नीतीश कुमार सबसे अधिक बार मुख्यमंत्री बनने का बनाया रिकॉर्ड,कैसे?
नीतीश कुमार ने एनडीए को बताया पुराना घर
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार 9वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बन गए हैं. इसके साथ उन्होंने सबसे अधिक बार सीएम बनने का रिकॉर्ड भी बना लिया है. राजद के साथ गठबंधन समाप्त करने के बाद उन्होंने एनडीए के साथ मिलकर नई सरकार बनाई.
नीतीश सबसे अधिक बार बने सीएम, लेकिन उनकी पार्टी को बिहार में कभी नहीं मिली बहुमत
नीतीश कुमार ने खुद को एक ऐसे नेता के रूप में स्थापित किया है, जिन्होंने सबसे लंबे समय तक बिहार में शासन किया, जबकि उनकी पार्टी कभी भी अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई. इस उपलब्धि के पीछे छिपा हुआ तथ्य और उनका राजनीतिक कौशल यह है कि नीतीश (72) कभी भी अपने सहयोगियों के साथ सहज नहीं रह सके, जिसके कारण उन्हें कई बार साझेदार बदलने पड़े.
1985 में पहली बार विधायक बने थे नीतीश कुमार
नीतीश को पहली चुनावी सफलता 1985 के विधानसभा चुनाव में मिली, जिसमें कांग्रेस ने शानदार जीत हासिल की, हालांकि वह लोकदल के लिए हरनौत सीट जीतने में कामयाब रहे. पांच साल बाद, वह बाढ़ सीट (अब समाप्त कर दी गई) से सांसद चुने गए. इसके बाद, जब मंडल लहर अपने चरम पर थी और प्रसाद इसका लाभ उठा रहे थे, नीतीश ने जॉर्ज फर्नांडीस के साथ मिलकर समता पार्टी बनाई, जो बाद में जनता दल (यूनाइटेड) में तब्दील हो गई. जद(यू) ने भाजपा के साथ केंद्र में सत्ता साझा की और, फिर 2005 से राज्य में सत्ता संभाली.
नीतीश कुमार के पहले पांच वर्षों के काम को आलोचकों भी करते हैं याद
मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश के पहले पांच वर्षों को उनके आलोचकों द्वारा भी प्रशंसा के साथ याद किया जाता है क्योंकि नीतीश ने बिहार में कानून और व्यवस्था को मजबूत किया, जो आपराधिक घटनाओं और फिरौती के वास्ते अपहरण के लिए अक्सर चर्चा रहता था. मंडल आयोग की लहर में उभरे कुर्मी नेता को यह भी एहसास हुआ कि वह बहुत अधिक आबादी वाले जाति से ताल्लुक नहीं रखते, जिसके बाद उन्होंने ओबीसी और दलितों के बीच उप-कोटा बनाया, जिन्हें अति पिछड़ा (ईबीसी) और महादलित कहा गया. उनका यह निर्णय प्रमुख जाति समूहों -यादव और पासवान के समर्थकों को नागवार गुजरा.
2013 में नीतीश बीजेपी से हुए थे अलग
वर्ष 2013 में भाजपा से अलग होने के बाद भी नीतीश सत्ता में बने रहे क्योंकि उस समय बहुमत के आंकड़े से कुछ ही सदस्य कम रही जद(यू) को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के असंतुष्ट गुट के अलावा कांग्रेस और भाकपा जैसी पार्टियों से बाहर से समर्थन मिला. हालांकि, एक साल बाद, उन्होंने लोकसभा चुनाव में जद(यू) की हार के लिए नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ दिया. एक साल से भी कम समय में उन्होंने जीतन राम मांझी को हटाकर मुख्यमंत्री के रूप में वापसी की और इस बार उन्हें राजद और कांग्रेस का भरपूर समर्थन मिला.
2017 में फिर एनडीए में लौटे नीतीश कुमार
जद(यू), कांग्रेस और राजद के एक साथ आने से अस्तित्व में आए ‘महागठबंधन’ ने 2015 के विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की, लेकिन केवल दो वर्षों में इसमें दरार पड़ गई. कुमार 2017 में भाजपा नीत राजग में लौट आए.
2022 में फिर बीजेपी से नीतीश कुमार का हुआ मोहभंग
पांच साल बाद, उनका फिर से भाजपा से मोहभंग हो गया और उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में जद(यू) की हार के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया क्योंकि चिराग पासवान ने अपनी लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर भाजपा के कई बागियों को मैदान में उतारा था. अगस्त 2022 में वह महागठबंधन में वापस आए, जिसमें तीन वामपंथी दल भी शामिल हैं.
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने रविवार को बिहार के नौवें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. इससे पहले उन्होंने राज्यपाल को अपने पद से इस्तीफा सौंप दिया था. इस्तीफा देकर नीतीश कुमार ने कहा कि लोग राजद के रवैये से नाराज थे. इसलिए उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दिया. इसके बाद रविवार शाम पांच बजे का समय नई सरकार के शपथ ग्रहण के लिए तय किया गया. जिसमें मुख्यमंत्री और आठ मंत्रियों ने शपथ लिया. शपथ ग्रहण समारोह के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रेस कांफ्रेंस कर इस बात पर खुशी जाहिर की.
अब इधर उधर नहीं जाना
शपथ ग्रहण के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बीजेपी के साथ हम पहले भी थे और आज भी हैं. हम विकास को आगे बढ़ाएंगे. हम बिहार के हित में काम करते रहेंगे. बिहार में बहुत जल्द मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आगे कहा कि हम एनडीए के साथ पहले भी थे, लेकिन बीच में कुछ समय के लिए दूसरे के साथ चले गए थे. अब फिर से वहीं आ गए हैं. मेरे साथ दो डिप्टी सीएम बने हैं. नीतीश कुमार ने ऐलान किया कि अब इधर-उधर नहीं जाना.
राजद और कांग्रेस पर साधा निशाना
इससे पहले एक अणे मार्ग में हुई एनडीए विधायक दल की बैठक में भी जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि मौजूदा सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा था. महागठबंधन के घटक दल के नेता ठीक से काम नहीं कर रहे थे, केवल श्रेय लेना चाहते थे. राज्य के विकास के लिए ऐसी परिस्थिति में अब हम एनडीए के साथ सरकार बनाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि जो सरकार थी, उसको समाप्त करने का हमने गवर्नर साहब को बोल दिया है. अब पहले के गठबंधन को छोड़कर नया गठबंधन बनाये हैं.
राज्यपाल को सौंपा 128 विधायकों का समर्थन पत्र
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजभवन पहुंचकर 128 विधायकों का समर्थन पत्र राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर को सौंपकर सरकार बनाने की दावेदारी पेश की. राज्यपाल ने नीतीश कुमार को सरकार बनाने का न्योता दिया. राज्यपाल को सौंपे गये 128 विधायकों के समर्थन पत्र में जदयू के 45, भाजपा के 78, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के चार और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन शामिल है.