फाइलेरिया उन्मूलन अभियान: जिले का पहला फाइलेरिया क्लिनिक शुरू, स्थानीय मरीजों को उपचार में होगी सहूलियत:
एमडीए कार्यक्रम के तहत दवा खाने के लिए सभी को प्रेरित करना हम सभी की जिम्मेदारी: डॉ एम आर रंजन
फाइलेरिया बीमारियों में शामिल हाथीपांव को सात चरणों में किया गया विभक्त: डब्ल्यूएचओ
श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):
सीवान जिला ही नही बल्कि राज्य को फाइलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में सारण प्रमंडल के अंतर्गत आने वाले सारण और सिवान का पहला फाइलेरिया क्लिनिक (एमएमडीपी) सिवान जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर बसंतपुर प्रखंड मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के ओपीडी में काम करने लगा है।
जिसका विधिवत जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मणि राज रंजन (डॉ एमआर रंजन), स्थानीय प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ कुमार रवि रंजन, वीडीसीओ राजेश कुमार, डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ माधुरी देवाराजू, पीरामल स्वास्थ्य के जिला प्रतिनिधि कुंदन कुमार ने संयुक्त रूप से फ़ीता काटकर किया गया। इस अवसर पर बीसीएम सरफराज अहमद, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के क्षेत्रीय कार्यक्रम समन्वयक धर्मेंद्र कुमार रस्तोगी, डीसी जमाल अख्तर, बीसी सुमित कर सहित कई अन्य कर्मी उपस्थित थे।
क्लीनिक में फाइलेरिया से पीड़ित मरीजों को मिलेगा बेहतर उपचार:
फाइलेरिया क्लीनिक के खुलने से प्रखंड के अलावे आसपास के फाइलेरिया से पीड़ित मरीजों को उपचार में सुविधा मिलेगी। इसके लिए प्रत्येक मंगलवार और गुरुवार को सुबह आठ से दो बजे तक ओपीडी में फाइलेरिया से पीड़ित मरीजों का इलाज होगा। इसके बाद ये फाइलेरिया से पीड़ित व्यक्ति अपने समाज और गांव तथा पंचायत के लोगों को फाइलेरिया बीमारी के बारे में जागरूक करेंगे।
एमडीए कार्यक्रम के तहत दवा खाने के लिए सभी को प्रेरित करना हम सभी की जिम्मेदारी: डॉ एम आर रंजन
उद्घाटन के बाद जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मणि राज रंजन ने उपस्थित लोगों से कहा कि आगामी 10 फरवरी से जिले में सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया संक्रमण को रोकने के लिए दवा खिलाई जाएगी। फाइलेरिया के मरीजों को बेहतर सुविधा एवं क्लीनिकल ट्रीटमेंट उपलब्ध कराने को लेकर राज्य सरकार द्वारा बिहार के सभी जिलों में मार्डीबिलिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी (एमएमडीपी) प्रीवेंशन क्लिनिक खोलने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया था। जिसके आलोक में सारण और सिवान जिले का पहला फाइलेरिया क्लिनिक का शुभारंभ किया गया है। फाइलेरिया जैसी बीमारी के प्रति आम जनमानस को जागरूक करने के लिए हम सभी को एकजुट होना पड़ेगा। क्योंकि एमडीए कार्यक्रम के दौरान अधिक से अधिक लोगों को दवा सेवन करने के लिए प्रेरित किया जा सके।
बसंतपुर में 272 फाइलेरिया मरीजों की हुई पहचान: एमओआईसी
स्थानीय बसंतपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ कुमार रवि रंजन ने कहा कि फाइलेरिया (हाथीपांव) मरीजों की देखभाल के लिए बसंतपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के ओपीडी में सिवान जिला ही नही बल्कि सारण का भीं पहला रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता रोकथाम (एमएमडीपी) फाइलेरिया क्लिनिक का शुभारंभ विभागीय अधिकारियों के द्वारा किया गया है। स्थानीय स्तर पर मंगलवार और गुरुवार को सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक हाथीपांव के मरीज अपना सलाह, उपचार एवं सफाई को लेकर ओपीडी में प्रतिनियुक्ति स्टाफ नर्स से मिलकर जानकारी ले सकते हैं। बसंतपुर में 272 फाइलेरिया मरीज को चिन्हित किया गया हैं। जिसमें हाइड्रोसील के 29 मरीज को चयनित किया गया है। हालांकि स्थानीय पर हाईड्रोसिल मरीजों का समय समय पर ऑपरेशन की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाती हैं।
फाइलेरिया बीमारियों में शामिल हाथीपांव को सात चरणों में किया गया विभक्त: डब्ल्यूएचओ
डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ माधुरी देवाराजू के द्वारा उपस्थित नेटवर्क सदस्यों सहित आशा कार्यकर्ता और एएनएम को फाइलेरिया से संबधित प्रशिक्षण दिया गया। वही नेटवर्क सदस्य मुस्लिम मियां और अरुणा देवी को एमएमडीपी कीट से संबंधित प्रशिक्षण देने के बाद साफ सफाई कराया गया। ताकि आगे के दिनों में बीमारी से बचाव और सुरक्षित रहने के तौर तरीको को अपनाते हुए दूसरों को भी जागरूक किया जा सके। साथ ही उपस्थित कर्मियों को बताया गया कि फाइलेरिया बीमारियों में शामिल हाथीपांव (लिम्फोडिमा) को 7 चरणों में विभक्त किया गया है। लेकिन स्टेज बढ़ जाने पर कभी भी यह बीमारी ठीक नहीं हो सकती है। आमतौर पर फाइलेरिया का कोई स्पष्ट रूप से लक्षण दिखाई नहीं देता है। लेकिन बुखार, पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द के साथ ही सूजन की समस्या दिखाई देती है।
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