Breaking

दांडी मार्च की वर्षगाँठ पर साबरमती आश्रम पुनर्विकास परियोजना का शिलान्यास

दांडी मार्च की वर्षगाँठ पर साबरमती आश्रम पुनर्विकास परियोजना का शिलान्यास

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

दांडी मार्च की 94वीं वर्षगाँठ पर भारत के प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद में साबरमती आश्रम पुनर्विकास परियोजना का शिलान्यास किया।

  • साबरमती आश्रम पुनर्विकास परियोजना महात्मा गांधी द्वारा स्थापित मूल साबरमती आश्रम को पुनर्स्थापित, संरक्षित और पुनर्निर्माण करने के लिये 1,200 करोड़ रुपए के परिव्यय की पहल है।

साबरमती आश्रम का ऐतिहासिक महत्त्व क्या है?

  • स्थापना:
    • वर्ष 1917 में महात्मा गांधी द्वारा स्थापित, साबरमती आश्रम अहमदाबाद में जूना वडज गाँव के समीप साबरमती नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है।
      • गांधी ने अपने जीवनकाल में पाँच बस्तियों की स्थापना की जिनमें से दो दक्षिण अफ्रीका में (नेटाल में फीनिक्स सेटलमेंट और जोहान्सबर्ग के समीप टॉल्स्टॉय फार्म) तथा तीन भारत में स्थित हैं।
      • भारत में गांधी का पहला आश्रम वर्ष 1915 में अहमदाबाद के कोचरब क्षेत्र में स्थापित किया गया था तथा अन्य साबरमती आश्रम (अहमदाबाद) और सेवाग्राम आश्रम (वर्धा में स्थित) हैं।
    • वर्तमान में इसका प्रबंधन साबरमती आश्रम संरक्षण और स्मारक ट्रस्ट (SAPMT) द्वारा किया जाता है।
  • भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका:
    • आश्रम ने गांधी की सामाजिक-राजनीतिक गतिविधियों और सत्य के साथ मेरे प्रयोग किताब के लेखन के लिये आधार के रूप में कार्य किया।
      • यह दांडी मार्च 1930 सहित कई मौलिक आंदोलनों की शुरुआत का साक्षी बना।
    • दांडी मार्च के अलावा गांधीजी ने चंपारण सत्याग्रह (1917), अहमदाबाद मिलों की हड़ताल और खेड़ा सत्याग्रह (1918), खादी आंदोलन (1918), रोलेट एक्ट तथा खिलाफत आंदोलन (1919), एवं असहयोग आंदोलन (1920) साबरमती में रहते हुए चलाया।
    • विनोबा भावे साबरमती आश्रम में “विनोबा कुटीर” नामक कुटिया में रहते थे।
  • वास्तुकला और दार्शनिक महत्त्व:
    • गांधीजी ने सादगी, आत्मनिर्भरता और सामुदायिक जीवन को मूर्त रूप देते हुए आश्रम को स्वयं डिज़ाइन किया था।
  • विरासत और प्रतीकवाद:
    • साबरमती आश्रम गांधी की स्थायी विरासत और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।

दांडी मार्च क्या है?

  • उत्पत्ति:
    • यह गांधीवादी दर्शन के प्रशंसकों के लिये एक तीर्थ स्थल बना हुआ है, जो उनके जीवन, शिक्षाओं और सिद्धांतों के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
    • भारत में नमक बनाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है, जो मुख्य रूप से किसानों द्वारा की जाती थी, जिन्हें अक्सर नमक किसान कहा जाता था।
      • समय के साथ, नमक एक व्यावसायिक वस्तु बन गया और अंग्रेज़ों ने नमक पर कर लगा दिया, जिससे यह औपनिवेशिक शोषण का प्रतीक बन गया।
    • महात्मा गांधी ने नमक कर को एक विशेष रूप से दमनकारी उपाय के रूप में पहचाना और इसे ब्रिटिश शासन के खिलाफ अहिंसक विरोध में जनता को संगठित करने के अवसर के रूप में देखा।
    • 2 मार्च 1930 को, महात्मा गांधी ने भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्हें सविनय अवज्ञा के रूप में नमक कानून तोड़ने के अपने इरादे की जानकारी दी।
    • दांडी मार्च, जिसे नमक सत्याग्रह या नमक मार्च के नाम से भी जाना जाता है, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आज़ादी के लिये देश की लड़ाई में एक महत्त्वपूर्ण क्षण था।
  • दांडी मार्च:
    • दांडी मार्च 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से शुरू हुआ, जिसका नेतृत्त्व महात्मा गांधी ने किया था।
      • 24 दिवसीय यात्रा चार ज़िलों तक फैली और 48 गाँवों से होकर गुज़री।
    • 6 अप्रैल, 1930 को गांधीजी ने दांडी के तट से एक मुट्ठी नमक उठाकर प्रतीकात्मक रूप से नमक कानून तोड़ा और ब्रिटिश नमक एकाधिकार के खिलाफ सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया।

Leave a Reply

error: Content is protected !!