चीन आक्रामकता पर भारत की प्रतिक्रिया क्या है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत के क्वाड साझेदारों—ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका ने चीन के साथ उच्च-स्तरीय राजनीतिक अंतःक्रिया को फिर से शुरू किया है। हालाँकि भारत तब तक चीन के साथ राजनीतिक एवं आर्थिक चर्चा फिर से शुरू करने को तैयार नहीं है जब तक कि वर्ष 2020 के वसंत में शुरू हुए लद्दाख सैन्य गतिरोध का संतोषजनक समाधान प्राप्त नहीं हो जाता।
इस परिदृश्य ने इस संबंध में चर्चा को गर्म किया है कि भारत को विभिन्न जटिल विवादों के समाधान के लिये चीन से संलग्न होने के अपने मौजूदा दृष्टिकोण का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिये या नहीं।
भारत-चीन संबंधों में मौजूद प्रमुख विवाद
- सीमा विवाद:
- पश्चिमी क्षेत्र (लद्दाख):
- अंग्रेज़ों द्वारा प्रस्तावित जॉनसन रेखा (Johnson Line) ने अक्साई चिन को जम्मू-कश्मीर रियासत का हिस्सा बनाया था।
- चीन ने जॉनसन रेखा को अस्वीकार कर दिया और मैकडॉनल्ड रेखा (McDonald Line) का समर्थन करते हुए अक्साई चिन पर नियंत्रण का दावा किया।
- वर्तमान में अक्साई चीन का प्रशासन चीन के पास है लेकिन भारत का इस मुद्दे पर आधिकारिक रुख यह है कि चूँकि यह जम्मू-कश्मीर (लद्दाख) का एक भाग है, इसलिये भारत का अभिन्न अंग है।
- मध्य क्षेत्र (हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड):
- मध्य क्षेत्र में अपेक्षाकृत मामूली विवाद मौजूद है, जहाँ भारत और चीन के बीच मानचित्रों के आदान-प्रदान में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर मोटे तौर पर सहमति है।
- पूर्वी क्षेत्र (अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम):
- चीन मैकमोहन रेखा (McMahon Line) को अवैध एवं अस्वीकार्य मानता है और दावा करता है कि जिन तिब्बती प्रतिनिधियों ने वर्ष 1914 में शिमला में आयोजित कन्वेंशन ((जहाँ मैकमोहन रेखा को मानचित्र पर निरुपित किया गया था) पर हस्ताक्षर किये थे, उन्हें ऐसा करने का अधिकार नहीं था।
- पश्चिमी क्षेत्र (लद्दाख):
- सीमा पर घुसपैठ:
- भारत और चीन के बीच सीमा अपनी समग्रता में स्पष्ट रूप से सीमांकित नहीं है और कुछ हिस्सों में कोई पारस्परिक रूप से सहमत वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) मौजूद नहीं है।
- इस क्षेत्र में वर्ष 2014 में डेमचोक , 2015 में देपसांग, 2017 में डोकलाम और 2020 में गलवान जैसे सीमा संघर्ष के कई दृष्टांत सामने आये हैं।
- जल बँटवारा:
- चीन की लाभप्रद भौगोलिक स्थिति एक विषमता पैदा करती है जहाँ उसे हाइड्रोलॉजिकल डेटा पर भारत जैसे अनुप्रवाह देशों की निर्भरता का लाभ उठाने की अनुमति मिलती है।
- ब्रह्मपुत्र सहित अन्य सीमा-पारीय नदियों पर चीन की बाँध निर्माण गतिविधियाँ भारत के लिये चिंता का कारण हैं , जिससे दोनों देशों के बीच जल बँटवारे के मुद्दों पर तनाव उत्पन्न हो गया है।
- तिब्बत का मुद्दा:
- भारत निर्वासित तिब्बत सरकार और आध्यात्मिक नेता दलाई लामा की मेजबानी करता है, जो चीन के साथ विवाद का एक मुद्दा रहा है।
- चीन भारत पर तिब्बती अलगाववाद का समर्थन करने का आरोप लगाता है, जबकि भारत का कहना है कि वह ‘एक चीन’ की नीति का सम्मान करता है, लेकिन तिब्बती समुदाय को भारत में रहने की नैतिक अनुमति देता है।
- व्यापार असंतुलन:
- चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा वर्ष 2022 में 87 बिलियन अमेरिकी डॉलर के ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुँच गया।
- जटिल विनियामक आवश्यकताएँ, बौद्धिक संपदा अधिकारों का उल्लंघन और व्यापारिक लेनदेन में पारदर्शिता की कमी चीनी बाज़ार तक पहुँच की इच्छा रखने वाले भारतीय व्यवसायों के लिये चुनौतियाँ पेश करती हैं।
- बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) पर चिंताएँ:
- BRI पर भारत की मुख्य आपत्ति यह है कि इसमें चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) शामिल है, जो पाक-अधिकृत कश्मीर (PoK) से होकर गुज़रता है, जिस पर भारत अपना दावा करता है।
- भारत का यह भी मानना है कि BRI परियोजनाओं को अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों, विधि के शासन और वित्तीय स्थिरता का सम्मान करना चाहिये तथा मेजबान देशों के लिये ऋण जाल (debt trap) या पर्यावरणीय एवं सामाजिक जोखिम पैदा नहीं करना चाहिये।
चीन के आक्रामक कदमों पर भारत की प्रतिक्रिया
