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हमारी पार्टी भी दूसरों को दे दी, हमारा चुनाव चिह्न भी छीना – शरद पवार

हमारी पार्टी भी दूसरों को दे दी, हमारा चुनाव चिह्न भी छीना – शरद पवार

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

एनसीपी पर कुछ दिन पहले निर्वाचन आयोग ने बड़ा फैसला लेते हुए पार्टी का चिह्न और नाम अजीत पवार के पास थमा दी। उधर, शरद पवार सिर्फ देखते रह गए। आयोग के फैसले ने शरद पवार को बैचेन कर दिया है। अब उनका कहना है कि फैसला आश्चर्यजनक था। क्योंकि आयोग ने उन लोगों के हाथों से पार्टी को छीन लिया, जिन्होंने इसे बनाया और उसे किसी और को थमा दिया।

बता दें कि इस महीने की शुरुआत में निर्वाचन आयोग ने एनसीपी को लेकर बड़ा फैसला लिया। आयोग ने आधिकारिक रूप से एनसीपी का नाम और अलार्म घड़ी अजीत पवार को थमा दी। आयोग के मुताबिक, चाचा शरद पवार और भतीजे अजीत पवार के बीच एनसीपी में वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी। इस मामले में छह महीने के दरम्यान 10 बार की सुनवाई हुई और आयोग ने एनसीपी अजीत पवार को थमा दी। आयोग के मुताबिक, अजीत के पास पार्टी के विधायकों का ज्यादा समर्थन था।

इस प्रकरण पर हालांकि शरद पवार खेमा सुप्रीम कोर्ट में अपील कर चुका है। लेकिन, शरद पवार आयोग के इस फैसले से बैचेन हैं। शरद पवार ने रविवार को कहा कि अजीत पवार के नेतृत्व वाले समूह को एनसीपी का नाम और चुनाव चिह्न आवंटित करने का चुनाव आयोग का निर्णय “आश्चर्यजनक” था क्योंकि चुनाव आयोग ने उन लोगों के हाथों से पार्टी को “छीन” लिया है, जिन्होंने इसे स्थापित किया था।

न्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि लोग चुनाव आयोग के फैसले का समर्थन नहीं करेंगे, जिसके खिलाफ हमने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।” उन्होंने कहा, चुनाव आयोग ने न सिर्फ हमारा चुनाव चिह्न छीना बल्कि हमारी पार्टी भी दूसरों को सौंप दी।

1999 में एनसीपी की स्थापना करने वाले शरद पवार ने कहा, “चुनाव आयोग ने उन लोगों के हाथों से पार्टी छीन ली जिन्होंने इसे स्थापित किया और इसे बनाया और इसे दूसरों को दे दिया। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।”

 चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव से ऐन पहले शरद पवार गुट को तगड़ा झटका देते एनसीपी अजीत पवार की झोली में डाल दी। अब एनसीपी का नाम और चुनाव चिह्न अजीत पवार के पास रहेगा। आयोग के फैसले पर शरद पवार गुट बिफरा हुआ है। जितेंद्र आव्हाड ने कहा है कि चुनाव आयोग को अपने फैसले से “शर्मिंदा होना चाहिए”। उन्होंने कहा कि अजित पवार ने अपने चाचा और पार्टी के संस्थापक शरद पवार का “राजनीतिक रूप से गला घोंट दिया”। हालांकि फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह रहे हैं।

शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र आव्हाड ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, “यह होने वाला था। हम यह पहले से ही जानते थे। आज उन्होंने (अजित पवार ने) शरद पवार का राजनीतिक गला घोंट दिया है। इसके पीछे केवल अजित पवारहैं। इसमें शर्मिंदा होने वाला एकमात्र चुनाव आयोग है। शरद पवार ऐसे शख्स हैं जो फिर से राख से उठ खड़े होंगे। हमारे पास अभी भी ताकत है क्योंकि हमारे पास शरद पवार हैं। हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।”

पिछले 6 महीने में 10 से अधिक सुनवाई
पिछले छह महीनों में 10 से अधिक सुनवाई के बाद, चुनाव आयोग ने पार्टी के संस्थापक और उनके चाचा शरद पवार को झटका देते हुए, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट को “असली” एनसीपी करार दिया। इसके साथ ही एनसीपी के अजित पवार गुट को ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न सौंपा।

गौरतलब है कि जुलाई 2023 से दोनों के बीच गुटीय विवाद चल रहा है, जब अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दी थी और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए थे।

