नीतीश कुमार कल सीएम पद से दे सकते हैं इस्तीफा, NDA के साथ बनाएंगे सरकार
इस फॉर्मूले पर बिछेगी सियासी बिसात!
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
बिहार की राजनीति में बीते एक सप्ताह से चल रहा अटकलों का दौर शनिवार को समाप्त हो सकता है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग होने और राजग के साथ नई सरकार बनाने की घोषणा कर दें। वे राजभवन जाकर त्याग पत्र दे दे। उसके बाद भाजपा और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के 82 विधायक उनके समर्थन में राज्यपाल को पत्र सौपेंगे।
122 का जादूई आंकड़ा
महागठबंधन के दलों को शाम तक नीतीश के अगले कदम के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई थी। 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में सरकार के सामान्य बहुमत के लिए 122 सदस्यों का समर्थन चाहिए। भाजपा के 78, जदयू के 45 और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के चार विधायकों के अलावा निर्दलीय सुमित कुमार सिंह के समर्थन से बहुमत का आंकड़ा हासिल हो जाता है। 10 अगस्त 2022 से पहले तक नीतीश की सरकार इसी आंकड़े के बल पर चल रही थी।
सूत्रों ने बताया कि दिसंबर में यह सूचना मिलने के साथ ही नीतीश कुमार खिन्न हो गए थे कि सरकार को अपदस्थ कर अपने नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए राजद सक्रिय है। हालांकि, इसका कोई ठोस प्रमाण सामने नहीं आया। लेकिन, एहतियात के रूप में नीतीश ने जदयू की कमान स्वयं संभाल ली। इसके साथ ही यह कयास शुरू हो गया था कि वे गठबंधन बदलने जा रहे हैं। राजद के साथ उनका प्रत्यक्ष मतभेद शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को लेकर था।
राजद नेतृत्व ने उनके विभाग बदलने की सहमति दे दी तो माना गया कि विवाद समाप्त हो गया। इधर, जननायक कर्पूरी ठाकुर को सर्वोच्च भारत रत्न सम्मान देकर केंद्र सरकार ने नीतीश की पुरानी मांग पूरी कर दी। उसके अगले दिन 24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर की जन्म शताब्दी समारोह में मुख्यमंत्री ने भारत रत्न के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि उनकी कुछ और मांगें हैं। उनका इशारा राज्य को विशेष दर्जा देने की मांग की ओर था। समझा जाता है कि जल्द ही केंद्र सरकार राज्य को विशेष दर्जा या विशेष पैकेज के बारे में कोई ठोस आश्वासन देगी।
सहयोगियों से विमर्श
नीतीश कुमार के साथ साझा सरकार बनाने से पहले भाजपा ने अपने सहयोगी दलों से राय-विचार किया। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने हम के संस्थापक जीतन राम मांझी और राष्ट्रीय लोक जनता दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात की। इससे पहले, लोजपा रा के अध्यक्ष चिराग पासवान से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने बातचीत की थी। रालोजपा के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस पहले से सहमत थे। चारों सहयोगी दलों दलों की सहमति के बाद भाजपा ने नीतीश से बातचीत की। देर शाम नीतीश ने अपने वरिष्ठ सहयोगियों से विमर्श किया। तय हुआ कि राजग के साथ अगली सरकार का गठन हो।
आज दिन भर दिखी दरार
महागठबंधन खेमें दिन पर गहमागहमी रही और कई अवसरों पर जदयू और राजद के बीच का मतभेद भी सामने आया। सुबह गणतंत्र दिवस समारोह में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बीच की दूरी नजर आई।राजभवन में आयोजित हाई टी पार्टी में तेजस्वी नहीं आए। मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता के बीच तेजस्वी के लिए निर्धारित कुर्सी पर भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी बैठे। मुख्यमंत्री से जब यह पूछा गया कि तेजस्वी इस समारोह में नहीं आए, उनका कहना था कि इस प्रश्न का उत्तर तो वही दे सकते हैं, जो नहीं आए हैं।
लालू भी सता बचाने के कर रहे है प्रया
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने शुक्रवार को दिन भर अपने वरिष्ठ सहयोगियों के साथ मंत्रणा की। वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी, सांसद मनोज झा, अब्दुल बारी सिद्दीकी, जयप्रकाश नारायण यादव, श्याम रजक सहित कई नेता इसमें शामिल थे। बताया जा रहा है कि लालू यादव ने पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के बेटे को उप मुख्यमंत्री बनाने का भी ऑफर दिया है। हालांंकि पूर्व सीएम श्री मांझी और उनके बेटा एनडीए में रहने का दावा किया है।
राजद सूत्रों ने सरकार बनाने की कोशिश करने जैसी संभावना को अस्वीकार किया। कहा कि हम सब लोकसभा चुनाव की तैयारी में लग रहे हैं। चुनाव परिणाम से ही भाजपा और नीतीश कुमार को जवाब दिया जाएगा। इससे पहले सांसद मनोज झा ने नीतीश कुमार से आग्रह किया था कि वे फेरबदल की चर्चाओं के मद्देनजर अपना पक्ष बताएं। नीतीश की ओर से सफाई नहीं आई।
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