- वैश्विक रणनीतिक गठबंधन:
- भारत हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के प्रभाव को सामूहिक रूप से संबोधित करने के लिये समान विचारधारा वाले देशों के साथ सक्रिय रूप से संलग्न हुआ है।
- क्वाड (QUAD): यह चार लोकतांत्रिक देशों—भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान का समूह है। सभी चार राष्ट्र लोकतांत्रिक राष्ट्र होने का एक समान आधार रखते हैं और निर्बाध समुद्री व्यापार एवं सुरक्षा के साझा हित का समर्थन करते हैं।
- I2U2: यह भारत, इज़राइल, अमेरिका और यूएई का एक नया समूह है। इन देशों के साथ गठबंधन के निर्माण से क्षेत्र में भारत की भू-राजनीतिक स्थिति सुदृढ़ हुई है।
- भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (India-Middle East-Europe Economic Corridor- IMEC):
- वैकल्पिक व्यापार और कनेक्टिविटी गलियारे के रूप में लॉन्च किये गए IMEC का लक्ष्य अरब सागर और मध्य-पूर्व में भारत की उपस्थिति को सुदृढ़ करना है।
- वैश्विक अवसंरचना और निवेश के लिये साझेदारी (Partnership for Global Infrastructure Investment- PGII) द्वारा वित्तपोषित IMEC, G7 देशों के समर्थन से चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के प्रति-पहल के रूप में अपनी भूमिका निभाएगा।
- अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (International North-South Transport Corridor- INSTC):
- भारत, ईरान और रूस के बीच एक समझौते के माध्यम से स्थापित INSTC 7200 किलोमीटर के व्यापक मल्टी-मोड परिवहन नेटवर्क का सृजन करता है जो हिंद महासागर, फारस की खाड़ी और कैस्पियन सागर को आपस में जोड़ता है।
- ईरान में स्थित चाहबहार बंदरगाह इसका प्रमुख नोड है जो अरब सागर और होर्मुज जलडमरूमध्य में चीन की गतिविधियों पर रणनीतिक रूप से नज़र रखता है और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के ग्वादर बंदरगाह का एक विकल्प प्रदान करता है।
- हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA):
- यह हिंद महासागर की सीमा से लगे देशों के बीच आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने के लिये स्थापित एक अंतर-सरकारी संगठन है।
- IORA के सदस्य देश हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में व्यापार, निवेश और सतत विकास से संबंधित विभिन्न पहलों पर कार्य करते हैं।
- भारत की ‘नेकलेस ऑफ डायमंड’ रणनीति:
- चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ रणनीति के जवाब में भारत ने ‘नेकलेस ऑफ डायमंड’ (Necklace of Diamonds) रणनीति अपनाई है, जहाँ अपनी नौसैनिक उपस्थिति को बढ़ाकर, सैन्य अड्डों का विस्तार कर और क्षेत्रीय देशों के साथ राजनयिक संबंधों को मज़बूत कर चीन को घेरने पर बल दिया गया है।
- इस रणनीति का उद्देश्य हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्रों में चीन के सैन्य नेटवर्क एवं प्रभाव का मुक़ाबला करना है।
- चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ रणनीति के जवाब में भारत ने ‘नेकलेस ऑफ डायमंड’ (Necklace of Diamonds) रणनीति अपनाई है, जहाँ अपनी नौसैनिक उपस्थिति को बढ़ाकर, सैन्य अड्डों का विस्तार कर और क्षेत्रीय देशों के साथ राजनयिक संबंधों को मज़बूत कर चीन को घेरने पर बल दिया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में बदलाव भारत-चीन संबंधों को कैसे प्रभावित कर रहा है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका:
- भारत ने अमेरिका के साथ चार मूलभूत समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं:
- जनरल सिक्योरिटी ऑफ मिलिट्री इंफॉर्मेशन एग्रीमेंट (GSOMIA)
- लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रीमेंट (LSA)
- कम्युनिकेशंस इंटर-ऑपरेबिलिटी एंड सिक्योरिटी मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (CISMOA); और
- बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट फॉर जियो-स्पेशियल कोऑपरेशन (BECA)
- ये समझौते सैन्य सूचना, लॉजिस्टिक्स विनिमय, अनुकूलता (compatibility) के विभिन्न क्षेत्रों को दायरे में लेते हैं।
- इन समझौतों के आधार पर भारत और अमेरिका परस्पर सहयोग कर सकते हैं और संयुक्त रूप से चीनी रणनीतियों का मुक़ाबला कर सकते हैं।
- भारत ने अमेरिका के साथ चार मूलभूत समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं:
- जापान:
