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ज़ीका वायरस, यह एक मच्छर जनित फ्लेविवायरस है,कैसे?

ज़ीका वायरस, यह एक मच्छर जनित फ्लेविवायरस है,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कर्नाटक राज्य स्वास्थ्य विभाग ने तलकायालाबेट्टा, चिक्कबल्लापुरा गाँव के मच्छरों के नमूनों में ज़ीका वायरस का पता चलने के बाद अलर्ट जारी किया।

  • ज़ीका वायरस, यह एक मच्छर जनित फ्लेविवायरस है तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव महत्त्वपूर्ण चिंता का विषय रहा है।

ज़ीका वायरस

  • परिचय: ज़ीका वायरस, एक मच्छर जनित फ्लेविवायरस है, जो मुख्य रूप से एडीज़ मच्छरों, विशेष रूप से एडीज़ एजिप्टी(Aedes aegypti) द्वारा फैलता है।
    • इसके अलावा यह गर्भावस्था के दौरान माँ से भ्रूण तक, साथ ही शारीरिक संपर्क, रक्त और रक्त उत्पादों के संक्रमण के माध्यम से भी प्रसारित हो सकता है।
    • ज़ीका वायरस में एक RNA जीनोम होता है और इस प्रकार उत्परिवर्तन जमा करने की बहुत अधिक क्षमता होती है।
      • जीनोमिक अध्ययनों से पता चला है कि ज़ीका वायरस के दो प्रकार हैं: अफ्रीकी और एशियाई।
  • इतिहास: सर्वप्रथम यह वायरस वर्ष 1947 में युगांडा के ज़ीका वन में संक्रमित बंदरों में पाया गया तथा इस वायरस का पहला मानव संक्रमण वर्ष 1952 में युगांडा और तंज़ानिया में दर्ज किया गया था।
    • वर्ष 2007 के बाद से अफ्रीका, अमेरिका, एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र में इसका प्रकोप बढ़ा है।
    • हाल के वर्षों में भारत में केरल और कर्नाटक राज्यों में इसका संक्रमण बढ़ा है।
  • लक्षण: यह वायरस अक्सर लक्षणहीन प्रकृति का होता है, किंतु प्रत्यक्ष होने पर इसके सामान्य लक्षणों में बुखार, जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों में दर्द तथा 2-7 दिनों तक रहने वाला सिरदर्द शामिल हैं।
  • अन्य स्वास्थ्य विकारों के साथ संबंध: यह वयस्कों एवं बच्चों में गुइलेन-बैरी सिंड्रोमन्यूरोपैथी और मायलाइटिस जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से संबंधित है।
    • इसके अतिरिक्त, ज़ीका व डेंगू वायरस के बीच परस्पर क्रिया रोग को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।
    • एक के संपर्क में आने से दूसरे का प्रभाव बढ़ सकता है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रबंधन एवं टीकों के विकास में कठिनाइयाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • जटिलताएँ: गर्भावस्था के दौरान यह संक्रमण जन्मजात विकृतियों का कारण बनता है, जैसे माइक्रोसेफली तथा अन्य संबंधित विकार।

नोट: गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक गंभीर ऑटो-इम्यून विकार है जो परिधीय (Peripheral) तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। यह विकार मांसपेशियों की गति, दर्द, शरीर के तापमान और स्पर्श संवेदनाओं के लिये ज़िम्मेदार तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है।

  • माइक्रोसेफली एक जन्मदोष है जिसमें बच्चे सामान्य से छोटे सिर और अविकसित मस्तिष्क के साथ पैदा होते हैं।
  • उपचार और रोकथाम: इसका कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है। इस वायरस के कारण स्थिति बिगड़ने पर लक्षणात्मक राहत और चिकित्सा देखभाल की सलाह दी जाती है।
    • हालाँकि अभी तक इस वायरस का कोई टीका उपलब्ध नहीं है, किंतु रोकथाम उपायों में मच्छरों के काटने से बचाव और उनके प्रजनन स्थलों को खत्म करना तथा उनकी संख्या को नियंत्रित करने वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • संबंधित भारत सरकार की पहल:
    • एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के तहत ज़ीका वायरस रोग के लिये राष्ट्रीय दिशानिर्देश
    • राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK): इसका उद्देश्य बच्चों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना और समुदाय के सभी बच्चों को व्यापक देखभाल प्रदान करना है।
      • RBSK में जन्म से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चों की चार स्क्रीनिंग शामिल हैं:
        • डीफेक्ट्स एट बर्थ
        • डेफिशियन्सी
        • डिज़ीज़
        • डेवलपमेंट डीलेज़ इन्क्लुडिंग डिसेबिलिटी

अन्य वायरल रोग:

  • COVID-19
  • डेंगू
  • निपाह 
  • इबोला
  • पीत ज्वर
  • हेपेटाइटिस
  • जापानी इंसेफेलाइटिस
  • मारबर्ग वायरस
  • खसरा और रूबेला
  • इन्फ्लूएंज़ा
  • HIV
  • Mpox
  • चिकनपॉक्स 
  • वेस्ट नील वायरस
  • पोलियो
  • नोरोवायरसरोटावायरस और एस्ट्रोवायरस

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