस कमेटी ने नेहरू का नाम प्रस्तावित नहीं किया और पटेल पूर्ण बहुमत से पार्टी के अध्यक्ष बन गए लेकिन इस बात से पार्टी में विच्छेद न हो जाए, इस डर से गांधी जी ने सरदार पटेल को पीछे हटने को कहा। सरदार वल्लभ भाई पटेल का पता था कि वह देश के प्रधानमंत्री बन सकते हैं लेकिन उन्होंने गांधी जी की बात का मान रखा और अपना नामांकन वापस ले लिया।

रियासतों का भारतीय संघ में विलय
=========================
हालांकि पटेल को देश का पहला उप प्रधानमंत्री बनाया गया। यह पद गृहमंत्री के समान था। उन्हें कई और जिम्मेदारियां सौंपी गईं। सबसे बड़ी चुनौती देसी रियासतों का भारत में विलय था। छोटे बड़े राजाओं, नवाबों को भारत सरकार के अधीन करते हुए रजवाड़े खत्म करना कोई आसान काम नहीं था लेकिन बिना किसी जंग के सरदार पटेल ने 562 रियासतों का भारत संघ में विलय कराया।

चीन से किया आगाह
==============
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद बहुत पुराना है। चीन के षड्यंत्रों को पहले से सरदार पटेल ने भांप लिया था। 1950 में उन्होंने नेहरू को खत लिख कर चीन से संभावित खतरे के बारे में चेतावनी दी थी। हालांकि नेहरू जी ने उस वक्त सरदार पटेल की चेतावनी पर ध्यान न दिया और परिणामस्वरूप 1962 की चीन की लड़ाई हुई।

यह भी पढ़े

शक्ति सुंदरम बने युवा लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के प्रदेश सचिव

मेरे खून का एक-एक कतरा देश को मजबूत करेगा

राष्ट्र तत्व के प्रति श्रद्धाभाव ही हो सकती है सरदार पटेल के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि: गणेश दत्त पाठक

आरा में महिला ने एक साथ 4 बच्चों को दिया जन्म, सभी नवजात स्वस्‍थ्‍य

Leave a Reply

error: Content is protected !!