हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है संविधान- जज खन्ना

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कानूनों को सरल बनाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि कानूनों को युवा पीढ़ी के लिए सरल, अधिक मानवीय और अनुकूल बनाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट के जज संजीव खन्ना ने कहा कि भारतीय संविधान एक जीवंत दस्तावेज है, जो लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित करता है। उन्होंने सभी से दृढ़ संकल्प एकता और आशावाद के साथ आगे बढ़ने का आग्रह किया।

जज खन्ना ने कहा कि आज हम 74वां संविधान दिवस मना रहे हैं। हम खुद को अपने देश की यात्रा में एक महत्वपूर्ण क्षण में पाते हैं। भारतीय संविधान को बार-बार एक जीवित दस्तावेज के रूप में परिभाषित किया गया है, क्योंकि यह हमारे जीवन का एक हिस्सा है। न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि 1950 में संविधान ने 350 मिलियन लोगों के जीवन को बदल दिया था और आज 1.4 बिलियन लोगों के जीवन पर अमिट छाप और प्रभाव जारी है।

उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि आज जब हम अपनी कानूनी प्रणाली के उद्देश्यों पर विचार करते हैं तो हमें युवा पीढ़ी के लिए अपने कानूनों को अधिक सरल और सुलभ बनाने की आवश्यकता को पहचानना चाहिए।

संविधान दिवस पर SC में आयोजित हुआ कार्यक्रम

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आज संविधान दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, CJI डीवाई चंद्रचूड़, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल समेत सुप्रीम कोर्ट के कई जज भी मौजूद थे। 26 नवंबर 1949 को देश के संविधान को अपनाया गया था। हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने रविवार को संविधान दिवस के अवसर पर सुप्रीम कोर्ट परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का उद्घाटन किया। इस अवसर पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल मौजूद रहे।

राष्ट्रपति मुर्मु ने दी श्रद्धांजलि

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की 7 फीट ऊंची प्रतिमा पर फूल अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद राष्ट्रपति मुर्मु और सीजेआई चंद्रचूड़ ने पौधारोपण किया।

26 नवंबर को मनाया जाता है संविधान दिवस

बता दें कि 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान को अपनाया गया था। साल 2015 से आज के दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इससे पहले इस दिन को कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था।

संविधान दिवस हर साल 26 जनवरी को मनाया जाता है। इसकी मुख्य ये है कि 26 नवंबर 1949 में भारतीय संविधान सभा की ओर से संविधान को अंगीकार किया गया था। संविधान दिवस मनाने की परंपरा की शुरुआत साल 2015 से की गई।

26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार किए जाने के बाद देश में इसे लागू करने में कुछ महीने का वक्त लगा।26 जनवरी 1950 को संविधान पूरी तरह से लागू कर दिया गया।

भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के लिए संविधान दिवस को मनाने का फैसला लिया गया था। भारत का संविधान कई सिद्धांतों को समेटे है, जिनके आधार पर देश की सरकार और नागरिकों के लिए मौलिक, राजनीतिक सिद्धांत, प्रक्रियाएं, अधिकार, दिशा-निर्देश, कानून वगैरह तय किए गए हैं।

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