ना रहले भोजपुरी प्रेमी साहित्यकार आ भोजपुरी भाषा साहित्य के विशाल संग्रहकर्ता विश्वनाथ शर्मा जी।

ना रहले भोजपुरी प्रेमी साहित्यकार आ भोजपुरी भाषा साहित्य के विशाल संग्रहकर्ता विश्वनाथ शर्मा जी।

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विश्वनाथ शर्मा जी के विनम्र श्रद्धांजलि

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार के सारण जिला के छपरा नारायण नगर के नेयाजी टोला में एगो घर,जहवा एह घर में लगभग 10,000 पुस्तक होई। ई सुने में सामान्य लागत बा बाकिर खास बात ई बा कि एकरा मे 8,000 किताब आ पत्र-पत्रिका भोजपुरी के बा। एह किताबन में भोजपुरी के प्रसिद्ध रचनाकार भिखारी ठाकुर आ पूर्वी के पुरोधा महेंद्र मिसिर के सब रचना किताब उपलब्ध बाड़ी सन। जनसहयोग से प्रकाशित वसुनायक रचनावली भी पाठकन खातिर सुलभ करावल गइल बा।

एकरा के अंजाम देवे वाला विश्वनाथ शर्मा जी रही। 65 बरिस के उमिर में विश्वनाथ शर्मा मई, 2006 में शिक्षण कार्य से सेवानिवृत्ति भईला के बाद से लगातार भोजपुरी रचनाकारन, प्रकाशकन आ सुधी पाठकन से संपर्क साधे खातिर बिहार, झारखंड,पश्चिम बंगाल,उत्तर प्रदेश,दिल्ली,मध्य प्रदेश आ छतीसगढ़ के चक्कर काटत रहले ।
भोजपुरी साहित्य के भिक्षाटन के क्रम में उनकर पंक्ति – जाहिल स हम घुमत बानि, साहिल स मांद खोदत बानी, कहां हमर भोजपुरिया भाई, कहां उनकर रचनन भुलाई… कवनो मंत्र से कम ना रहे।

शर्मा जी कहत रही कि — उनकर तीन गो माता लोग बाड़ी। एगो जन्मदाता,एगो मातृभाषा आ एगो राष्ट्रमाता। ऊहा के आपन मातृभाषा के सेवा खातिर मासिक पेंशन के एक-तिहाई हिस्सा भोजपुरी साहित्य के सृजन पर खर्च करत रही। शर्मा जी भोजपुरी के प्रति अगाध लगाव के वजह दिवंगत माई बाबूजी के मानत रहन,जे बचपन से उनकरा मे ई भावना पैदा कईले।

शर्मा जी द्वारा 1964 से कविता,कहानी आ आलेख लेखन से भोजपुरी के सेवा शुरू कईल गइल रहे। बाकिर शिक्षण कार्य में लाग जाए के चलते स्कूली दायित्व बढ़ला के कारण ई क्रम टूट गइल रहे,जवना के उहा के सेवानिवृति के बाद जारी रखनी।

उहां के जब भोजपुरी साहित्य के सहेजे के काम शुरू कईनी त ऊ लेखिका राजेश्वर शांडिल्य से चार बार लखनऊ मिले खातिर गइल रही तब जा के उनकर भरोसा जीत पईनी। शर्मा जी से बात चीत के क्रम में बतवले रही कि अपरिचित रहे के कारण पहिलका बेर कवनो बढ़िया रिस्पॉन्स ना मिलल रहे। फिर भी कोशिश जारी रखले रही । बाकिर जब लेखिका के भरोसा हो गइल कि उनकर रचना के सदुपयोग होई तब खुद बुलाके 18गो किताब देले रही।

एही तरह गणेशदत्त किरण, रसिक बिहारी ओझा निर्भीक, अरुणेश नीरन आ मोतीलाल उपाध्याय जईसन कई गो रचनाकारन द्वारा कई गो किताब उपलब्ध करावल गइल रहे। एकरा के देख के कई गो लेखक आ प्रकाशक उनकर एह अभियान में मदद कईले। आपन माई बाबूजी के नाम पर स्थापित रामसखी रामबिहारी स्मृति पुस्तकालय-सह-शोध संस्थान से उहा के धर्मपत्नी, पुत्र आनंद आ पुत्रवधू अमृता के भी जोड़ले रही ।धर्मपत्नी उषा शर्मा रखरखाव में सहयोग करत रही,जबकि कंप्यूटर इंजीनियर आनंद के पास वेबसाइट के जिम्मेवारी रहे। उनकर ई पुस्तकालय शोध के छात्रन में भी लोकप्रिय हो गइल बा । पुस्तकालय एतना समृद्ध हो गइल बा कि भोजपुरी पर शोध करे वाला लोगन के ओहिजा गइले बिना काम पूरा ना होेखे।

शर्मा जी जिला भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के महासचिव रही विश्व भोजपुरी सम्मेलन के झारखंड इकाई रांची में झारखंड रत्न से भी 2010 में सम्मानित कईल गइल रहे। उहां के अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के आजीवन सदस्य रही। विश्वनाथ शर्मा जी के कहनाम रहे कि भोजपुरी साहित्य के समृद्धि से ही भोजपुरी के आठवीं अनुसूची में शामिल करे के राह खुल सकी, जेकरा खातिर अभियान शुरू कईल गइल बा।

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