महासागरों के तापमान में वृद्धि के क्या कारण है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
‘ट्रेंड्स इन इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन‘ पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन महासागरों के तापमान में वृद्धि कर रहा है और इसके परिणामस्वरूप उष्णकटिबंधीय सागरीय प्रजातियाँ भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर स्थानांतरित हो रही हैं।
- तापमान में वृद्धि होने के कारण समशीतोष्ण प्रजातियों में कमी आ रही है, उन्हें निवास स्थान और नए शिकारियों के लिये बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ता है।
अध्ययन के अनुसार जलवायु परिवर्तन कैसे उष्णकटिबंधीयकरण का कारण बनता है?
- उष्णकटिबंधीयकरण:
- जलवायु परिवर्तन एक समुद्री घटना का कारण बन रहा है जिसे उष्णकटिबंधीयकरण के रूप में जाना जाता है, जहाँ उष्णकटिबंधीय प्रजातियाँ अपनी सीमा का विस्तार करती हैं, जबकि समशीतोष्ण प्रजातियाँ पीछे हट जाती हैं।
- तापमान बढ़ने के कारण समशीतोष्ण प्रजातियाँ कम हो रही हैं, उन्हें आवास के लिये अधिक प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ता है और नए शिकारी सामने आते हैं।
- यह वैश्विक बदलाव समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र, जैवविविधता को बदल रहा है और वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है।
- इस प्रक्रिया को पहले उदाहरण के रूप में भूमध्य सागर में देखा गया था।
- उष्णकटिबंधीय प्रजातियों में वृद्धि के कारण भूमध्य सागर को “उष्णकटिबंधीय हॉटस्पॉट” माना जाता है।
- जलवायु परिवर्तन एक समुद्री घटना का कारण बन रहा है जिसे उष्णकटिबंधीयकरण के रूप में जाना जाता है, जहाँ उष्णकटिबंधीय प्रजातियाँ अपनी सीमा का विस्तार करती हैं, जबकि समशीतोष्ण प्रजातियाँ पीछे हट जाती हैं।
- जलवायु परिवर्तन के कारण प्रजातियों का विस्तार:
- जलवायु परिवर्तन द्वारा उन भौतिक कारकों को बदल दिया गया है जो प्रजातियों के विस्तार को प्रभावित करते हैं, जैसे कि उष्णकटिबंधीय तथा उपोष्णकटिबंधीय एवं समशीतोष्ण क्षेत्रों को अलग करने वाले क्षेत्रों में समुद्री धाराएँ।
- ये गर्म-जल सीमा धाराएँ वैश्विक महासागरीय जल के औसत की तुलना में तेज़ी से गर्म हो रही हैं, जिससे प्रजातियों को ध्रुवीय स्थानांतरण की सुविधा प्राप्त हो रही है और समशीतोष्ण प्रजातियों की वापसी को सहायता मिल रही है।
- उदाहरण: रेंज-विस्तारित उष्णकटिबंधीय डैमसेल्फिश और समशीतोष्ण रीफ मछलियों को सह-अस्तित्व की अनुमति देने के लिये उनके भोजन और सामाजिक व्यवहार में बदलाव करते हुए प्रलेखित किया गया है।
- नए लक्षणों का विकास:
- पारिस्थितिकी और विकास के बीच घनिष्ठ संबंध के कारण प्रजातियों की परस्पर क्रिया में परिवर्तन से नए लक्षणों या व्यवहारों का विकास हो सकता है।
महासागरीय तापन क्या है?
- परिचय: .
- महासागर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से अधिकांश अतिरिक्त गर्मी को अवशोषित करते हैं, जिससे समुद्र का तापमान बढ़ जाता है।
- कारण:
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन: ऊर्जा, वनों की कटाई और औद्योगिक प्रक्रियाओं के लिये जीवाश्म ईंधन (कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस) जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), मीथेन (CH4), और नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) सहित महत्त्वपूर्ण मात्रा में ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं। वायुमंडल में ये गैसें गर्मी को रोकती हैं, जिससे वायुमंडल और महासागरों दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषण: महासागर विशाल जलाशय के रूप में कार्य करते हैं जो मानव गतिविधियों से अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा अवशोषित करते हैं। जबकि यह अवशोषण भूमि पर जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद करता है, इसके परिणामस्वरूप समुद्र का तापमान भी बढ़ता है।
- सौर विकिरण: सौर विकिरण में परिवर्तन हालाँकि मानव-प्रेरित कारकों की तुलना में एक मामूली योगदानकर्त्ता है, यह लंबी अवधि में समुद्र के तापमान को प्रभावित कर सकता है।
- प्रभाव:
- प्रवाल विरंजन: अत्यधिक तापमान होने के कारण मूँगे अपने ऊतकों में रहने वाले सहजीवी शैवाल को बाहर निकाल सकते हैं, जिससे मूँगे का विरंजन हो सकता है। लंबे समय तक ब्लीचिंग से मूँगे कमज़ोर हो जाते हैं और वे बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं, जिससे मूँगा चट्टान पारिस्थितिकी तंत्र के लिये एक गंभीर खतरा पैदा हो जाता है।
- सागरीय स्तर में वृद्धि: सागर का गर्म तापमान सागरीय जल के तापीय विस्तार में योगदान देता है। इससे, ध्रुवीय बर्फ की चोटियों और ग्लेशियरों के पिघलने के साथ-साथ, समुद्र के स्तर में वृद्धि होती है, जिसके परिणामस्वरूप तटीय क्षरण हो सकता है और तटीय समुदायों की संवेदनशीलता बढ़ सकती है।
- सागरीय खाद्य जाल का विघटन: समुद्र के तापमान में परिवर्तन सागरीय प्रजातियों के वितरण और प्रचुरता को परिवर्तित कर सकता है, जिससे सागरीय खाद्य जाल की संरचना प्रभावित हो सकती है। इसका मत्स्यपालन एवं उन पर निर्भर समुदायों की आजीविका पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।
- महासागर का अम्लीकरण: महासागरों द्वारा अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड के अवशोषण से महासागरों का अम्लीकरण होता है। अम्लीकरण, कैल्शियम कार्बोनेट कंकालों अथवा सीपों वाले समुद्री जीवों को हानि पहुँचा सकता है, जिनमें कोरल, मोलस्क तथा कुछ प्लवक शामिल हैं, जिससे संपूर्ण सागरीय खाद्य शृंखला प्रभावित होती है।
वैश्विक समुद्री प्रजातियाँ जलवायु-प्रेरित उष्णकटिबंधीयकरण के कारण बदलती हैं, जिसका उदाहरण भूमध्य सागर में “हॉटस्पॉट” है। ग्रीनहाउस गैसों जैसे कारकों से महासागर के गर्म होने से मूँगा विरंजन, सागरीय स्तर में वृद्धि के साथ खाद्य जाल में व्यवधान उत्पन्न होता है। जैवविविधता, तटीय समुदायों और अर्थव्यवस्थाओं को खतरे को कम करते हुए महासागरीय स्वास्थ्य को संरक्षित करने के लिये तत्काल जलवायु शमन महत्त्वपूर्ण है।
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