भारत में GST से संबंधित वर्तमान प्रमुख चुनौतियाँ क्या है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
हालिया वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST) राजस्व डेटा एक चिंताजनक परिदृश्य उजागर करता है जिसके अनुसार भारतीय राज्यों में उपभोग वृद्धि एक समान नहीं है जिससे राष्ट्रीय आर्थिक सुधार में संभावित असंगति का पता चलता है।
हाल के GST से संबंधित आँकड़ों के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
- कुल GST संग्रह: वर्ष 2022-23 की तुलना में वर्ष 2023-24 के प्रथम नौ महीनों में इसमें 11.7% की वृद्धि दर्ज की गई।
- केंद्रीय GST की तुलना में राज्य GST संग्रह उच्च दर (15.2%) से बढ़ा जो राज्यों में मौजूद विविध उपभोग/खपत स्वरूप का सुझाव देता है।
- राज्यों के बीच असमानताएँ: मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों में राज्य GST राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि (17% से 18.8%) दर्ज की गई जबकि गुजरात, पश्चिम बंगाल एवं आंध्र प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में एकल-अंकीय वृद्धि हुई।
- सबसे कम निजी उपभोग विस्तार: राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office- NSO) का अनुमान है कि वर्तमान वर्ष के लिये निजी अंतिम उपभोग व्यय (Private Final Consumption Expenditure- PFCE) की वृद्धि केवल 4.4% होगी जो वर्ष 2002-03 (महामारी के समय के अतिरिक्त) के बाद से सबसे धीमी है।
- PFCE को निवासी परिवारों और परिवारों की सेवा करने वाले गैर-लाभकारी संस्थानों (Non-Profit Institutions Serving Households- NPISH) द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं की अंतिम खपत पर किये गए व्यय के रूप में परिभाषित किया गया है, इसमें आर्थिक क्षेत्र के भीतर अथवा बाह्य व्यय दोनों शामिल हैं।
वस्तु एवं सेवा कर क्या है?
- परिचय: GST एक मूल्य वर्द्धित कर प्रणाली है जो भारत में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है।
- यह एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर है जिसे 1 जुलाई, 2017 को 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के माध्यम से ‘एक राष्ट्र एक कर’ के नारे के साथ भारत में लागू किया गया था।
- कर स्लैब: नियमित करदाताओं के लिये प्राथमिक GST स्लैब वर्तमान में 0% (शून्य-रेटेड), 5%, 12%, 18% और 28% हैं।
- कुछ GST दरें हैं जिनका आमतौर पर कम उपयोग किया जाता है, जैसे– 3% और 0.25%।
- GST के लाभ:
- सरलीकृत कर व्यवस्था: GST ने कई अप्रत्यक्ष करों को प्रतिस्थापित कर दिया, जिससे अनुपालन आसान हो गया और व्यवसायों के लिये कागज़ी कार्रवाई कम हो गई।
- पारदर्शिता में वृद्धि: ऑनलाइन GST पोर्टल कर प्रशासन को सरल बनाता है और प्रणाली में पारदर्शिता को बढ़ावा देता है।
- कर का बोझ कम होना: व्यापक करों के समाप्त होने से कीमतें कम होने से उपभोक्ताओं को लाभ होता है।
- आर्थिक विकास को बढ़ावा: कर बाधाओं को दूर करके और दक्षता में सुधार करके, GST से उच्च आर्थिक विकास तथा रोज़गार सृजन में योगदान की उम्मीद है।
- GST परिषद: GST परिषद एक संवैधानिक निकाय है जो भारत में GST के कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दों पर सिफारिशें करने के लिये ज़िम्मेदार है।
- संशोधित संविधान के अनुच्छेद 279A (1) के अनुसार, GST परिषद का गठन राष्ट्रपति द्वारा किया गया था।
भारत में GST से संबंधित वर्तमान प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- जटिलता और अनुपालन बोझ: भारत में GST में कई कर स्लैब के साथ एक जटिल संरचना है, जिससे अनुपालन आवश्यकताओं में वृद्धि हुई है।
- यह जटिलता व्यवसायों, विशेषकर छोटे उद्यमों के लिये विविध नियमों को समझने और उनका पालन करने में एक चुनौती पेश करती है।
- प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढाँचे की तैयारी: GST का सफल कार्यान्वयन काफी हद तक मज़बूत तकनीकी बुनियादी ढाँचे पर निर्भर करता है। व्यवसायों के बीच तकनीकी तत्परता की कमी और प्रौद्योगिकी को अपनाने में असमानता जैसे मुद्दे GST नेटवर्क के निर्बाध कामकाज में बाधा बन सकते हैं।
- इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) सत्यापन: सरकारी अधिकारियों ने हाल ही में GST बकाया की चोरी में शामिल 29,000 से अधिक फर्जी फर्मों की पहचान की है और उनका भंडाफोड़ किया है।
- सभी राज्यों में एकाधिक पंजीकरण: कई राज्यों में काम करने वाले व्यवसायों को GST अनुपालन के लिये प्रत्येक राज्य में अलग-अलग पंजीकरण करना होगा।
- पंजीकरण की यह बहुलता प्रशासनिक बोझ बढ़ाती है और अखिल भारतीय उपस्थिति वाले व्यवसायों के लिये अनुपालन लागत बढ़ाती है, जिससे लॉजिस्टिक चुनौतियों में योगदान होता है।
आगे की राह
- कर संरचना को सरल और तर्कसंगत बनाना: कर स्लैब की संख्या को कम करके GST कर संरचना को सरल बनाना।
- अधिक स्पष्ट और एकसमान कर प्रणाली, व्यवसायों के लिये अनुपालन को आसान बनाएगी तथा कर दायित्वों की स्पष्ट समझ को बढ़ावा देगी।
- अनुपालन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना: व्यवसायों पर प्रशासनिक बोझ को कम करने के लिये अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल और सुव्यवस्थित करने की दिशा में काम करने की आवश्यकता है। इसमें रिटर्न फाइलिंग प्रक्रियाओं में सामंजस्य स्थापित करना, समय पर रिफंड सुनिश्चित करना और टैक्स फाइलिंग के लिये उपयोगकर्त्ता के अनुकूल इंटरफेस लागू करना शामिल हो सकता है।
- कर चोरी-रोधी उपायों पर ध्यान देना: विशेष रूप से नकली चालान और धोखाधड़ी गतिविधियों के माध्यम से कर चोरी को रोकने के उपायों को मज़बूत करने की आवश्यकता है।
- संदिग्ध लेनदेन की पहचान करने के लिये उन्नत डेटा एनालिटिक्स और प्रौद्योगिकी का उपयोग करना तथा धोखाधड़ी प्रथाओं को रोकने के लिये गैर-अनुपालन हेतु कड़े दंड लागू करना।
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