नये आर्थिक तकनीकी विकास के लिए बढ़ते कदम से क्या तात्पर्य है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में अपने संबोधन में कहा कि विगत 10 वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गयी है. अब आगामी पांच वर्ष विकसित भारत की बुनियाद के होंगे. स्टार्टअप, पेटेंट और सेमीकंडक्टर सहित विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भर भारत का परचम दुनिया में फहराते हुए दिखेगा.
गौरतलब है कि इन दिनों राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में भी एकमत से कहा जा रहा कि भारत 2030 तक दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था और 2047 तक विकसित देश बन सकता है. वित्त मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट ‘द इंडियन इकोनॉमी- ए रिव्यू’ में कहा गया है कि अगले तीन साल में भारतीय अर्थव्यवस्था पांच ट्रिलियन डॉलर की हो जायेगी और भारत आर्थिक आकार के लिहाज से अमेरिका व चीन के बाद तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगा.
रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया है कि पिछले एक दशक में सरकार के साहसिक आर्थिक निर्णयों ने देश की आर्थिक बुनियाद को मजबूत बना दिया है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में चमकता हुआ सितारा है और जिस तरह आर्थिक सुधारों की डगर पर आगे बढ़ रहा है, वह 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के सपने को साकार कर सकता है. पिछले दिनों चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित आलेख में कहा गया है कि भारत तेज आर्थिक विकास के साथ एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में उभरा है.
दुनिया की प्रमुख रेटिंग एजेंसियां एकमत से कह रही हैं कि भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की डगर पर तेजी से बढ़ रहा है. इसमें कोई दो मत नहीं कि इस समय भारत के पास टिकाऊ विकास के अभूतपूर्व अवसर हैं. वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक मंचों पर भारत को विशेष अहमियत, अमेरिका और रूस से मित्रता, बढ़ते भारतीय बाजार के कारण कई देशों की भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते की ललक, प्रवासी भारतीयों द्वारा 2023 में 125 अरब डॉलर से अधिक धन देश को भेजने के साथ नये आर्थिक तकनीकी विकास के लिए बढ़ते कदम, चीन के प्रति बढ़ती नकारात्मकता के मद्देनजर भारत नये वैश्विक आपूर्तिकर्ता देश के रूप में उभरा है.
इसके साथ मजबूत लोकतंत्र और स्थिर सरकार के रूप में भारत की पहचान, शेयर बाजार का सबसे तेजी से बढ़ना, सबसे बड़ी युवा आबादी, उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन, बड़े पैमाने पर पूंजीगत खर्च, गैर जरूरी आयात में कटौती और अर्थव्यवस्था के बाहरी झटकों से उबरने की क्षमता टिकाऊ विकास की बुनियाद बन सकती हैं. यह भी अहम है कि भारत द्वारा जी-20 की सफल अध्यक्षता से नये आर्थिक लाभों की ऐसी अभूतपूर्व संभावनाएं मिली हैं,
जिससे निर्यात, विदेशी निवेश, विदेशी पर्यटन और डिजिटल विकास का नया क्षितिज उभर रहा है. अफ्रीकी संघ को जी-20 में शामिल कराकर भारत ने इन देशों से नये आर्थिक लाभों की उम्मीदों को बढ़ाया है. इससे अब भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी तेजी से बढ़ेगा. वैश्विक स्तर पर ऐसे निवेश में गिरावट के रुझान के बीच भारत सर्वाधिक निवेश पाने वाले 20 देशों की सूची में आठवें पायदान पर रहा है. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 616 अरब डॉलर से अधिक हो चुका है.
भारतीय शेयर बाजार भी बड़ी बढ़त पर है. दो फरवरी को सेंसेक्स 72,000 को पार कर गया था, जो आम चुनाव के पहले 80,000 हजार तक जा सकता है. साथ ही अब कृषि, मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन, सीमेंट, इलेक्ट्रिसिटी, ट्रांसपोर्ट, ऑटोमोबाइल, फॉर्मा, फुड प्रोसेसिंग और टेक्सटाइल, ई-कॉमर्स, बैंकिंग, मार्केटिंग, डेटा एनालिसिस, साइबर सिक्योरिटी, आईटी, रिटेल ट्रेड, हॉस्पिटेलिटी आदि क्षेत्र अच्छा करते दिखेंगे. भारत नये मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की राह पर बढ़ता दिखाई देगा.
हमें आर्थिक चुनौतियों पर भी ध्यान देना होगा. देश के सामने डॉलर की तुलना में रुपये के गिरते मूल्य की चुनौती भी है. भारत को आईएमएफ की उस चेतावनी पर भी ध्यान देना होगा कि भारत में केंद्र और राज्यों का सामान्य सरकारी कर्ज जीडीपी के 100 फीसदी के पार जा सकता है. आर्थिक रणनीतिकारों को वैश्विक आर्थिक प्रतिकूल परिस्थितियों के मद्देनजर रक्षात्मक रणनीति बनाने के लिए भी तैयार रहना होगा.
हमें 2030 तक सात ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए सालाना 7-8 फीसदी विकास दर की जरूरत होगी. यह भी ध्यान देना होगा कि हमारे शिक्षा संस्थान भविष्य की फैक्ट्री बनें. छोटे और मध्यम उद्योगों, कृषि एवं हैंडीक्रॉफ्ट सेक्टर के लिए मार्केटिंग की नयी रणनीति बनायी जाए. जो देश विकसित और शक्तिशाली बने हैं, उनकी सफलता में अन्य चीजों के साथ राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण भी अहम रहा है.
ऐसे में हमें भारतीय मूल्यों, संस्कृतियों और अपने नायकों की वीरता की सराहना के साथ विविधता के बीच एकजुटता बढ़ानी होगी तथा प्रवासी भारतीयों में भारत के प्रति और अधिक जुड़ाव की भावना पैदा करनी होगी. इससे देश 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 2047 तक विकसित भारत बनने की डगर पर तेजी से बढ़ता हुआ दिखाई दे सकेगा.