कट्टरपंथी मौलाना मसूद उस्मानी की गोली मारकर हत्या,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पाकिस्तान में बीते कुछ महीने में कई कट्टरपंथियों की हत्या कर दी गई है। अब सुन्नी उलेमा काउँसिल के नेता मौलाना मसूद उर रहमान उस्मानी को शुक्रवार को दिन दहाड़े गोली मार दी गई। जानकारी के मुताबिक हमलावर मोटरसाइकल पर आए थे। उन्होंने उस्मानी की कार पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं। इसके बाद गंभीर हालत में उस्मानी को अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इस हमले की जिम्मेदारी अभी किसी संगठन ने नहीं ली है। हालांकि हत्या के पीछे कई ऐंगल सामने आ रहे हैं।
भारत के खिलाफ भी उगलता था आग
मौलाना उस्मानी भारत के खिलाफ भी आग उगले से बाज नहीं आता था। वह भड़काऊ भाषण देने के लिए जाना जाता था। कई बार उसने भारत में भी जिहाद का जिक्र किया था। हालांकि सीधे तौर पर आतंकी हमलों में कभी उस्मानी का नाम नहीं आया था।
ईरान से लिंक
यह भी कहा जा रहा है कि इस हमले में ईरान का हाथ हो सकता है। दरअसल सुन्नी नेता उस्मानी ईरान विरोधी माना जाता था। हाल ही में ईरानी बलों पर हुए हमले में सुन्नी आतंकवादी शामिल थे। इसके अलावा ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान में भी एक महीने पहले हमला हुआ था। इसके बाद ईरान ने पाकिस्तानी संगठनों पर हमले का आरोप लगाया था। अब कई जानकारों का कहना है कि हो सकता है ईरान ने उस्मानी की हत्या करवाकर बदला लिया हो।
बता दें कि मौलाना उस्मानी सुन्नी संगठन सिपाह सहाबा पाकिस्तान का नेता था। पाकिस्तान के प्रशासन का कहना है कि अब तक हमलावरों के बारे में कुछ पता नहीं चल पाया है। उस्मानी की अंतिम यात्रा के दौरान भी ईरान विरोधी नारे लगाए गए। इस दौरान भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। पुलिस का कहना है कि सीसीटीवी वीडियो की बुनियाद पर संदिग्धों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है।
पाकिस्तान में बलूचों का आंदोलन जोर पकड़ रहा है। बलूच युवकों पर आतंकवाद का आरोप लगाकर हत्या करने के मामलों से भड़के लोग बीते करीब दो सप्ताह से राजधानी इस्लामाबाद को घेरे हुए हैं। करीब 1600 किलोमीटर लंबा मार्च करके राजधानी पहुंचे बलूच अब कार्यवाहक पीएम अनावरुल हक काकर के बयान पर और भड़क गए हैं। काकर ने मंगलवार को बलूच आंदोलनकारियों को आतंकियों का समर्थक बता दिया था और आरोप लगाया था कि ये लोग भारत की शह पर यहां जुटे हैं। उन्होंने इस आंदोलन के पीछे RAW का हाथ बताया था, जिससे बलूच भड़क गए हैं और आज इस्लामाबाद बंद का ही ऐलान कर दिया है।
बलूच आंदोलनकारियों का कहना है कि पीएम अनवारुल हक काकर का बयान उनका डर जाहिर कर रहा है। दरअसल हजारों बलूचों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, जो इस्लामाबाद में डेरा डाले बैठे हैं। सुरक्षा बलों की ओर से तमाम सख्तियों के बाद भी इन लोगों ने वापसी से इनकार कर दिया है। इन लोगों का आरोप है कि पाकिस्तानी सुरक्षा बल बेगुनाह बलोचों को निशाना बना रहे हैं। बड़ी संख्या में बलूच युवा गायब हुए हैं या फिर उनकी हत्या कर दी गई। वहीं अब पीएम अनवारुल हक काकर के बयान ने आग में घी डालने का काम किया है। काकर के बयान से यह भी जाहिर हुआ कि उन्हें बलूच आंदोलन से बांग्लादेश जैसा डर सता रहा है।
मंगलवार को उन्होंने अपने बयान में यह भी कहा कि बलूच आंदोलनकारी भूल रहे हैं कि यह न तो 1971 है और न ही वह पाकिस्तान है। इन लोगों को याद रखना चाहिए कि बांग्लादेश नहीं बनने जा रहा। अनवारुल हक काकर ने तो इन आंदोलनकारियों की तुलना आतंकियों से कर दी। काकर ने कहा, ‘हम अब भी उनके आंदोलन करने के अधिकार का सम्मान करते हैं क्योंकि उनके अपने लोग गायब हुए हैं। लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि वे देश के खिलाफ खड़े हैं और रॉ का सहारा ले रहे हैं। इस आंदोलन को भारत ने फंडिंग की है। यह विदेशी मदद से चलने वाला सशस्त्र विद्रोह है।’
उनकी इस बात ने भी जाहिर कर दिया कि पाक पीएम को बलूच आंदोलन से बांग्लादेश वाला डर सता रहा है। बांग्लादेश की मुक्ति के पीछे भी पाकिस्तान भारत को ही जिम्मेदार ठहराता रहा है। बता दें कि 1971 की जंग में पाकिस्तान की करारी हार हुई थी और उसके 90 हजार से ज्यादा सैनिकों ने भारत के सामने सरेंडर कर दिया था।
कैसे भारत ने 1971 की मदद और बिखर गया पाकिस्तान
इसी जंग के नतीजे में बांग्लादेश के तौर पर अलग मुल्क का ही गठन हुआ था। जो कभी पूर्वी पाकिस्तान कहलाता था। इस तरह पाकिस्तान अपने गठन के 24 साल बाद ही बिखर गया था। गौरतलब है कि बलूच भी आजादी की मांग करते हुए लंबे समय से आंदोलन करते रहे हैं। वे अपने को अलग पहचान वाला बताते हैं और पाकिस्तान पर उत्पीड़न के आरोप लगाते हैं।
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