इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों तथा डाक मतपत्रों की सुरक्षा क्यों आवश्यक है?

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श्रीनारद मीडिया सेन्ट्रल डेस्क

मध्य प्रदेश में राजनीतिक दलों ने स्ट्रॉन्ग रूम में डाक मतपत्रों में हेर-फेर और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) की प्रभावशीलता पर सवाल उठाते हुए राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास शिकायत दर्ज कराई है।

  • हालाँकि ज़िला निर्वाचन अधिकारी ने स्पष्ट किया कि सहायक रिटर्निंग अधिकारी ने मतपत्रों की छँटाई के लिये स्ट्रांग रूम खोला था, न कि वोटों की गिनती के लिये और यह उन्होंने संबद्ध प्रतिनिधियों को पूर्व सूचना देने के पश्चात् ही किया था।

डाक मतपत्र और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन क्या हैं?

  • डाक मतपत्र: 
    • डाक मतपत्र सैनिक मतदाताओं, अनुपस्थित मतदाताओं (जैसे कि 80 वर्ष से अधिक आयु के लोग, दिव्यांगजन अथवा कोविड-19 से प्रभावित लोगों), चुनाव ड्यूटी पर तैनात मतदाता, और निवारक हिरासत के अंतर्गत आने वाले मतदाताओं के लिये मतदान विकल्प के रूप में कार्य करता है।
    • रिटर्निंग ऑफिसर (RO) आवश्यक फॉर्म भर चुके पात्र व्यक्ति को मेल के माध्यम से तथा चुनाव ड्यूटी पर तैनात मतदाताओं को सुविधा केंद्र पर डाक मतपत्र प्रदान करता है।
  • EVM की जाँच तथा संग्रहण: 
    • मतदान केंद्रों पर पहुँचने से पूर्व EVM को एक निश्चित प्रक्रिया से गुज़ारा जाता है। प्रथम-स्तरीय जाँच और यादृच्छिकीकरण अभ्यास पूरा होने के बाद अगस्त 2023 में जारी निर्वाचन आयोग के नवीनतम मैनुअल में उल्लिखित दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए इन मशीनों को रिटर्निंग अधिकारियों को सौंप दिया जाता है।
    • मतदान समाप्त होने के पश्चात्, EVM और मतदाता-सत्यापन योग्य पेपर ऑडिट ट्रेल्स (VVPAT) को संग्रह अथवा रिसेप्शन केंद्रों पर वापस ले जाया जाता है जहाँ उन्हें स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है।
    • निर्वाचन आयोग की नियमावली के अनुसार, सभी उम्मीदवारों को इसकी जानकारी देना अनिवार्य है तथा सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी के लिये उन्हें अपने प्रतिनिधियों को भेजने की अनुमति होती है।
  • EVMs के सुरक्षा उपाय और भंडारण:
    • EVMs के परिवहन में सशस्त्र सुरक्षा और वातानुकूलित स्ट्रांग रूम में भंडारण सहित कड़े सुरक्षा उपाय शामिल हैं।
    • ये स्ट्रांग रूम मतदान के दिन तक EVMs के लिये एक सुरक्षित स्थान के रूप में काम करते हैं, जिससे मतदान प्रक्रिया की अखंडता और गोपनीयता सुनिश्चित होती है।
    • राजनीतिक दल के प्रतिनिधि इस भंडारण प्रक्रिया की देख-रेख में भूमिका निभाते हैं, जिससे चुनावी प्रणाली में पारदर्शिता की एक अतिरिक्त परत जुड़ जाती है।

डाक मतपत्र और अनुपस्थित मतदाताओं के लिये क्या प्रक्रिया है?

