देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को दी गयी श्रद्धांजलि

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श्रीनारद मीडिया, सीवान(बिहार):


सीवान जिला के बड़हरिया के बुनियादी विद्यालय पलटूहाता में देशरत्न राजेंद्र प्रसाद के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धा निवेदित किया।उन्होंने श्रद्धासुमन अर्पित करते दीप जलाया।वहीं इस मौके पर प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन धारण ईश्वर से प्रार्थना की गयी।इस मौके पर कार्यक्रम संयोजक नवीन सिंह पटेल ने कहा कि स्वतंत्र भारत के निर्माताओं में प्रथम पंक्ति के नेता और भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद भारतीय लोकतंत्र के सजग पहरी थे।

महात्मा गांधी के सच्चे अनुयायी थे। वे एक मेधावी छात्र थे। जबसे उन्होंने पढ़ाई आरंभ की तब से लेकर कॉलेज की पढ़ाई के अंत तक वह कक्षा में सर्वप्रथम स्थान प्राप्त करते रहे। महात्मा गांधी के साथ रहते-रहते सेवा की व्यावहारिक ज्ञान उन्होंने प्राप्त किया और अपने जीवन में उसे ढाला। डॉ राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार प्रांत के सीवान जिले के जीरादेई में हुआ था। जन सेवा के क्षेत्र में आने पर राजेंद्र बाबू पटना मुंसिपल बोर्ड के चेयरमैन बने। उस समय मुंसिपल बोर्ड के चेयरमैन को कोई भाता नहीं था। मुंसिपल बोर्ड की आमदनी भी बहुत कम थी। वे नया टैक्स लगाना नहीं चाहते थे। पूरे नगर का निरीक्षण करने के लिए चेयरमैन को शहर के एक किनारे से दूसरे किनारे जाना पड़ता था। उस समय घोड़ा गाड़ी और एक्का की ही सवारी उपलब्ध होती थी। एक्का में पैसा कम लगता था, जबकि एक घोड़ा – गाड़ी का भाड़ा एक्का से दोगुना होता था।

राजेंद्र बाबू ने चेयरमैन की शान शौकत पर ध्यान नहीं दिया और इक्का पर ही मुंसिपल बोर्ड के काम से निरीक्षण करने जाया करते थे। सन 1934 में उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया। 11 दिसंबर, 1946 को संविधान सभा के अध्यक्ष पद पर राजेंद्र प्रसाद सर्व सम्मानित से चुने गए थे। 26 जनवरी, 1950 को देश के गणतंत्र बन जाने की घोषणा की गई। उस दिन भारतीय संविधान सभा द्वारा स्वीकृत सार्वभौम संप्रभुता संपन्न गणतंत्र की स्थापना हुई। डॉ राजेंद्र प्रसाद प्रथम राष्ट्रपति बने।

सन 1950 से लेकर 1962 की 12 मई तक डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने जिस गौरव के साथ राष्ट्रपति के रूप में राष्ट्र – रथ को चलाया उसका साक्षी इतिहास है।
डा राजेंद्र प्रसाद 13 मई, 1962 को जब राष्ट्रपति भवन से विदा हो रहे थे इस अवसर पर उनके विदाई समारोह में भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा – ” राजेंद्र बाबू का और मेरे 45 वर्ष का साथ रहा। इस लंबे अरसे में मैंने उनको बहुत देखा और उनसे बहुत कुछ सीखा। ” 28 फरवरी, 1963 को डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का निधन हो गया।

इस मौके पर सलोनी कुमारी, प्रज्ञा कुमारी, शबनम,सपना कुमारी, रीतू कुमारी,संध्या कुमारी, करिश्मा कुमारी, सुमन कुमारी,ज्योति कुमारी, स्नेहा कुमारी, संदीप कुमार, गगन, राहुल राज, नीतू, सिमरन, अनिता, सावित्री सिम्मी, पल्लवी, माधुरी
बेबी,रश्मि रानी,राजीव आदि उपस्थित थे।

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