Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
सेंगोल के साथ संसद में राष्ट्रपति का स्वागत,कैसे? - श्रीनारद मीडिया

सेंगोल के साथ संसद में राष्ट्रपति का स्वागत,कैसे?

सेंगोल के साथ संसद में राष्ट्रपति का स्वागत,कैसे?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

नया संसद भवन बुधवार को एक अनोखी, आकर्षक और नई परंपरा का भी गवाह बना। भारतीय राज्य व्यवस्था के नए सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में उभरे सेंगोल को बजट सत्र की शुरुआत के अवसर पर जिस तरह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की अगवानी और उन्हें विदा करने के क्रम में प्रयोग किया गया, वह अभिभाषण से इतर दिन के सबसे बड़े आकर्षण के रूप में नोट किया गया। नए संसद भवन में यह दोनों सदनों की पहली संयुक्त बैठक थी, राष्ट्रपति का पहला अभिभाषण और लोकसभा के मौजूदा सदस्यों के लिए मेल-मिलाप का आखिरी सत्र।

राष्ट्रपति मुर्मु के संसद परिसर में आगमन से पहले ही सेंगोल को उसके लिए निर्धारित स्थान स्पीकर के आसन के दायें कोने में से निकालकर पूरे सम्मान के साथ गज द्वार तक ले जाया गया, जहां उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे।

संगीतकारों ने परंपरागत स्वागत ध्वनि बजाई

संयुक्त सत्र की बैठक के लिए लोकसभा हाल तक आने के क्रम में सेंगोल को उनसे पांच-छह कदम की दूरी पर लोकसभा के वरिष्ठ मार्शल राजील शर्मा आगे-आगे लेकर चले। इस दौरान संगीतकारों के एक दल ने परंपरागत स्वागत ध्वनि बजाई। जब राष्ट्रपति अपने लिए निर्धारित स्थान पर बैठ गईं तो सेंगोल को राष्ट्रपति के सामने लोकसभा महासचिव की मेज के आगे स्थापित किया गया। इस नई परंपरा में सदन में तैनात मार्शल पीले रंग की कुर्ते-पाजामे की परंपरागत पोशाक, स्कार्फ और पगड़ी पहने हुए थे।

दोनों सदनों के सदस्यों ने मेज थपथपा कर उनका स्वागत किया

सेंगोल के प्रति अद्भुत श्रद्धा और सम्मान का प्रदर्शन करते हुए मार्शल ने उसे मूल स्थान से हटाने और अस्थाई रूप से नई जगह स्थापित करने के दौरान प्रणाम भी किया और इस पूरे प्रसंग के दौरान नंगे पैर भी रहे। मुर्मु छह घोड़ों वाली अपनी बग्घी पर सवार होकर अपने सुरक्षाकर्मियों के दस्ते के साथ संसद भवन पहुंचीं थीं। दोनों सदनों के सदस्यों ने मेज थपथपा कर उनका स्वागत किया तो सत्ताधारी भाजपा के सांसदों ने भारत माता की जय, जय श्रीराम और जय सियाराम जैसे नारों के साथ मेजें थपथपाकर उनका स्वागत किया।

सेंगोल आसन के बगल में स्थापित

राष्ट्रपति की विदाई के समय भी सेंगोल को उसी तरह गज द्वार तक ले जाया गया और इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने अपनी उपस्थिति में उसे मूल स्थान यानी अपने आसन के बगल में स्थापित करा दिया। छड़ी जैसे सेंगोल को गत मई में प्रयागराज के संग्रहालय से मंगाकर प्रधानमंत्री मोदी ने नए संसद भवन में स्थापित किया था।

75 मिनट के भाषण में 100 से अधिक बार बजी तालियां

लगभग 75 मिनट तक चले राष्ट्रपति के संबोधन में सत्तापक्ष की ओऱ से सौ से अधिक बार तालियां बजाईं गईं, क्योंकि उपलब्धियों की श्रृंखला भी लंबी थी और इस खेमे के सदस्यों का उत्साह भी अधिक। सबसे तेज और सबसे देर तक तालियां तब बजीं जब राष्ट्रपति ने अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण का उल्लेख करते हुए कहा कि सदियों पुरानी आकांक्षा पूरी हुई।

गूंजते रहे जय श्रीराम के नारे

इस दौरान लगभग 10 सेकेंड तक जय श्रीराम के नारे गूंजते रहे, पीएम भी मेज थपथपाते रहे और राष्ट्रपति शांति होने के लिए इंतजार करती रहीं। मुर्मु ने अपने संबोधन के दौरान तीन बार अलग-अलग तरीके से श्रीराम मंदिर का उल्लेख किया। एक बार यह सूचना देने के लिए भी कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद अगले पांच दिनों में 13 लाख लोग रामलला के दर्शन कर चुके हैं।

राजनयिक गैलरी में कई देशों के राजदूत उपस्थित

पूर्व के कुछ अनुभवों के विपरीत विपक्षी सदस्यों ने राष्ट्रपति ने संबोधन को पूरी शांति से सुना। केवल एक बार विरोध की हल्की आवाज तब उठी जब पूर्वोत्तर में हुए विकास के उल्लेख के दौरान एक सदस्य ने मणिपुर का नाम लिया। अभिभाषण के दौरान सदस्यों की अनेक खाली कुर्सियों ने कम उपस्थिति की अनुभूति कराई। वहीं राजनयिक गैलरी में ब्राजील, मिस्त्र, मालदीव, नेपाल समेत कई देशों के राजदूत भी उपस्थित थे।

Leave a Reply

error: Content is protected !!