  • डाक मतपत्रों की प्रक्रियाएँ: 
    • चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार, डाक मतपत्रों को संभालने वाले सुविधा केंद्र प्रभारी को पार्टी और उम्मीदवार प्रतिनिधियों की उपस्थिति में सर्वप्रथम ड्रॉप बॉक्स खोलना आवश्यक है
    • प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के मतपत्रों को एक बड़े लिफाफे या सूती बैग में रखा जाता है और फिर प्रत्येक मतदान दिवस के अंत में रिटर्निंग ऑफिसर (RO) को भेजा जाता है।
    • RO इन बैगों को अपने कब्ज़े में लेता है और उन्हें एक निर्दिष्ट “विशेष स्ट्रॉन्ग रूम” में सुरक्षित रूप से संग्रहीत करता है।
  • अनुपस्थित मतदाता:
    • अनुपस्थित मतदाताओं के लिये बूथ स्तर के अधिकारी (BLO) मतदाताओं के घरों तक मतपत्र पहुँचाते हैं। BLO चुनाव अधिसूचना के पाँच दिनों के भीतर भरे हुए फॉर्म लेने के लिये लौटते हैं और उन्हें RO के पास प्रतिदिन जमा करते हैं।
    • अनुपस्थित मतदाताओं के बीच आवश्यक सेवा कर्मी विशेष डाक मतदान केंद्रों का उपयोग कर सकते हैं, जो मतदान दिवस से पहले लगातार तीन दिनों तक मतदान करा सकते हैं। इन केंद्रों से डाक मतपत्रों के पैकेट प्रत्येक दिन के अंत में RO को भेजे जाते हैं।
  • डाक मतपत्रों के लिये सुरक्षित संचालन और गिनती की तैयारी:
    • ऐसे मामलों में जहाँ वोटों की गिनती RO के मुख्यालय के अलावा किसी अन्य स्थान पर की जानी है, गिनती से एक दिन पहले डाक मतपत्रों को मतगणना केंद्र के दूसरे स्ट्रांग रूम में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
    • यह प्रक्रिया सावधानीपूर्वक चुनावी दिशा-निर्देशों के अनुपालन में डाक मतपत्रों के लिये सुरक्षित संचालन, दस्तावेज़ीकरण और अंतिम गिनती सुनिश्चित करती है।

वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT):

  • VVPAT एक स्वतंत्र सत्यापन प्रिंटर मशीन है, जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से जुड़ी होती है। यह मतदाताओं को यह सत्यापित करने में मदद करती है कि उनका वोट उनके इच्छित उम्मीदवार को गया है या नहीं।
  • जब कोई मतदाता EVMs में बटन दबाता है तो VVPAT के माध्यम से एक कागज़ की पर्ची छपती है। पर्ची में उम्मीदवार का चुनाव चिह्न और नाम होता है। यह मतदाता को अपनी पसंद सत्यापित करने में मदद करता है।
  • VVPAT के काँच के केस से मतदाता को सात सेकंड तक दिखाई देने के बाद पर्ची VVPAT मशीन में बने ड्रॉप बॉक्स में डाल दी जाती है और एक ध्वनि सुनाई देती है।
  • VVPAT मशीनों तक केवल मतदान अधिकारी की पहुँच होती है।

EVMs को सुरक्षित करने के विभिन्न उपाय क्या हैं? 

  • कार्यात्मक जाँच: मशीनों के पिछले परिणाम को हटा दिया जाता है। क्षतिग्रस्त स्विच, बटन, कनेक्शन और सील की जाँच की जाती है।
  • यादृच्छिक जाँच: मतदान के लिये उपयोग की जाने वाली कुल EVMs की 5% संख्या पर मॉक पोल आयोजित किया जाता है। लगभग 1,000 वोट डाले जाते हैं और परिणाम के प्रिंटआउट विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ साझा किये जाते हैं।
  • EVM वितरण में यादृच्छिकता: EVMs को निर्वाचन क्षेत्रों और बूथों पर बेतरतीब ढंग से रखा जाता है और यह पहचानना  मुश्किल होता है कि कौन सी मशीन कहाँ रखी है। पहले दौर के दौरान EVMs को एक निर्वाचन क्षेत्र में यादृच्छिक रूप से आवंटित किया जाता है।और दूसरे दौर में उन्हें यादृच्छिक रूप से मतदान केंद्र पर आवंटित किया जाता है।
  • पूर्वाभ्यास: वास्तविक मतदान शुरू होने से पहले उम्मीदवारों या उनके एजेंटों की उपस्थिति में कम-से-कम 50 वोटों के साथ मतदान अभ्यास का आयोजन किया जाता है।
    • फिर मॉक पोल बंद कर दिया जाता है और परिणाम प्रदर्शित किये जाते हैं। मतदान के दिन मतदान एजेंटों, पर्यवेक्षकों और केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों द्वारा विभिन्न प्रकार की जाँच की जाती है।
  • सुरक्षित और संरक्षित: EVM को उनके कैरी केस में रखा जाता है और सील कर दिया जाता है। मशीनों को सशस्त्र अनुरक्षण के तहत रिसेप्शन सेंटर में वापस ले जाया जाता है और स्ट्रांग रूम में रखा जाता है।
  • मौजूदा VVPAT सत्यापन दर को बढ़ाना: मौजूदा VVPAT सत्यापन दर को प्रति विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र या खंड में एक से बढ़ाकर पांँच यादृच्छिक EVM तक करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश, EVM के माध्यम से गणना की अखंडता के बारे में संदेह करने वालों को आश्वस्त करने का प्रयास है।

 

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