क्या कानून की पढ़ाई में अंग्रेजी में ही संभव है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

दशकों से यह मांग की जाती रही है कि पेशेवर शिक्षा की प्रवेश परीक्षा में तथा शिक्षण के माध्यम के रूप में हिंदी समेत भारतीय भाषाओं को भी शामिल किया जाए. लेकिन अभी तक इस मुहिम का आंशिक असर ही हुआ है और अनेक महत्वपूर्ण प्रवेश परीक्षाओं में अंग्रेजी ही माध्यम है. स्वाभाविक रूप से गांवों-कस्बों तथा वंचित वर्गों के छात्र इससे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं.

समुचित प्रतिभा होने के बावजूद उन्हें पेशेवर जीवन में आगे बढ़ने के अच्छे अवसर नहीं मिल पाते हैं. सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश डीवाइ चंद्रचूड़ ने इस चिंताजनक स्थिति को रेखांकित करते हुए कहा है कि राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए आयोजित कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (क्लैट) को केवल अंग्रेजी में आयोजित करना कानूनी पेशे को ग्रामीण और वंचित लोगों के विरुद्ध पक्षपातपूर्ण है.

 

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