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बिहार दिवस का क्या है इतिहास?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

1912 से पहले बिहार ग्रेटर बंगाल का हिस्सा था। उस समय के बिहार पर शासन कलकत्ता में लेफ्टिनेंट सरकार और उनके सचिवालय द्वारा होता था। ग्रेटर बंगाल से अलग कर बिहार को स्वतंत्र पहचान देने की शुरुआत 12 दिसंबर 1911 को प्रारंभ हो गई थी। इस गुप्त निर्णय का खुलासा किंग जॉर्ज पंचम ने दिल्ली दरबार में किया था। इस क्षेत्र का विभाजन और बिहार राज्य का गठन 22 मार्च 1912 में हुआ था। लेकिन बिहार दिवस मनाने की शुरुआत काफी बाद की गई। जानें बिहार दिवस कब मनाया जाता है।

प्रति वर्ष 22 मार्च को बिहार दिवस मनाया जाता है। यह दिन बिहार राज्य के गठन का प्रतीक है। यह प्रदेश पहले ग्रेटर बंगाल का हिस्सा था। बिहार दिवस का वार्षिक आयोजन नीतीश कुमार की पहल के तहत 2010 में शुरू हुआ। तब से हर साल 22 मार्च को बिहार दिवस मनाया जाता है। बिहार दिवस भारत के अलावा दुनिया कई देशों में मनाया जाता है क्योंकि बिहार के लोग कई देशों में रहते हैं।

बिहार दिवस पर हर साल बिहार में सार्वजनिक अवकाश यानी पब्लिक हॉलिडे होता है। बिहार में स्कूल कॉलेजों और कार्यालयों में छुट्टियां होती हैं। यह दिवस कनाडा, यूएई, ऑस्ट्रेलिया, त्रिनिदाद टोबैगो, मॉरीशस, फिजी समेत कई देशों में भी मनाया जाता है। विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन के जरिये इस दिवस को मनाया जाता है।

लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में लागू आचार संहिता के कारण इस साल 22 मार्च को बिहार दिवस पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम नहीं होंगे। हालांकि बिहार दिवस पर सभी जिलों में स्थानीय प्रशासन के दिशा-निर्देश के अनुसार कार्यक्रम होंगे। साथ ही विभाग अपने स्तर पर आयोजन करेगा। बता दें कि बिहार दिवस पर राज्य स्तर पर गांधी मैदान और आस-पास के सभागारों में भव्य कार्यक्रम होते रहे हैं। इस राजकीय कार्यक्रम में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों की प्रस्तुति भी होती रही है। राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी कार्यक्रम में भाग लेते रहे हैं। साथ ही जिलों, प्रखंड और पंचायत के स्तर पर भी अलग-अलग आयोजन होते हैं।

गौरतलब है कि बिहार दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन वर्ष 2010 से शुरू हुआ और हर साल होता रहा है। वहीं, वर्ष 2012 में बिहार शताब्दी दिवस मनाया गया था। बता दें कि शिक्षा विभाग इस समारोह का नोडल है जबकि सरकार के अन्य विभागों की भी इसमें भागीदारी होती रही है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार दिवस पर प्रदेश एवं देशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि बिहार निरंतर प्रगति और समृद्धि के पथ पर आगे बढ़ता रहेगा। बिहारवासी आपसी एकता, भाईचारा, सामाजिक समरसता एवं सद्भाव बनाये रखेंगे। हम सब मिलकर बिहार को प्रगति की नई ऊंचाई पर पहुंचाएंगे तथा बिहार के गौरव को और आगे बढ़ाएंगे।

बता दें कि बिहार महापुरुषों और सूफी संतों की धरती रही है। बिहार का इतिहास काफी गौरवशाली है। महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति यहीं हुई थी। भगवान महावीर का जन्म, ज्ञान की प्राप्ति और निर्वाण यहीं हुआ। सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी महाराज, सिखों के 9वें गुरु तेगबहादुर जी महाराज भी यहां आये थे। सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का जन्म भी यहीं हुआ था। वर्ष 2017 में गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का 350वां प्रकाशपर्व धूमधाम से यहां मनाया गया था। प्रकाव पर्व का आयोजन प्रति वर्ष किया जाता है।

बिहार सूफी संतों की भी कर्मभूमि रही है। मनेर शरीफ, खानकाह मुजीबिया, खनाकाह मुनिबिया, मित्तन घाट सूफी संतों की भूमि रही है। बिहार सबसे पौराणिक स्थल है। यह चंद्रगुप्त मौर्य, चाणक्य, सम्राट अशोक, आर्यभट्ट की भूमि रही है। महान विभूतियों के नाम पर हमलोगों ने चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान, सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र, चाणक्य विधि विवि और आर्यभट्ट ज्ञान विवि की स्थापना करायी। विश्व प्रसिद्ध पुराने नालंदा विवि को भी फिर से शुरू कराया गया है। बिहार म्यूजिमय अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बिहार में बना है। बिहार म्यूजियम को पटना म्यूजियम से अंडरग्राउंड से जोड़ा जा रहा है.

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