क्या मानसिक स्वास्थ्य पर कोविड टीकाकरण का प्रभाव है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
Covid–19 के टीकाकरण के बाद बिना टीकाकरण वाले व्यक्तियों की तुलना में टीका लगाए गए व्यक्तियों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ कम होती हैं।
- कोविड-19 के बाद 6 महीनों में अवसाद का अतिरिक्त जोखिम टीकाकरण वाले व्यक्तियों में प्रति 100,000 पर 449 था, जबकि टीकाकरण न करवाने वाले व्यक्तियों में यह प्रति 100,000 व्यक्तियों पर 1009 था।
कोविड-19 के बाद मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा कितना गंभीर था?
- चिंता और अवसाद:
- जो व्यक्ति कोविड-19 होने के बाद अस्पताल में भर्ती होने से बच गए, उन्हें चिंता और अवसाद सहित लगातार मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जो ठीक होने के बाद लगभग एक वर्ष तक बनी रहीं।
- लंबे समय तक रहने वाले कोविड के लक्षण लगभग 5% व्यक्तियों को प्रभावित कर रहा है, भले ही इसका कारण कुछ भी हो, इन मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के साथ ओवरलैप होता है, जिससे बोझ बढ़ जाता है।
- स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर बढ़ा बोझ:
- कोविड-19 के बाद मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के बोझ ने स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर दबाव बढ़ा दिया, जिससे इन चुनौतियों का सामना करने वाले व्यक्तियों के लिये निदान, उपचार तथा सहायता के लिये अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता हुई।
- बच्चों तथा सुभेद्य समुदाय पर प्रभाव:
- स्कूल बंद होने, बाधित दिनचर्या तथा सीमित सामाजिक संपर्क ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया, जिससे चिंता एवं अन्य मनोवैज्ञानिक चुनौतियाँ बढ़ गईं।
- हाशियाई समुदाय की आबादी को सामाजिक-आर्थिक असमानताओं के कारण जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिससे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी कमज़ोरियाँ बढ़ गईं।
- दुःख और अलगाव का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- सामाजिक अलगाव, संचार उपकरणों तक सीमित पहुँच, घरेलू तनाव तथा कोविड-19 के कारण, विशेषकर वृद्ध जैसे कमज़ोर समूहों के बीच दोस्तों एवं रिश्तेदारों को खोने के दुःख से मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों बढ़ गई हैं।
मानसिक स्वास्थ्य और टीकाकरण के बीच क्या संबंध है?
- मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों में कमी:
- टीका लगाए गए व्यक्तियों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में कमी देखी गई, भले ही उन्हें मानसिक बीमारी का पूर्व इतिहास रहा हो।
- इससे पता चलता है कि मानसिक स्वास्थ्य परिणामों पर टीकाकरण का प्रभाव पहले से मौजूद विकारों से स्वतंत्र था।
- कोविड-19 की गंभीरता में कमी:
- टीकाकरण ने उन लोगों में कोविड-19 की गंभीरता को कम करने में योगदान दिया, जो वायरस से संक्रमित थे। रोग की गंभीरता पर इस अप्रत्यक्ष प्रभाव से गंभीर बीमारी से जुड़े संकट को कम करके मानसिक स्वास्थ्य परिणामों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने का अनुमान लगाया गया है।
- कम चिंता:
- टीकाकरण से लोगों में सुरक्षा की भावना पैदा हुई और चिंता कम हुई।
- गंभीर बीमारी या कोविड-19 से मृत्यु के प्रति सुरक्षित महसूस करने से महामारी से जुड़ी चिंता और तनाव का स्तर कम हुआ।
भारत में मानसिक स्वास्थ्य बीमारी की स्थिति क्या है?
- परिचय:
- मानसिक स्वास्थ्य किसी व्यक्ति की भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक स्वास्थ्य को संदर्भित करता है, जिसमें उसकी समग्र मानसिक और भावनात्मक परिस्थितियाँ शामिल होती हैं।
- इसमें किसी व्यक्ति की तनाव से निपटने, अपनी भावनाओं को प्रबंधित करने, अच्छे संबंध बनाए रखने, उत्पादक रूप से काम करने और तर्कसंगत निर्णय लेने की क्षमता शामिल है।
- मानसिक स्वास्थ्य समग्र स्वास्थ्य और खुशहाली का एक अभिन्न अंग है तथा यह शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही महत्त्वपूर्ण है।
- भारत में स्थिति:
- भारत में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो-साइंसेज़ के आँकड़ों के अनुसार, 80% से अधिक लोग ज्ञान की कमी, कलंक और देखभाल की उच्च लागत जैसे कई कारणों से देखभाल सेवाओं तक पहुँच नहीं पाते हैं।
- वर्ष 2012-2030 के दौरान मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के कारण आर्थिक नुकसान 1.03 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (WHO) होने का अनुमान है।
- भारत में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो-साइंसेज़ के आँकड़ों के अनुसार, 80% से अधिक लोग ज्ञान की कमी, कलंक और देखभाल की उच्च लागत जैसे कई कारणों से देखभाल सेवाओं तक पहुँच नहीं पाते हैं।
- मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित सरकारी पहल:
- राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP)
- आयुष्मान भारत – स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (AB-HWC)
- राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम
- किरण हेल्पलाइन
- राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम
- युवा स्पंदन योजना (कर्नाटक)
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