रामानुजन को ‘गणितज्ञों का गणितज्ञ’ क्यों कहा जाता है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
रामानुजन द्वारा गणित में की गयी अद्भुत खोजें ही आज के आधुनिक गणित और विज्ञान की आधारशिला बनीं. संख्या सिद्धांत पर रामानुजन के अद्भुत कार्य के लिए उन्हें ‘संख्याओं का जादूगर’ माना जाता है. रामानुजन को ‘गणितज्ञों का गणितज्ञ’ भी कहा जाता है. गणित में अपने योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार से कई सम्मान प्राप्त हुए और वे गणित से जुड़ी सोसायटी में भी अहम पद पर रहे.
इतना ही नहीं, उन्होंने कई नये गणितीय सूत्र भी लिखे. टीबी के कारण महज 32 वर्ष की उम्र में 26 अप्रैल, 1920 को उनका निधन हो गया. रामानुजन मानते थे कि गणित से ही ईश्वर का सही स्वरूप जाना जा सकता है. गणित और अध्यात्म दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. अध्यात्म सैद्धांतिक पक्ष है, तो विज्ञान उसका व्यावहारिक पक्ष. शून्य सभी का आधार है.
बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार, ‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं.’
गणित में श्रीनिवास रामानुजन के योगदान को देखते हुए हर वर्ष उनके जन्म दिवस, 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाता है. प्राचीन काल से ही सभी प्रकार के ज्ञान-विज्ञान में गणित का स्थान सर्वोपरि रहा है. बात चाहे विज्ञान के क्षेत्र में हो या प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्रांति की, व्यापार और वाणिज्य में प्रगति की हो या ललित कलाओं की, गणित के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. हमारे जीवन की ऐसी कोई धारा नहीं है,
जिसमें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से गणित का योगदान न हो. रामानुजन की गणना आधुनिक भारत के उन गणितज्ञों में की जाती है, जिन्होंने विश्व में नये ज्ञान को पाने और खोजने की पहल की. इन्हें आधुनिक काल के महानतम गणित विचारकों में गिना जाता है. रामानुजन को गणित में कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं मिला था, फिर भी उन्होंने विश्लेषण एवं संख्या सिद्धांत के क्षेत्रों में गहन योगदान दिया.
उन्होंने स्वयं से गणित सीखा और अपने पूरे जीवन में गणित के 3,884 प्रमेयों का संकलन किया. इनमें से अधिकांश प्रमेय सही सिद्ध किये जा चुके हैं. उन्होंने गणित के सहज ज्ञान और बीजगणित प्रकलन की अद्वितीय प्रतिभा के बल पर बहुत से मौलिक और अपारंपरिक परिणाम निकाले, जिनसे प्रेरित शोध आज तक हो रहे हैं. यद्यपि इनकी कुछ खोजों को गणित की मुख्यधारा में अब तक नहीं अपनाया गया है.
उनके सूत्रों को क्रिस्टल विज्ञान में प्रयुक्त किया गया है. गणित में उनके स्वर्णिम योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनिटी परिसर में अपनी शोध पताका फहराकर भारत को गौरवान्वित किया. उनकी असाधारण प्रतिभा ने पिछली शताब्दी के दूसरे दशक में गणित की दुनिया को एक नया आयाम दिया. इसी कारण पाश्चात्य गणितज्ञ जीएस हार्डी ने रामानुजन को यूलर, गॉस, आर्कमिडीज तथा आईजैक न्यूटन जैसे दिग्गजों की समान श्रेणी में रखा था.
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