मणिपुर की तर्ज पर बिहार में शराबबंदी को हटाने की मांग,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार में मणिपुर की तर्ज पर शराबबंदी को हटाने की मांग की गई है. सीआईएबीसी ने इस मांग को सामने रखा है. सीआईएबीसी के निर्देशक ने कहा है कि मणिपुर सरकार ने निषेध को खत्म कर एक अच्छा कदम उठाया है. बिहार सरकार से उन्होंने बंदी को हटाने की अपील की है. वहीं, इस आग्रह पर मद्य निषेध मंत्री सुनील सिंह ने जवाब दिया है.
उन्होंने कहा है कि यह संभव नहीं है और इसे वापस नहीं लिया जा सकता है. मंत्री ने शराबबंदी से होने वाले फायदों के बारे में भी बताया है. शराबबंदी के कारण गरीब परिवार के घर की खुशियां उन्हें वापस मिली है. शराबबंदी के निर्णय को सरकार ने काफी सोचने समझने और इसके अच्छे परिणाम को जानने के बाद लिया है.
सीआईएबीसी के महानिदेशक विनोद गिरी ने बुधवार को बयान जारी कर कहा कि तीन दशक से अधिक लंबे निषेध को समाप्त करके, मणिपुर सरकार ने एक सकारात्मक कदम उठाया है, जिससे न केवल वार्षिक कर राजस्व के रूप में 600-700 करोड़ रुपये की कमाई होगी, बल्कि अवैध शराब की बिक्री और नशीली दवाओं के प्रसार के खतरे से निपटने में भी मदद मिलेगी। यह राज्य की आर्थिक वृद्धि को एक बड़ा बढ़ावा देने वाला है।
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार को भी इसका पालन करना चाहिए और शराबबंदी हटानी चाहिए, जिसने राज्य की वृद्धि और विकास को बाधित किया है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी के बाद भी राज्य में अब तक जहरीली शराब से कई मौतें हो चुकी हैं, जिसे देखते हुए राज्य सरकार को शराबबंदी हटा देनी चाहिए।
शराबबंदी कानून को लेकर होगा सर्वे
वहीं, आपको बता दें कि शराबबंदी कानून को लेकर राज्य में सर्वे भी कराया जाएगा. इसमें लोग अपनी मन की बातों को रखेंगे. सीएम नीतीश कुमार ने नशामुक्ति दिवस पर जानकारी दी थी कि वह शुरू से ही शराबबंदी के पक्ष में है. इसे वापस नहीं लिया जाएगा. साथ ही सीएम ने शराबबंदी कानून को लेकर सर्वे का भी आदेश दिया था. जाति आधारित गणना के दौरान जैसे लोगों से घर- घर जाकर जानकारी ली गई थी. वैसे ही शराबबंदी के बारे में भी लोगों के घर पर जानकर उनसे राय ली जाएगी. सीएम ने बापू के शब्द को याद रखने की भी बात कही थी. मालूम हो कि बिहार में साल 2016 से शराबबंदी लागू है.
साल 2016 में राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू हुई थी. इसके बाद से ही शराब रखना और इसका सेवन करना साथ ही इसके कारोबार करने पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी गई. इसके बाद शराब को नष्ट किया जाता है. साथ ही कई बार शराब की खेप पकड़ी जाती है. इसकी कड़ी में शुक्रवार को जहानाबाद जिले के मखदुमपुर थाना की पुलिस ने मखदुमपुर बाजार से एक ट्रक अंग्रेजी शराब बरामद किया है. बता दें कि मखदुमपुर थाना की पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि झारखंड के तरफ से एक ट्रक शराब लेकर पटना की ओर जा रहा है.
इसी सूचना के आधार पर मखदुमपुर बाजार में पुलिस ने उस ट्रक को रोककर जब देखा तो अंदर कपड़ों के बड़े- बड़े बोरो के अंदर अंग्रेजी शराब भारी मात्रा में छुपा कर ले जाया जा रहा था. उसके बाद पुलिस उस ट्रक को जप्त कर थाना ले आई है और साथ ही साथ ट्रक का ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया गया है. इस मामले में मखदुमपुर थाना अध्यक्ष रवि भूषण ने जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि शराब की गिनती की जा रही है. अभी तक लगभग 600 पेटी शराब की गिनती हो चुकी है.
आगे अभी गिनती जारी है, जो की लाखों रुपए का शराब बताया जा रहा है. साथ ही साथ पुलिस गिरफ्तार ड्राइवर से भी पूछताछ कर रही है. अभी तक कि जानकारी के अनुसार यह शराब झारखंड से पटना लाई जा रही थी. हालांकि, पटना में कहां और किसे देना था इस बात की जानकारी ड्राइवर को अभी तक नही थी. वहीं, पुलिस का शराब संबंधित मामलों की जांच अभी चल रही है.
मणिपुर की बीरेन सरकार ने राज्य की शराब पॉलिसी में बदलाव करते हुए शराबबंदी को हटाने का फैसला लिया। कैबिनेट ने यह निर्णय राज्य का राजस्व बढ़ाने और नकली शराब की सप्लाई पर रोक लगाने के लिए लिया गया। गौरतबल है कि साल 1991 से मणिपुर में शराबबंदी लागू थी। बता दें कि मणिपुर में बड़े स्तर पर एक सार्वजनिक आंदोलन हुआ था और फिर राज्य सरकार ने 1991 के माध्यम से शराब पर पाबंदी लगा दी थी। इसके बाद मणिपुर शराब निषेध अधिनियम 1991 में साल 2002 में संशोधन हुआ। इसके तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के लोगों को छोड़कर, परंपरागत तौर पर शराब पीने वाले लोगों के लिए शराब के उत्पाद, बिक्री और खपत पर पाबंदी लगा दी गई थी।
बिहार में भी 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है। राज्य में शराबबंदी को लेकर नीतीश सरकार पर विपक्ष लगातार हमलावर है। विपक्ष की ओर से आरोप लगाया जाता है कि सूबे में शराबबंदी पूरी तरह से फेल है।कुछ दिन पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री जीतन मांझी ने आरोप लगाते हुए कहा था कि राज्य में शराबबंदी सफल नहीं है। दोषपूर्ण है। इसके चलते जेल में बंद 80 फीसदी दलित समाज के लोग हैं। यदि हमारी सरकार आएगी तो हम लोग या तो गुजरात की तर्ज पर इस कानून को लागू करेंगे या पूर्ण रूप से पहले की तरह खुला छोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि मद्य निषेध विभाग द्वारा कराए जा रहे सर्वेक्षण में फिर आएगा कि शराबबंदी सफल है। जातीय सर्वे की तरह ही यह भी झूठा होगा।