क्या भारत में लीची की खेती का विस्तार हो रहा है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

परंपरागत रूप से बिहार के मुज़फ्फरपुर ज़िले तक सीमित रहने वाली लीची की कृषि में 19 भारतीय राज्यों में महत्त्वपूर्ण विस्तार देखा गया है, जो भारत में बागवानी को बढ़ावा देता है।

  • यह विकास बिहार के मुज़फ्फरपुर स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र (National Research Centre on Litchi- NRCL) के प्रयासों से हुआ है।

लीची के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • वनस्पति वर्गीकरण: लीची सैपिन्डेसी परिवार (Sapindaceae family) से संबंधित है और अपने स्वादिष्ट, रसीले, पारदर्शी एरिल (translucent aril) या खाने योग्य गूदे के लिये जानी जाती है।
  • जलवायु: लीची मुख्यतः उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में उत्पादित होती है और नम स्थितियाँ इसकी खेती के लिये अनुकूल होती हैं। इसकी फसल के लिये कम ऊँचाई वाले क्षेत्रों में, लगभग 800 मीटर की ऊँचाई तक, आदर्श जलवायु होती है।
  • मृदा: लीची की खेती के लिये आदर्श मिट्टी कार्बनिक पदार्थों से भरपूर गहरी, अच्छे जल निकासी वाली दोमट मिट्टी होती है।
  • तापमान: लीची अत्यधिक तापमान के प्रति संवेदनशील है। यह गर्मियों में 40.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान या सर्दियों में ठंडे तापमान को सहन नहीं कर सकती है।
  • वर्षा का प्रभाव: लंबे समय तक वर्षा, विशेषकर फूल आने के दौरान, इसके परागण में बाधा उत्पन्न कर सकती है तथा फसल पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
  • भौगोलिक कृषि: भारत में वाणिज्यिक कृषि परंपरागत रूप से उत्तर में त्रिपुरा से लेकर जम्मू-कश्मीर तक हिमालय की तलहटी पहाड़ियों तथा उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के मैदानी इलाकों तक ही सीमित थी।
    • भारत के लीची उत्पादन का लगभग 40% मात्र बिहार में होता है। बिहार के बाद पश्चिम बंगाल (12%) तथा झारखंड (10%) का स्थान है।
  • वैश्विक उत्पादन: चीन के बाद भारत विश्व स्तर पर लीची का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। अन्य प्रमुख लीची उत्पादक देशों में थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण-अफ्रीका, मेडागास्कर तथा संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।

उद्यान कृषि क्या है?

  • परिचय:
    • उद्यान कृषि (हॉर्टीकल्चर) से तात्पर्य फलों, सब्ज़ियों, फूलों, सजावटी पौधों तथा अन्य फसलों की कृषि के विज्ञान, कला एवं अभ्यास से है।
    • इसमें मानव उपयोग तथा उपभोग के लिये पौधों की खेती, प्रबंधन, प्रसार एवं सुधार से संबंधित गतिविधियों की एक विस्तृत शृंखला शामिल है।
  • उद्यान कृषि के लिये पहल:
    • एकीकृत उद्यान कृषि विकास मिशन:
      • एकीकृत उद्यान कृषि विकास मिशन फलों, सब्ज़ियों और अन्य क्षेत्रों को कवर करने वाले उद्यान कृषि क्षेत्र के समग्र विकास के लिये एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
      • MIDH के तहत, भारत सरकार सभी राज्यों में विकासात्मक कार्यक्रमों के लिये कुल परिव्यय का 60% योगदान देती है (उत्तर पूर्वी और हिमालयी राज्यों को छोड़कर जहाँ केंद्र सरकार 90% योगदान देती है) तथा 40% योगदान राज्य सरकारों द्वारा दिया जाता है।
    • उद्यान कृषि क्लस्टर विकास कार्यक्रम:
      • यह एक केंद्रीय क्षेत्र का कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य चिह्नित उद्यान कृषि समूहों को विकसित करना और उन्हें विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाना है।
      • ‘उद्यान कृषि क्लस्टर’ लक्षित उद्यान कृषि फसलों का एक क्षेत्रीय/भौगोलिक संकेंद्रण है।

 

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