शरद पवार गुट की प्रतिक्रिया
घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए शरद पवार की बेटी और एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने कहा, “मुझे लगता है कि जो शिव सेना के साथ हुआ, वही आज हमारे साथ हो रहा है। इसलिए, यह कोई नया आदेश नहीं है। बस नाम बदल दिए गए हैं लेकिन विषयवस्तु वही है।” शरद पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि चुनाव आयोग का फैसला “चौंकाने वाला” था, उन्होंने कहा कि वे इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे।

शरद पवार के पास विकल्प क्या हैं
जयंत पाटिल ने कहा, “हम इस नतीजे का विस्तार से अध्ययन करेंगे और फिर इस पर अपना अगला कदम फाइनल करेंगे। हम इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे और हमें यकीन है कि देश का सुप्रीम कोर्ट हमें न्याय देगा।”

एनसीपी का नाम और चुनाव चिह्न छिनने के बाद शरद पवार गुट को चुनाव आयोग ने आज शाम तक का वक्त देते हुए तीन नाम और तीन चुनाव चिह्न के ऑप्शन मांगे थे। सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि शरद गुट ने पोल पैनल के आदेश पर नई पार्टी के लिए नाम और निशान के सुझाव दे दिए। जिसमें शरद पवार गुट का नया नाम फाइनल हो गया है। चुनाव आयोग ने शरद पवार गुट को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी- शरदचंद्र पवार नाम दिया है।

इससे एक दिन पहले 6 फरवरी को चुनाव आयोग ने शरद पवार गुट को तगड़ा झटका देते हुए असली एनसीपी अजीत पवार गुट के हवाले कर दिया। आयोग के मुताबिक, पिछले 6 महीने में 10 बार की सुनवाई के बाद पोल पैनल ने यह फैसला लिया। हालांकि फैसले के बाद शरद पवार गुट ने तीखी प्रतिक्रिया दी और चुनाव आयोग की कड़ी आलोचना की। शरद पवार गुट इस प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगा चुका है। जवाब में अजीत पवार गुट भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दायर कर चुका है।

शरद गुट ने क्या नाम और चिह्न सुझाए थे
शरद पवार गुट ने चुनाव आयोग को अपनी पार्टी के लिए तीन नाम और प्रतीक सौंपे थे। चुनाव आयोग ने शरद गुट को आज शाम पांच बजे तक का वक्त दिया था। सूत्रों के मुताबिक, शरद पवार के गुट ने जो नाम प्रस्तावित किए थे, उसमें शरद पवार कांग्रेस, एमआई राष्ट्रवादी, शरद स्वाभिमानी और तीन प्रतीक के रूप में- ‘चाय का कप’, ‘सूरजमुखी’ और ‘उगता सूरज’के सुझाव दिए थे। चुनाव आयोग ने शरद पवार गुट को नया नाम दे दिया है- NCP-शरदचंद्र पवार।

इससे एक दिन पहले 6 फरवरी को चुनाव आयोग ने शरद पवार गुट को तगड़ा झटका देते हुए असली एनसीपी अजीत पवार गुट के हवाले कर दिया। आयोग के मुताबिक, पिछले 6 महीने में 10 बार की सुनवाई के बाद पोल पैनल ने यह फैसला लिया। हालांकि फैसले के बाद शरद पवार गुट ने तीखी प्रतिक्रिया दी और चुनाव आयोग की कड़ी आलोचना की। शरद पवार गुट इस प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगा चुका है। जवाब में अजीत पवार गुट भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दायर कर चुका है।

शरद गुट ने क्या नाम और चिह्न सुझाए थे
शरद पवार गुट ने चुनाव आयोग को अपनी पार्टी के लिए तीन नाम और प्रतीक सौंपे थे। चुनाव आयोग ने शरद गुट को आज शाम पांच बजे तक का वक्त दिया था। सूत्रों के मुताबिक, शरद पवार के गुट ने जो नाम प्रस्तावित किए थे, उसमें शरद पवार कांग्रेस, एमआई राष्ट्रवादी, शरद स्वाभिमानी और तीन प्रतीक के रूप में- ‘चाय का कप’, ‘सूरजमुखी’ और ‘उगता सूरज’के सुझाव दिए थे। चुनाव आयोग ने शरद पवार गुट को नया नाम दे दिया है- NCP-शरदचंद्र पवार।

आयोग के फैसले से अजीत गुट में खुशी की लहर
उधर, चुनाव आयोग के फैसले पर जहां शरद गुट ने कड़ी आपत्ति जताई है तो वहीं, अजीत पवार गुट ने फैसले का स्वागत किया है। गौरतलब है कि अजीत पवार पिछले साल जुलाई में एनसीपी के अधिकांश विधायकों के साथ भाजपा और शिंदे गुट की शिवसेना के साथ गठबंधन में चले गए थे और महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार में डिप्टी सीएम का पदभार ग्रहण किया था।

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