अदभुत बा ‘भिखारी ठाकुर’ के संसार
भिखारी ठाकुर जयंती पर विशेष।
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
आजु भिखारी ठाकुर के जयंती बा. ‘भिखारी ठाकुर, अब सबसे लोकप्रिय नाम बाड़े भोजपुरी लोकसाहित्य,लोकसंस्कृति के. 29 कृति सामने आ चुकल बा. प्रकाशित रूप में. अब कवनो तरीका से रहस्य नइखन रह गइल, भिखारी ठाकुर. हां, उहां के विविध आयाम पर शोध—संधान के तमाम संभावना अभी बांचल बा. उहां के रहते, उहां पर काम शुरू हो गइल रहे. ना रहला पर, भी लगातार काम होत रहल बा. कबो गुमनामी में ना रहले. अपना समय में भी बड़-बड़, ज्ञानी-गुणी लोग उहां से प्रभावित भइल, उहां पर काम कइलस. आ ना रहला पर भी इ सिलसिला जारी रहल. साहित्य के रूप में भी आ शोध-संधान के रूप में भी. एकरा अलावा, उहां के नाटकन के मंचन, गीतन के गवनई तो जारी ही बा. बावजूद एकरा, ढेर लोग अइसन बा, जे अचानके खड़ा हो के उनका के रहस्यमयी बनावत कही कि देखीं हम बता रहल बानी पहिलका बेर, ना त केहू बात ना करत रहे भिखारी ठाकुर पर. केहू कहेला कि हम गावत बानी उहां के गीत, ना त जानत के रहे. हमरा वजह से भिखारी ठाकुर के नाम जिंदा भइल. कुछ अइसनका लोग भी बा, जे इहो सार्वजनिक मंच से कह रहल बा कि भिखारी ठाकुर निरक्षर रहले, अनपढ़ रहले. अब जवन भिखारी ठाकुर के लिखावट के फोटो कई साल से किताब में, उहां के निरक्षर कहे के का मतलब बा, ई ओही लोग बताई, जे कहत घरी एक सेकेंड भी ना सोचे. भा हो सकत बा कि मन में ई भाव रहत होखी कि आपन कद बढ़ावल जाये, ई बात कहि के कि एक निरक्षर के हम नायक बना रहल बानी. अइसनका कहेवाला कुल लोग के दुस्साहस आ विवेक के भिखारी ठाकुर के जयंती पर, भिखारी ठाकुर संगे शत-शत नमन,वंदन.
भिखारी ठाकुर के ले के इ सवाल साल भर में कई बेर सामने आवेला कि हम भिखारी ठाकुर के बारे में अधिक से अधिक जानल चाहत बानी. हम उहां पर शोध करल चाहत बानी. बाकि किताब के पता नइखे चलत जादा. संजीव के सूत्रधार पढ़ चुकल बानी. अउरी सामग्री कहां से मिली. आग्रह एहू रहेला कि उनका बारे में बताईं ना. अब केहू के भिखारी ठाकुर के बारे में फोन पर बतावे के सीमा होखी,केहू खातिर. हं, अइसनका लोगन के ई बात जरूर कहीना कि संजीव के सूत्रधार पढ़ले बानी रउआ, बढ़ियां बात बा. बहुत रोचक बा. बहुत बढ़ियां भी. बाकि ओकरा आधार पर भिखारी ठाकुर के व्यक्तित्व-कृतित्व के ले के छवि ना बनाइब मन में. ना ही ओकरा आधार पर आंकलन करब. ना, त एह बात के पूरा संभावना बा कि भिखारी ठाकुर के छवि राउर मन में अलग तरीका के बन जाई. बेशक, हिंदी साहित्य में लोकप्रिय तरीका से संजीव अपना उपन्यास में भिखारी ठाकुर के लवले,बाकि लेखक रूप में उ आपन निजी सोच आ विचार के केहू के व्यक्तित्व पर थोप भी देले. जीवनीपरक उपन्यास में, काल्पनिकता अपना हिसाब से सेट कर देले.साहित्य में काल्पनिकता चलेला, लेखक के आपन झुकाव भी,विचार भी, पर ओकर एक सीमा होला. आ जीवनीपरक काम करत घरी त बहुते सावधान रहे पड़ेला.
