युसरा को मिला इंडिया बुक्स ऑफ रिकॉर्ड का अवार्ड, परिवार में जश्न
श्रीनारद मीडिया, सीवान,(बिहार):
उम्र महज 16 साल और प्रकाशित किताबें चार यानी छोटी उम्र में बड़ी उपलब्धि। इससे प्रभावित होकर सीवान जिला बड़हरिया प्रखंड के तेतहली गांव के शकील अहमद और अर्शिया फातिमा के छोटी बेटी युसरा फातिमा को इंडिया बुक्स ऑफ रिकॉर्ड के खिताब से नवाजा गया है। जिससे आज के डेट में युसरा फातिमा राष्ट्रीय फलक पर चर्चित हो चुकी हैं। उन्होंने न केवल अपने परिजनों का मान-सम्मान बढ़ाया है बल्कि प्रखंड और जिले का रोशन किया है। इसको लेकर परिजनों में खुशी का माहौल है।
किशोर अवस्था में सर्वाधिक हिंदी काव्य पुस्तकें लिखने वाली युसरा फातिमा भारत की पहली लड़की बन गयी है। ऐसे तो युसरा के कलाम लिखने की शुरुआत बचपन में ही शुरु हो गयी थी। 12 वर्ष की उम्र में उसकी पहली काव्य रचना जज्बा प्रकाशित हुई थी। उसके बाद उसके लिखने का सिलसिला आज भी जारी है। जज्बा के अलावे तीन और पुस्तकें “मेरे हिस्से की कोशिश”, “शाम और तन्हाई” और “बेरुखी” छप चुकी हैं। हालांकि अपने जज्बातों को कविता के रुप में ढालने का सिलसिला थमा नहीं है।
वह अपनी हिंदी कविताओं के माध्यम से कभी सामाजिक विकृतियों प्रहार करती है तो कभी रिश्तों में पड़ती दरारों को उजागर करती है तो कभी ख्यालों को उड़ान देती है। उसे रिश्तों में आयी एहसास की कमी और दिखावेपन पर नाराजगी है। उसे बेबसी को तोड़ खुले आसमान में परवाज की ख्वाहिश भी है। इसके अलावे वह नारी की अभिव्यक्ति को मुखरित करती नजर आती है।
चार काव्य संग्रह लिखकर युसरा ने पूरे देश में मिसाल कायम किया है। इस बड़ी उपलब्धि से परिजनों के साथ क्षेत्रवासियों को गर्व महसूस हो रहा है। यचसरा फातिमा ने बताया कि उसकी इस साहित्यिक सफर में उसकी बड़ी बहन सुमैया फातिमा का काफी सहयोग रहा है। परिजनों का सहयोग और समर्थन से युसरा के साहित्यिक सफर को मंजिल मिली है।
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