स्वास्थ्य विभाग ने शिक्षा विभाग और पीरामल स्वास्थ्य के अधिकारियों के साथ एमडीए को लेकर की बैठक
एमडीए अभियान के दौरान स्कूली बच्चों को दवा
एमडीए अभियान के तहत स्कूली बच्चों को शत प्रतिशत दवा खिलाने के लिए की गई अपील: डीईओ
क्यूलेक्स मादा मच्छर के काटने से होता है फाइलेरिया: डॉ सुषमा शरण
श्रीनारद मीडिया, गोपालगंज, (बिहार):
आगामी 10 फरवरी से होने वाले सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम की शत प्रतिशत सफ़लता के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी राज कुमार शर्मा के अध्यक्षता में जिले के सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की गई। जिसमें बिहार सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम पर विस्तृत रूप से चर्चा की गई। इस अवसर पर जिला शिक्षा पदाधिकारी राज कुमार शर्मा, वीडीसीओ प्रशांत कुमार, पीरामल फाउंडेशन के जिला प्रतिनिधि विंध्यवासिनी राय, पीएल सुमन सिंह, डीपीओ आनंद कश्यप सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी उपस्थित थे।
एमडीए अभियान के तहत स्कूली बच्चों को शत-प्रतिशत दवा खिलाने के लिए की गई अपील: डीईओ
जिला शिक्षा पदाधिकारी राज कुमार शर्मा ने उपस्थित जिले के सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों से अपील करते हुए कहा कि जिले के सभी 2 आयु वर्ग से ऊपर के बच्चों को एमडीए अभियान के तहत खिलाए जाने वाले दवा का सेवन अनिवार्य रूप से कराना सुनिश्चित करना है। ताकि जिले से फाइलेरिया जैसी बीमारी से जिलेवासियों को बचाया जा सके। क्योंकि फाइलेरिया बीमारी से ग्रसित होने पर इसका संपूर्ण इलाज नहीं किया जा सकता है। इसलिए लोगों को फाइलेरिया नहीं हो सके इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रत्येक साल एक बार एमडीए कार्यक्रम चलाया जाता है।
क्यूलेक्स मादा मच्छर के काटने से होता है फाइलेरिया: डॉ सुषमा शरण
ज़िला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ सुषमा शरण ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी क्यूलेक्स मादा मच्छर द्वारा फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को काटने के बाद उनके शरीर का फाइलेरिया कीटाणु सामान्य लोगों को काटने पर उन्हें शरीर में छोड़ दिया जाता है। लेकिन इसकी पहचान 5 साल बाद सूजन होने पर हो सकती है। इसलिए इससे सुरक्षित रहने के लिए लोगों को निश्चित रूप से एमडीए कार्यक्रम के दौरान आशा द्वारा खिलाई जा रही दवा का सेवन करना चाहिए। इससे सभी लोग फाइलेरिया बीमारी से सुरक्षित रह सकते हैं।
– डीईसी व एल्बेंडाजोल की दवा स्थानीय आशा के माध्यम से खिलाई जाएगी: डीपीओ
पीरामल फाउंडेशन के डीपीओ आनंद कश्यप ने कहा कि सर्वजन दवा सेवन के दौरान 02 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को डीईसी व एल्बेंडाजोल की दवाई स्थानीय आशा के माध्यम से खिलाई जाती है। जिसमें यह दवा 02 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारी से ग्रस्त लोगों को नहीं खिलाया जाता है। लगातार पांच साल तक साल में एक बार इसका उपयोग करने पर लोग फाइलेरिया से सुरक्षित रह सकते हैं। लोगों को यह दवा आशा कर्मियों की उपस्थिति में नास्ता या खाना खाने के बाद सेवन करने के लिए जानकारी दी गई।