गेहूं खरीद शुरू होने से पहले किसानों की चिंता के समाधान की उम्मीद है,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि सरकार को मार्च से गेहूं खरीद शुरू होने से पहले किसानों की चिंता के समाधान की उम्मीद है। चोपड़ा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार आगे की बातचीत और पंजाब-हरियाणा सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों की चिंताओं का समाधान करने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने किसान नेताओं की भूजल स्तर और मिट्टी की गुणवत्ता कम होने जैसी चिंताओं को देखते हुए उन्हें एक प्रस्ताव दिया था। हालांकि, उन्होंने प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। चोपड़ा ने कहा, जैसा कि कृषि मंत्री ने कहा है, हम आगे की बातचीत के लिए इच्छुक हैं। हम उनसे बात करके खुश हैं। शायद, हम पूरी मंशा बताने में सक्षम नहीं हुए। मुझे लगता है कि निरंतर बातचीत से असहमति को दूर किया जा सकता है। किसान फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी और कृषि कर्ज माफ करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। चोपड़ा ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि आंदोलन का गेहूं खरीद पर कोई प्रभाव पड़ेगा
शंभू बार्डर पर 10वें दिन स्थिति सामान्य जरूर रही, लेकिन इससे पहले नौ दिन किसान संगठनों ने दिल्ली कूच को लेकर बैरिकेड्स को तोड़ने के लगातार प्रयास किए। उपद्रवियों ने सरकारी व निजी संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचाया। अब हरियाणा पुलिस नुकसान का आंकलन करवा रही है, जिससे इसकी भरपाई प्रदर्शनकारियों से की जा सके। इसके लिए पुलिस प्रदर्शनकारियों की संपत्ति कुर्क करने के साथ ही बैंक खातों को सीज करेगी।
इसके अलावा किसान संगठनों के मुख्य पदाधिकारियों के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई करेगी। हरियाणा पुलिस के अनुसार दिल्ली कूच के लिए प्रदर्शन में कई किसान नेता सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। ये कानून व्यवस्था को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं।
भड़काऊ व उकसाने वाले भाषण देकर इंटरनेट मीडिया के माध्यम से प्रचार किया जा रहा है। अपराधिक गतिविधियों को रोकने व कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए किसान संगठनों के ऐसे पदाधिकारियों को नजरबंद करने की कार्रवाई प्रशासन द्वारा अमल में लाई जा रही है।
किसान नेताओं और युवाओं के बीच वैचारिक मतभेद सामने आ गया है
चंडीगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर गुट और किसान मजदूर संघर्ष कमेटी की ओर से बुधवार को किसानों के दिल्ली कूच के आह्वान के विफल होने के बाद किसान नेताओं और युवाओं के बीच वैचारिक मतभेद सामने आ गया है।
हम मसले का हल चाहते हैं टकराव नहीं: किसान
किसान नेता दबाव बनाने की रणनीति पर जोर देते रहे तो युवा बैरिकेड्स तोड़ आगे बढ़ने की जिद पर अड़े रहे। इस दौरान कई बार तीखी बहस भी हुई। भाकियू सिद्धूपुर के प्रधान जगजीत सिंह डल्लेवाल सहित कई नेता युवाओं को लगातार समझाते रहे कि हम मसले का हल चाहते हैं, टकराव नहीं। एक को तो आज हमने खो दिया है। हम बच्चों को खोकर मसले हल करवाने नहीं आए हैं। समझाने के बाद डल्लेवाल जब अलग-अलग किसान संगठनों के प्रधानों के साथ पैदल ही आगे बढ़े तो हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस के कई गोले दागे।
हम युवाओं को आगे नहीं भेजना चाहते
धुएं के कारण डल्लेवाल और पंढेर व अन्य किसान नेताओं को मास्क लगाने के बावजूद सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी और उन्हें लौटना पड़ा। सभी किसान नेताओं के पीछे आने पर वहां पहुंचे युवा किसानों ने उन्हें आगे बढ़ने का आदेश देने को कहा, लेकिन डल्लेवाल ने कहा कि टकराव न हो इसलिए हम युवाओं को आगे नहीं भेजना चाहते। इस पर एक युवा ने चीख कर कहा कि प्रधान जी, अगर बेरिकेड तोड़ने के दौरान हमें कुछ होता है तो इसके लिए हम खुद जिम्मेवार होंगे। आप हमें आगे बढ़ने दें।
डल्लेवा ने हाथ जोड़कर किया अनुरोध
डल्लेवाल ने उनसे हाथ जोड़कर कहा कि वे ऐसा न करें। हमने पहले भी शांतिपूर्वक 13 महीने आंदोलन लड़कर जीत प्राप्त की है। इस बार भी जीत हमारी होगी। इस दौरान युवाओं की डल्लेवाल से काफी बहस हुई। लगभग ऐसा ही एक और दृश्य स्टेज के बिल्कुल पास भी था, जहां शाम को चार बजे बड़े-बड़े ट्रैक्टर, जेसीबी और पोकलेन मशीनें खड़ी थीं, वहां युवाओं और किसान नेताओं में बहस होती रही।
युवाओं का कहना था कि हम सारे काम धंधे छोड़कर यहां 13 फरवरी से बैठे हैं। या तो हमें बेरिकेड्स तोड़ने दो या फिर हम अपने घरों को लौट जाते हैं। खुद तो सारे नेता पीछे चले गए हैं। क्या हम यहां गोलियां खाने के लिए आए हैं।
किसानों के लिए अच्छी खबर है। केन्द्र सरकार अब एफसीआई के माध्यम से सीधे किसानों से गेहूं खरीदेगी। इसके लिए जिले के तीन जगहों पर एफसीआई ने अपना क्रय केन्द्र भी खोल दिया है, जहां 1 मार्च से गेहूं की खरीद शुरू होगी। इसके खुलने से किसानों को गेहूं बेचने के लिए राज्य सरकार के अधिप्राप्ति केंद्रों पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी। सबसे बड़ी बात यह है कि डेढ़ माह पहले से हीं इस साल सरकारी क्रय केंद्रों पर गेंहू की खरीदारी शुरू हो जाएगी। जिससे किसानों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी।
न्यूनतम समर्थन मूल्य में इस बार 150 रुपये की बढ़ाेतरी
पिछले वर्ष गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य केन्द्र सरकार ने 2125 रुपये निर्धारित किया था। जबकि इस वर्ष के लिए प्रति क्विंटल 2275 रुपए का भुगतान होगा। पिछले वर्ष पैक्स और व्यापार मंडलों के माध्यम से जिले में एक महज 14 किसानों से खरीद की गई। वह भी महज 27.999 मीट्रिक टन।
इसका कारण पैक्स एवं व्यापार मंडलाें से किसानों का मोहभंग होना बताया जा रहा है। समय से राशि का भुगतान नही होना, राशि में कटौती कर लिया जाना, भंडारण के कारण खरीदगी में देरी आदि ऐसे कारण रहे हैं, जिससे किसानों को परेशानी होती है।
इस वजह से सरकारी एजेंसियों की बजाय खुले बाजार में किसान गेहूं बेचने को मजबूर होते रहे हैं। किसानों की इन्हीं समस्याओं को दूर करने के लिए केन्द्र सरकार ने एफसीआई के माध्यम से सीधे गेहूं खरीद करने का निर्णय लिया है। मौसम अनुकूल होने के कारण इस वर्ष गेंहू की पैदावार अच्छी होने की उम्मीद है।
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