- भारत ने जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर चीन पर निर्भरता कम करने के लिये आपूर्ति शृंखला प्रत्यास्थता पहल (Supply Chain Resilience Initiative) की शुरुआत की है।
- क्वाड:
- वैश्विक शक्ति समीकरण में भारत चीनी एकपक्षीयता का मुक़ाबला करने के लिये क्वाड (QUAD) के माध्यम से सक्रिय रूप से संलग्न हो रहा है, जबकि चीन अमेरिकी नेतृत्व वाली उदार विश्व व्यवस्था को चुनौती देने के लिये रूस, पाकिस्तान, ईरान और तुर्की के साथ सहयोग कर रहा है।
- हाल ही में भारत के क्वाड साझेदार ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका चीन के साथ नए सिरे से उच्चस्तरीय राजनीतिक चर्चा में शामिल हुए हैं।
- हिमालयन क्वाड (Himalayan QUAD):
- इस परियोजना में QUAD के प्रतिकार के रूप में चीन, नेपाल, पाकिस्तान और अफगानिस्तान शामिल हुए हैं।
- पाकिस्तान:
- पाकिस्तान ने वर्ष 2013 में एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये, जो BRI की प्रमुख परियोजना CPEC की दीर्घकालिक योजना एवं विकास के लिये एक ऐतिहासिक समझौता था।
- चीन के लिये पाकिस्तान न केवल एक ‘क्लाएंट स्टेट’ (client state) के रूप में कार्य करता है, बल्कि भारत को नियंत्रित करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण साधन भी है।
- श्रीलंका:
- BRI के तहत श्रीलंका को भी बड़े पैमाने पर वित्तपोषण प्राप्त हुआ है। श्रीलंका चीन को हिंद महासागर में कार्यकरण के लिये विभिन्न नौसैनिक क्षमताएँ प्रदान करता है।
- चीन ने श्रीलंका से रणनीतिक हंबनटोटा बंदरगाह हासिल कर लिया है जिससे उसके ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल’ रणनीति को मज़बूती मिली है।
- चीन द्वारा बनाए जा रहे कोलंबो पोर्ट सिटी को भारत और श्रीलंका के रणनीतिक विशेषज्ञों द्वारा ‘चाइनीज़ कॉलोनी’ कहा जा रहा है।
- बांग्लादेश:
- बांग्लादेश वर्ष 2016 में BRI में शामिल हुआ और तब से चीन के साथ उसके द्विपक्षीय संबंध बढ़ रहे हैं, जो भारत के लिये निराशाजनक है।
- बांग्लादेश को चीन से मदद मिल रही है, लेकिन भारत-बांग्लादेश की सांस्कृतिक एवं भौगोलिक निकटता हावी रहेगी। भारत और बांग्लादेश के आपसी मुद्दे और हित हैं जिनका उपयोग भारत किसी भी समय संबंधों को मज़बूत करने के लिये कर सकता है।
- नेपाल:
- नेपाल वर्ष 2017 में चीन के साथ BRI समझौते में शामिल हुआ।
- चीन नेपाल के साथ राजनीतिक संबंध विकसित करने का लक्ष्य रखता है, लेकिन भारत के प्रभुत्वशाली सांस्कृतिक प्रभाव के कारण भारत का प्रभाव मज़बूत बना हुआ है।
- मालदीव:
- पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ल्ला यामीन के नेतृत्व में मालदीव का चीन की ओर झुकाव बढ़ा था जो भारी मात्रा में चीनी निवेश से रेखांकित हुआ। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के आने के साथ भारत विरोधी रुख बढ़ने की प्रवृत्ति स्पष्ट हो रही है।
- भारत-मालदीव संबंधों को तब झटका लगा जब मालदीव ने वर्ष 2017 में चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) संपन्न किया।
- भारत ने क्षेत्र में अपना प्रभाव मज़बूत करने के लिये नए सिरे से आर्थिक सहायता प्रदान की है, अवसंरचना परियोजनाएँ शुरू की हैं और रक्षा सहयोग का विस्तार किया है।
- भूटान:
- भूटान ने भारत के साथ मज़बूत राजनीतिक एवं आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देते हुए BRI भागीदारी को अस्वीकार कर दिया है।
- भारत भूटान को जलविद्युत परियोजनाओं में सहायता करता है और क्षेत्रीय पहलों का प्रस्ताव करता है।
- अफगानिस्तान:
- अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण के बाद तालिबान ने देश के पुनर्निर्माण प्रयासों में चीन को ‘सबसे महत्त्वपूर्ण भागीदार’ बताया है।
निष्कर्ष
महान शक्ति समीकरण में परिवर्तन का आकलन करना और प्रतिक्रियाएँ तैयार करना किसी भी देश की विदेश नीति का एक बुनियादी पहलू है। भारत के लिये, मुख्य ध्यान इस पर होना चाहिये कि अमेरिका के साथ अपने गठबंधन को आगे बढ़ाने के लिये उभरते अवसरों के लाभ उठाए और चीन के साथ जटिल संबंधों के बीच कुशलता से आगे बढ़े। अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में भारत का उत्थान उसे महान शक्ति संबंधों में किसी भी अप्रत्याशित बदलाव को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने की स्थिति प्रदान करता है।
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