ओइसन साथी लोगन खातिर, जे भिखारी ठाकुर के किताबन के बारे में पूछेला, उ लोग खातिर कुछ किताबन के नाम दे रहल बानी. इ अंतिम सूची नइखे कहल जा सकत. एकरा अलावा भी ढेर किताब होई, बाकि हम ओही के नाम दे रहल बानी, जवन हम पढ़ले बानी.बाकि फेर से एक बात कहब. रउआ एह बात के दिमाग में राखीं कि भिखारी ठाकुर के बारे में जाने के सबसे आथेंटिक सोर्स तीन किताब भा लेख मान सकत बानी. समकालीन समय के तीन लोग के लिखल-कहल. पहिलका, उहां के समय ही लिखल महेश्वराचार्य के किताब. दोसरकरा प्रो. रामसुभग सिंह के भिखारी ठाकुर से इंटरव्यू, जवन संभवत: भिखारी ठाकुर के इकलौता इंटरव्यू ह. रामसुभग सिंह, रांची में हिंदी के प्राध्यापक रहनी आ उहां के कलकत्ता में जाई के भिखारी ठाकुर के इंटरव्यू कइले रहीं. एह इंटरव्यू के पहिलका बेर अश्विनी कुमार पंकज, भिखारी ठाकुर के जन्मशताब्दी वर्ष पर ‘बिदेसिया’ नाम से पत्रिका प्रकाशित कर के छपले रहले. आ तीसरकरा, जगदीश चंद्र माथुर के लेख, जवन 1971 में साप्ताहिक हिंदुस्तान पत्रिका के दीपावली विशेषांक में छपल रहे. शीर्षक रहे, भरतमुनि के परंपरा के ग्रामीण कलाकार भिखारी ठाकुर. तैयब हुसैन जी भिखारी ठाकुर के व्यक्तित्व आ कृतित्व पर डॉक्टरेट कइनी.
शेक्सपीयर आफ भोजपुरी इन इंग्लिश— ट्रांसलिटरेशन एंड ट्रांसलेशन और भिखारी ठाकुर बिदेसिया नाम से विजय शंकर प्रसाद जी के अंग्रेजी में शोध प्रबंध बा. मुन्ना पांडेय जी, दिल्ली विश्वविद्यालय से भिखारी ठाकुर के लोक नाट्य पर शोध कइले बानी. अइसन अनेक महत्वपूर्ण काम भइल बा.
भिखारी ठाकुर के ना रहला पर 1972 में भिखारी ठाकुर जयंती क अवसर पर राधे मोहन ‘राधेश’ ‘पहरुआ’ पत्रिका के भिखारी ठाकुर स्मृति विशेषांक निकलनी. अब ओकरा बाद, अगर रउआ प्रामाणिकता आ विश्लेषण के फेर से तीन गो लिखल के तय करब, त फेर भिखारी ठाकुर ग्रंथावली, भिखारी ठाकुर रचनावली आई आ विश्लेषण भा मूल्यांकन में तैयब हुसैन पीड़ित जी के लिखल अनेक लेख भा किताब. बेहतरीन काम में भोजपुरी सम्मेलन पत्रिका के ओह अंक के भी मानल जाला, जवन भिखारी ठाकुर जन्म-शताब्दी विशेषांक के रूप में निकलल रहे. एकरा अलावा भी अनेक स्मारिका, विशेष पत्रिका आदि के प्रकाशन होत रहल बा, जे बहुत बढ़ियां निकलल बा.
फेर से कहल चाहब कि ई फाइनल सूची ना ह. एकरा अलावा भी अनेक काम होखल होखी, अनेक साहित्य छपल होखी. ई सूची अपना जानकारी आ अपना लगे उपलब्ध साहित्य के आधार पर बा.
1. भिखारी ठाकुर: महेश्वर प्रसाद (महेश्वराचार्य)
2- भिखारी: महेश्वराचार्य
3- भिखारी ठाकुर ग्रंथावली : दो भाग में (संकलन-संपादन: अविनाश चंद्र विद्यार्थी, नागेंद्र सिंह, तैयब हुसैन, जलेश्वर ठाकुर, रामदास )
4. लोक कलाकार भिखारी ठाकुर : डी एन राय
5- भिखारी ठाकुर – भोजपुरी के भारतेंदु : भगवती प्रसाद उपाध्याय
7. भिखारी ठाकुर रचनावली: नागेंद्र सिंह, विरेंद्र नारायण यादव
8. बटोही: हृषिकेश सुलभ (जीवनीपरक नाटक)
9. भिखारी ठाकुर और लोकधर्मिता: धनंजय सिंह
10. भारतीय साहित्य के निर्माता श्रृंखला में साहित्य अकादमी से प्रकाशित: भिखारी ठाकुर
लेखक: तैयब हुसैन पीड़ित
11. कामरेड चंद्रशेखर क एमफिल शोध भिखारी ठाकुर के विषय पर
12. सूत्रधार (उपन्यास): लेखक- संजीव
13. भिखारी ठाकुर अनगढ़ हीरा: लोक की कसौटी पर कृत्य की परख: तैयब हुसैन पीड़ित
14. रंग बिदेसिया: संपादक, अश्विनी कुमार पंकज
15. किरण कांत वर्मा के, कहत भिखारी ठाकुर— पिया गइले कलकतवा
16. भोजपुरी नाट्य रंग आ भिखारी ठाकुर: तैयब हुसैन पीड़ित
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