देश नागरिकों की जान बचाने के लिए कुछ भी कर सकता है-नवीन पटनायक
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि उत्तराखंड में एक निर्माणाधीन सुरंग के भीतर फंसे सभी 41 श्रमिकों को सुरक्षित निकाले जाने के बाद यह साबित हो गया कि देश अपने नागरिकों की जान बचाने के लिए कुछ भी कर सकता है और सब कुछ कर सकता है. पटनायक ने लगभग 17 दिनों बाद उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग से ओडिशा के पांच श्रमिकों सहित कुल 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए बचाव दल को धन्यवाद दिया.
सुरंग में फंसे राज्य के पांच श्रमिकों के गांवों में मंगलवार शाम उत्सव जैसा माहौल था. इस दौरान वहां लोगों ने मिठाइयां बांटीं, ढोल बजाए और संगीत की धुन पर नृत्य किया. सुरंग से सुरक्षित बाहर निकाले जाने के बाद पांचों श्रमिकों के परिवार ने राहत की सांस ली और उन्होंने सरकार और बचाव अभियान में शामिल सभी एजेंसियों को धन्यवाद दिया.
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने जाहिर की खुशी
पटनायक ने एक बयान में कहा कि सफल बचाव अभियान के बारे में जानकर मुझे बेहद खुशी हुई. मुझे बहुत खुशी है कि हमारे श्रमिक सुरक्षित घर लौट आएंगे. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने एक टीम और फंसे हुए मजदूरों के परिवार के सदस्यों को उत्तरकाशी जिले में घटनास्थल पर भेजा है. मुख्यमंत्री ने सफल बचाव अभियान के लिए उत्तराखंड सरकार, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और सैन्य दलों को धन्यवाद दिया और कहा, इससे साबित होता है कि भारत अपने नागरिकों की जान बचाने के लिए कुछ भी कर सकता है और सब कुछ कर सकता है. सुरंग में फंसे ओडिशा के पांच मजदूरों में मयूरभंज जिले के खिरोद (राजू) नायक, धीरेन नायक और विश्वेश्वेर नायक, नवरंगपुर के भगवान भतारा और भद्रक के तपन मंडल शामिल हैं. भतारा के गांव तालाबेड़ा में स्थानीय लोगों ने पटाखे फोड़कर और ढोल बजाकर उनके सुरंग से बाहर निकलने का जश्न मनाया.
परिजनों में खुशी का माहौल
श्रमिक की एक रिश्तेदार ने कहा, हमें यह जानकर बहुत खुशी हुई कि भगवान को सुरंग से सुरक्षित बचा लिया गया. हम इसके लिए ईश्वर को धन्यवाद देते हैं. बचाव अभियान पूरा होने के बाद, बंग्रिपोसी के स्थानीय लोगों ने धीरेन नायक के परिवार के सदस्यों का अभिनंदन किया. धीरेन की पत्नी ने कहा कि उत्तराखंड में डेरा डाले परिवार के सदस्यों का मुझे फोन आया. उन्होंने बताया कि मेरे पति को सुरक्षित बचा लिया गया है. खिरोद के पिता मोचीराम नायक ने अभियान में शामिल कर्मियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि वह अपने बेटे को दोबारा काम करने के लिए उत्तराखंड नहीं जाने देंगे. उन्होंने कहा, मैं राज्य सरकार से मेरे बेटे को यहां काम मुहैया कराने का अनुरोध करता हूं.
टनल से इन्हें निकाला गया :
खिरोद (राजू) नायक- मयूरभंज
धीरेन नायक- मयूरभंज
विश्वेश्वेर नायक-मयूरभंज
भगवान भतारा- नवरंगपुर
तपन मंडल- भद्रक
टनल के भीतर ही भाई से लिपट गया वीरेंद्र
कुछ मिनट बाद ही सुरंग के बाहर इंतजार कर रहे वीरेंद्र किस्कू के बड़े भाई देवराज किस्कू को टनल के भीतर जाने की अनुमति मिली. टनल में बड़े भाई को देखते ही वीरेंद्र किस्कू की आंखें खुशी से छलछला उठी. कई मिनट तक दोनों भाई एक-दूसरे से लिपटे रहे. फिर सुरंग से बाहर निकलते ही एंबुलेंस से स्वास्थ्य जांच को लेकर वीरेंद्र को अस्पताल ले जाया गया. एंबुलेंस वाहन से ही बड़े भाई देवराज किस्कू भी अस्पताल गये. जबकि पत्नी रजनी टुडु व भाभी सुनीता टुडु दूसरे वाहन से पहुंचे. सुरंग से बाहर निकलते ही वीरेंद्र ने मोबाइल से अपनी मां सुषमा हैंब्रम, पिता मुन्नीलाल किस्कू व तीनों बच्चों से बातचीत भी की.
टनल में साहसी वीरेंद्र करता रहा था काम
सुरंग से बाहर निकलने के बाद प्रभात-खबर से बातचीत के दौरान वीरेंद्र किस्कू ने बताया कि पिछले 17 दिनों के दौरान वह जरा भी नहीं घबराया. उसने बताया कि सुरंग में फंसने के 12 घंटे बाद से ही अंदर में पानी, भोजन, ऑक्सीजन आदि मिलना प्रारंभ हो गया था. पॉकलेन चालक वीरेंद्र ने बताया कि सुरंग के भीतर भी वह रोजाना मलबा हटाने आदि का कार्य करते रहा था. कभी भी हताश या निराश नहीं हुआ, ना ही घबराया. उसे सरकार व प्रशासन पर पूरा भरोसा भी था. परिजनों से बातचीत होने के बाद से हौसला भी बढ़ता गया. साथी मजदूरों को भी ढांढस बंधाने का काम किया.
मां ने पीएम व सीएम कहा धन्यवाद
वीरेंद्र किस्कू की मां सुषमा हैंब्रम ने रेस्क्यू पूरा होने एवं सुरंग से मजदूरों के सकुशल बाहर आने पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी सहित पूरे रेस्क्यू टीम को धन्यवाद दी. मां ने बताया कि पिछले 17 दिनों तक वह अपने ईश्वर से प्रतिदिन अपने पुत्र वीरेंद्र किस्कू सहित सभी मजदूरों के सकुशल बाहर निकलने को लेकर प्रार्थना करती रही थी.
खाना में दलिया, खिचड़ी व रोटी-सब्जी भी मिली
विदित हो कि गत 12 नवंबर को ही उत्तरकाशी सुरंग में चल रहे काम के दौरान धंसान के कारण 41 मजदूर अंदर फंस गये थे. लगातार 17 दिनों तक चले रेस्क्यू के बाद सभी मजदूर सकुशल बाहर निकले. कटोरिया के मजदूर सह पॉकलेन चालक वीरेंद्र किस्कू के बड़े भाई देवराज किस्कू, पत्नी रजनी टुडु व भाभी सुनिता टुडु गत 16 नवंबर से ही उत्तरकाशी सुरंग के बाहर डेरा डाले हुए थे. सभी बेसब्री से वीरेंद्र के सकुशल बाहर निकलने का इंतजार कर रहे थे. इंतजार का फल मंगलवार की देर शाम मीठा व सुखद साबित हुआ. परिवारजनों सहित ग्रामीणों में भी खुशी की लहर देखी गयी. आस-पास के क्षेत्रों में साहसी विरेंद्र के 17 दिनों तक सुरंग में फंसे होने की चर्चा व्याप्त थी.