अधिक समझ से बनता है अच्छा तालमेल- पीएम
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तेजी से बदलती दुनिया में न्याय देने में देशों के बीच सहयोग का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने को न्याय दिलाने में सीमा पार चुनौती विषय पर दो दिवसीय लीगल एजुकेशन एसोसिएशन (सीएलईए) कामनवेल्थ अटार्नीज एंड सॉलिसिटर्स जनरल कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन संबोधन में कहा कि जब हम सहयोग करते हैं , तो एक दूसरे की व्यवस्था को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। अधिक समझ से अच्छा तालमेल बनता है और जल्द न्याय मिलता है।
पीएम मोदी ने इन मुद्दों पर दिलाया ध्यान
प्रधानमंत्री ने इस तरह के सम्मेलन को महत्वपूर्ण बताते हुए आर्थिक और साइबर अपराधों की ओर ध्यान दिलाया और कहा कि 21वीं सदी के मुद्दों को बीसवीं सदी के नजरिये से नहीं निपटाया जा सकता। इसके लिए कानूनी प्रणालियों को आधुनिक बनाने, प्रणाली को अधिक सुदृढ़ और अनुकूल बनाने सहित पुनर्विचार, पुनर्कल्पना और सुधार की जरूरत है।
पीएम मोदी ने भारतीय परंपरा में न्याय के महत्व पर दिया जोर
प्रधानमंत्री शनिवार को विज्ञान भवन में दो दिवसीय कांफ्रेंस के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि न्याय प्रणाली को अधिक नागरिक केंद्रित बनाए बिना सुधार नहीं हो सकता, क्योंकि न्याय की सुगमता न्याय प्रदान करने का एक स्तंभ है। भारतीय परंपरा में न्याय के महत्व पर जोर देते हुए प्राचीन कहावत न्यायमूलं स्वराज्यम स्यात का उल्लेख किया, जिसका अर्थ है कि स्वतंत्र स्वशासन का मूल है और न्याय के बिना किसी राष्ट्र का अस्तित्व भी संभव नहीं है।
सीमा पार चुनौतियां की प्रासंगिकता पर जोर दिया
प्रधानमंत्री ने कॉन्फ्रेंस के विषय न्याय दिलाने में सीमा पार चुनौतियां की प्रासंगिकता पर जोर दिया और न्याय सुनिश्चित करने के लिए देशों के साथ आने की आवश्यकता का उल्लेख किया। उन्होंने हवाई और समुद्री यातायात नियंत्रण जैसी प्रणालियों के सहयोग और परस्पर निर्भरता का जिक्र करते हुए कहा कि हमें जांच करने और न्याय दिलाने में सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है।
एक दूसरे के अधिकार क्षेत्र का सम्मान करते हुए सहयोग किया जा सकता है, क्योंकि जब हम साथ काम करते हैं, तो अधिकार क्षेत्र बिना देरी किए न्याय देने का एक उपकरण बन जाता है। हाल के दिनों में अपराध की प्रकृति में और उसके दायरे में दिख रहे बड़े बदलावों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कई देशों के अपराधियों के बनाए गए विशाल नेटवर्क और फंडिंग तथा संचालन दोनों में नवीनतम तकनीक के उपयोग की ओर इशारा किया।
उन्होंने इस सच्चाई की ओर भी सबका ध्यान आकर्षित किया कि एक क्षेत्र में आर्थिक अपराधों का उपयोग दूसरे क्षेत्रों में गतिविधियां चलाने के लिए फंड मुहैया कराने में किया जा रहा है और इससे क्रिप्टो करेंसी और साइबर खतरों के बढ़ने की चुनौतियां भी हैं। प्रधानमंत्री ने कॉन्फ्रेंस में आये विदेशी मेहमानों से अतुल्य भारत को पूरी तरह देखने का भी आग्रह किया।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने क्या कहा?
इस मौके पर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि प्रौद्योगिकी एक ताकतवर शक्ति की तरह उभरी है और यह सुनिश्चित होना चाहिए कि प्रौद्योगिकी समाधान समानता और समावेशिता को ध्यान में रख कर तैयार किये जाएं। हम परंपरा और नवाचार के चौराहे पर खड़े हैं, प्रौद्योगिकी न्याय के लिए एक शक्तिशाली शक्ति के रूप में उभरती है। हालांकि यह न्याय की गति और पहुंच को बढ़ाने का वादा करती है, लेकिन हमें सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि भारतीय समाज के भीतर गहरी जड़ें जमा चुकी संरचनात्मक और वित्तीय पदानुक्रम यह सुनिश्चित करने की मांग करती है कि प्रौद्योगिकी अनजाने में मौजूदा समस्याओं को न बढ़ाए। कॉन्फ्रेंस के शुभारंभ समारोह में प्रधानमंत्री और प्रधान न्यायाधीश के अलावा केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी बोले।
क्या है कॉन्फ्रेंस का मुख्य उद्देश्य?
कॉन्फ्रेंस में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि मंडलों के साथ साथ एशिया- प्रशांत , अफ्रीका और कैरेबियाई क्षेत्रों में फैले राष्ट्रमंडल देशों के अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल की भागीदारी देखी गई। कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य कानूनी शिक्षा और अंतरराष्ट्रीय न्याय वितरण में चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक व्यापक रोडमैप विकसित करना है।
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