लक्ष्मण रेखा और दक्ष रेखा : डा. महेन्द्र शर्मा
श्रीनारद मीडिया, वैद पण्डित प्रमोद कौशिक, (हरियाणा)
पानीपत : शास्त्री आयुर्वेदिक अस्पताल के संचालक एवं प्रख्यात ज्योतिषाचार्य डा. महेन्द्र शर्मा ने बताया की श्री राम चरित मानस और श्री शिव पुराण में दो रेखाओं का वर्णन आता है। जिनको हम एक सीमा या मर्यादा के रूप में रेखांकित कर सकते हैं। लक्ष्मण रेखा से तात्प्रेय किसी सीमा का उल्लंघन करना है तो दक्ष रेखा का अर्थ एक कुएं का मेढ़क बन कर रह जाना है अर्थात ‘किं कर्तव्य विमुढता’ किसी भी बात या विषय को अन्य कोणों से न सोचना अर्थात एक प्रकार का दल दल में फंसे रहना।
रामायण में बनवास काल खण्ड में पंचवटी में सीता जी मारीच नामक राक्षस जो छद्म स्वर्ण मृग का वेष बना कर आया था उस को लाने के लिए जानकी भगवान श्री राम को मजबूर कर देती है, मृग इधर उधर भागते हुए भगवान के काबू में नहीं आता तो एक छद्म आकाशवाणी होती है … हे लक्ष्मण! हे सीते! सीता को लगा कि उसके पति के प्राण खतरे में है तो वह लक्ष्मण को उसके भाई की दुहाई देकर राम को तलाशने के लिए भेजती है । लक्ष्मण भी मजबूर हो जाते हैं और सीता की रक्षा के लिए एक आणविक रेखा खींच देते है और सीता को यह कह कर जाते हैं इस रेखा का उल्लंघन न करना। जैसे ही राम की खोज में लक्ष्मण वन में जाते हैं , उस रेखा का उल्लंघन करते ही सीता जी का हरण हो जाता है। दूसरी रेखा है दक्ष रेखा। दक्ष प्रजापति अपनी बेटी सती को शिव भक्ति में लीन थी लेकिन दक्ष का भगवान शिव से वैर था। जब वह सती अपने पिता को आश्वस्त करते हुए यह कहती हैं, भगवान शिव तो उसे प्रेम करने से मना करते हैं लेकिन वह क्या करे ? तो दक्ष प्रजापति क्रोध में आकर अपनी बेटी को दक्ष रेखा में बंदी बना देते हैं , इस रेखा के मध्य में तेरा जीवन बीतेगा। इस में न तो तूं बाहर जा सकेगी और न ही शिव इस रेखा को पार कर के इधर आ सकेंगे।
कमोबेश आज यही स्थिति है भारतीय राजनीति की … जो यह नहीं समझती शिव का अर्थ कल्याण होता है। वह स्वयं को एक सीमित दायरे में रह कर राजनीति करना चाहती हैं और कल्याण शब्द का अर्थ नहीं समझ पा रही की बहुसंख्यक सनातन धर्मी राष्ट्र में वोट बैंक राजनैतिक संकीर्णता से अब नैया पार नहीं हो सकती। इसी कांग्रेस के अध्यक्ष पंडित बाल गंगा धर तिलक ने 1893 ईo में भाद्रपद माह के श्री गणेशोत्सव को सार्वजनिक बना कर जनमानस को एकत्र कर स्वतंत्रता के भाव जागृत किए थे। तत्कालीन कांग्रेस राजनीति में तब हिंदू मुस्लिम या किसी प्रकार की सांप्रदायिक राजनीति का आरोप नहीं लगा था और फिर 1918 ईo में पंडित बाल गंगा धर तिलक कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने तो अब राष्ट्र में सर्वत्र दशरथ जानकी वल्लभ भगवान श्री राम की जय जयकार हो रही है तो अब आम जनमानस के भावों को भाव नहीं दे रहे और भारतीय जनमानस के मानस पटल पर तो राम अंकित है।
राम की अवहेलना करोगे तो किसी काम के नहीं रहोगे। यहां पंडित बाल गंगा धर जैसी एक राजनैतिक दूरदर्शिता की परमावश्यक्ता है। पंडित नेहरू और गांधी जी से बड़ा कोई हिंदू सनातनी दूरदर्शी शायद ही कभी कोई हो… आज आप पाकिस्तान और ईरान के मध्य युद्ध के समाचार सुन रहे हैं। पo जी और गांधी जी ने देश को हिंदू और मुस्लिम याने भारत और पाकिस्तान बनवा कर हिंदुस्तान को सीधे इस्लामिक उग्रवाद आक्रमण से बचा लिया कि भारत और मध्य एशिया के बीच में पाकिस्तान भारत के लिए एक कवच (shield) है। आज आप सीरिया अफगानिस्तान पाकिस्तान ईरान इराक में देखें कि धार्मिक उन्माद के नाम कितनी हत्याएं हो रही हैं isis बन गया है। यदि मध्य एशिया और हमारे बीच में पाकिस्तान न होता तो इन का उग्रवाद हम को सीधे सहन करना पड़ता। नित्य झगड़े हमले हत्याएं उग्रवाद अराजकता होती। आज राष्ट्र येन केन प्रकारेण सब पर नियन्त्रण करने में सक्षम तो है।
इसलिए श्री राम के नाम पर स्वयं को एक दक्ष रेखा के भीतर संकुचित न कर के रखें वृहद सोच का परिचय दें। भाजपा ने बिना चव्वनी खर्चे 2024 चुनाव के लिए विजय का द्वार खोल लिया और आप न जाने कहां सोए पड़े है। क्या कभी सोए हुए शेर के मुख में मृग को फंसते देखा है।
डॉ. महेन्द्र शर्मा “महेश”
देवभूूमे पानीपत।
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