टीबी मुक्त अभियान- एक्सरे टेक्नीशियन के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का हुआ शुभारंभ:
अल्ट्रा पोर्टेबल एक्सरे मशीन में बहुत ही कम रेडिएशन की आशंका: सीडीओ
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सामुदायिक स्तर पर जनांदोलन के रूप में कार्य करने की जरूरत: मोहन कुमार
संदिग्ध मरीजों की जांच सुनिश्चित होनी के बाद ही टीबी उन्मूलन अभियान होगा सफल: अमरजीत प्रभाकर
श्रीनारद मीडिया, छपरा (बिहार):
एक्सरे मशीन की तुलना में बहुत ही कम रेडिएशन की आशंका अल्ट्रा पोर्टेबल एक्सरे मशीन में होती हैं। यह सहज और सुगमता पूर्वक इस्तेमाल होने वाली एक्स-रे मशीन है। क्योंकि इसको बैगपैक की तरह आसानी से ऑपरेटर के द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से बहुत ही जल्द परिणाम सामने आ जाता है। हालांकि इसके संचालन के लिए भी विभाग से लाइसेंस लेना पड़ता है। उक्त बातें संचारी रोग पदाधिकारी डॉ रत्नेश्वर प्रसाद सिंह ने सदर अस्पताल परिसर स्थित जीएनएम भवन के सभागार में दो दिवसीय अल्ट्रा पोर्टेबल एक्सरे मशीन के प्रशिक्षण के उद्घाटन समारोह के दौरान कही।
इस अवसर पर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ रत्नेश्वर प्रसाद सिंह, डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार सिंह, डीपीसी हिमांशु शेखर, डब्ल्यूजेसीएफ के राज्य प्रमुख अमरजीत प्रभाकर, वर्ल्ड विजन इंडिया के राज्य प्रमुख मोहन कुमार, एमएनई सुशांत कुमार झा, लैब इंडिया के नितेश मिश्रा, सिफार के धर्मेंद्र रस्तोगी, डब्ल्यूजेसीएफ के दीपक, वर्ल्ड विजन इंडिया के जिला प्रतिनिधि रणधीर कुमार, जिला पर्यवेक्षक पंकज कुमार, सामुदायिक उत्प्रेरक सुनील कुमार, फहीम फतीम सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी उपस्थित थे।
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सामुदायिक स्तर पर जनांदोलन के रूप में कार्य करने की जरूरत: मोहन कुमार
वर्ल्ड विजन इंडिया के राज्य प्रमुख मोहन कुमार ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कहा कि टीबी की पहचान उसके लक्षण आने से पहले ही हो जाए। इसके लिए हम सभी को मिलकर एक दूसरे को जागरूक करने के लिए एक साथ कार्य करने की आवश्यकता है। अमूमन ऐसा देखा जाता है कि टीबी रोगियों में लक्षण आने के बाद उनके रोग की पहचान होती है। ऐसे में उनमें रोग की संभावना प्रबल तो होती ही है, साथ ही संक्रमण का प्रसार भी हो चुका होता है। इसलिए जरुरी है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जनप्रतिनिधियों के साथ ही स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सामुदायिक स्तर पर जनांदोलन के रूप में कार्य करना पड़ेगा।
संदिग्ध मरीजों की जांच सुनिश्चित होनी के बाद ही
टीबी उन्मूलन अभियान होगा सफल: अमरजीत प्रभाकर
डब्ल्यूजेसीएफ के राज्य प्रमुख अमरजीत प्रभाकर ने
कहा कि लगभग 42 प्रतिशत टीबी मरीजों की पहचान एक्से रे मशीन के द्वारा ही संभव हो जाता है। लेकिन टीबी उन्मूलन अभियान तभी संभव होगा जब अधिक से अधिक संदिग्ध मरीजों की जांच सुनिश्चित किया जाएगा। हालांकि कितने लोगों में बिना किसी लक्षण के भी टीबी होते हैं। ऐसे में एक्सरे जांच बहुत ही उपयोगी हो जाता है। इसके लिए सभी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम, एसटीएस और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। इससे वैसे लोगों को भी सहुलियत होगी जो अस्पताल नहीं पहुंच पाते हैं।
जिले के एक्सरे टेक्नीशियन को किया जा रहा है प्रशिक्षित: जिला प्रतिनिधि
वर्ल्ड विजन इंडिया के जिला प्रतिनिधि रणधीर कुमार ने कहा की दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में गड़खा, परसा, मांझी, अमनौर, एकमा, मशरख के एक्सरे टेक्नीशियन को शामिल किया गया है। सबसे अहम बात यह है कि पोर्टेबल एक्स-रे मशीन को मोबाइल उपकरण माना जाता है क्योंकि इसे अस्पताल के साथ विभिन्न स्थानों पर आसानी से कही भी लेकर जा सकता है। क्योंकि यह एक बैटरी द्वारा आपूर्ति की गई इलेक्ट्रिक मोटर द्वारा संचालित होती है जो रेडियोग्राफर द्वारा न्यूनतम प्रयास के साथ मोबाइल यूनिट चलाने की गति में सहायता करता है। मोबाइल एक्स-रे सिस्टम का उपयोग अक्सर उन रोगियों की छाती की रेडियोग्राफी करने के लिए किया जाता है जिन्हें रेडियोलॉजी विभाग में नहीं ले जाया जा सकता है।
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