लोकसभा चुनाव में पीलीभीत से वरुण गांधी का टिकट कटा

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पीलीभीत से वर्तमान सांसद वरुण गांधी का बीजेपी ने टिकट काट दिया। उनकी जगह योगी सरकार में मंत्री जितिन प्रसाद को उतारा गया है। वरुण का टिकट कटने के पीछे पिछले कुछ सालों में पार्टी के खिलाफ की गई बयानबाजी वजह मानी जा रही है। वरुण का टिकट भले ही बीजेपी ने काट दिया हो, लेकिन उनकी मां और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को फिर से सुल्तानपुर से उम्मीदवार बना दिया गया है। मां मेनका को टिकट मिलने के बाद से ही यह लगभग तय हो गया था कि शायद ही वरुण बागी होकर चुनाव लड़ें। अब उनकी टीम ने भी वरुण के फैसले की जानकारी दे दी है।

वरुण गांधी की टीम ने साफ कर दिया है कि इस बार वरुण लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। यानी कि निर्दलीय या फिर सपा और कांग्रेस के समर्थन से जो उनके उम्मीदवार बनने की अटकलें लगाई जा रही थीं, उन सब विराम लग गया है। वरुण की टीम ने बताया है कि पीलीभीत के सांसद चुनाव नहीं लड़ेंगे और सिर्फ अपनी मां के चुनाव प्रचार की ही जिम्मेदारी संभालेंगे। सूत्रों की मानें तो यदि वरुण बागी होकर चुनाव लड़ते तो उनकी मां मेनका की चुनावी राजनीति पर नकारात्मक असर पड़ सकता था। इसके उदाहरण रीता बहुगुणा जोशी और संघमित्रा मौर्य भी हैं। दरअसल, रीता बहुगुणा के बेटे मयंक जोशी ने यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में प्रयागराज से सांसद रीता बहुगुणा जोशी का टिकट काटा जा सकता है।

यूपी के बदायूं से बीजेपी ने संघमित्रा मौर्य का भी टिकट काट दिया है। संघमित्रा के पिता स्वामी प्रसाद मौर्य एक समय बीजेपी के साथ थे, लेकिन यूपी चुनाव के दौरान उन्होंने सपा का दामन थाम लिया और फिर अपनी अलग पार्टी बना ली। समय-समय पर स्वामी प्रसाद मौर्य विवादित बयान देते रहे और बीजेपी पर भी हमला करने से नहीं चूकते। अब जब लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार घोषित करने की बात आई तो बीजेपी ने स्वामी प्रसाद की बेटी और बदायूं से सांसद संघमित्रा मौर्य का टिकट काट दिया। उनकी जगह पार्टी ने दुर्गविजय सिंह शाक्य को उम्मीदवार बनाया है। इन्हीं सब वजहों के चलते यह माना जा रहा है कि वरुण गांधी ने अपनी मां मेनका की भविष्य की राजनीति को देखते हुए बागी होकर चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया है।

वरुण गांधी को लेकर क्या बोले यूपी बीजेपी चीफ?
वरुण गांधी का टिकट काटे जाने के बाद यूपी बीजेपी प्रमुख भूपेंद्र चौधरी ने बयान दिया है। उन्होंने वरुण को बड़ा नेता बताते हुए कहा कि वह पार्टी के साथ हैं। जहां पर इस्तेमाल की जरूरत होगी, वरुण को साथ लाया जाएगा। पार्टी नेतृत्व ने वरुण के बारे में कुछ बेहतर ही सोच रखा होगा। उधर, कांग्रेस के दिग्गज नेता अधीर रंजन चौधरी ने एक दिन पहले ही वरुण को कांग्रेस में आने का न्योता दिया था। अधीर रंजन ने कहा था कि मुझे लगता है कि उन्हें (कांग्रेस में शामिल होने) आना चाहिए, हमें बहुत खुशी होगी।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार को दावा किया था कि गांधी परिवार से संबंध होने के कारण भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने वरुण गांधी को लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं दिया। चौधरी ने वरुण को एक “दबंग नेता” बताया और कहा कि वह एक साफ छवि वाले पढ़े लिखे व्यक्ति हैं। निवर्तमान लोकसभा में कांग्रेस के नेता चौधरी ने कहा, ”वह एक दबंग नेता और बहुत शिक्षित व्यक्ति हैं। उनकी छवि साफ-सुथरी है। वरुण गांधी का गांधी परिवार से संबंध है। यही कारण है कि भाजपा ने उन्हें (लोकसभा चुनाव के लिए) टिकट देने से इनकार कर दिया।”

 भाजपा से बागी नहीं होंगे वरुण गांधी?

उत्तर प्रदेश की पीलीभीत लोकसभा सीट से वरुण गांधी का टिकट गया है। भाजपा ने उनके स्थान पर 2021 में भाजपा में आए जितिन प्रसाद को मौका दिया है, जो योगी सरकार में मंत्री भी हैं। भाजपा की 5वीं लिस्ट से वरुण गांधी का नाम गायब होना ही सबसे अहम खबर थी, लेकिन अब तक उनका कोई बयान नहीं आया है। वरुण गांधी के बारे में पहले चर्चा थी कि वह भाजपा से टिकट न मिलने पर निर्दलीय ही उतर सकते हैं। उनके निजी सचिव की ओर से नामांकन पत्रों के 4 सेट भी खरीदने की बात सामने आई थी, लेकिन अब उनका रुख पलटता दिख रहा है।

वरुण गांधी को कांग्रेस की ओर से खुला ऑफर भी मिला है, लेकिन वह भाजपा से बागी होकर न तो निर्दलीय लड़ेंगे और न ही किसी दूसरे दल में फिलहाल जाएंगे। वरुण गांधी के करीबी सूत्रों का कहना है कि भाजपा से टिकट कटने पर वह छला हुआ महसूस कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद थी कि पीलीभीत से उनको फिर चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा। अब वह दिल्ली से पीलीभीत भी नहीं आ रहे हैं। हालांकि पहले खबर थी कि उन्होंने अपने सचिव को भेजकर नामांकन पत्र मंगवाएं हैं। इसके अलावा पीलीभीत के हर गांव से दो कारों और 10 बाइकों के साथ समर्थकों को तैयार रहने को कहा था।

अब उनका इरादा बदलता दिख रहा है। इसकी एक वजह यह है कि भाजपा ने उन्हें टिकट तो दिया नहीं और खुलकर बागी होने का मौका भी नहीं दिया है। दरअसल सुल्तानपुर लोकसभा सीट से उनकी मां मेनका गांधी को टिकट मिला है। ऐसे में वरुण गांधी को लगता है कि अब यदि वह पार्टी लाइन से अलग हटे तो फिर मेनका गांधी पर भी इसका असर होगा। ऐसी स्थिति में वह फिलहाल चुप ही रहना चाहते हैं। उनके अगले कदम की अभी कोई जानकारी नहीं है, लेकिन यह तय माना जा रहा है कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे।

ऑफर देकर बोले अधीर- गांधी परिवार से होने की मिली सजा 

इस बीच कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने उन्हें खुला ऑफर दिया है। चौधरी ने कहा कि वरुण गांधी का रिश्ता गांधी फैमिली से है, इसलिए उन्हें टिकट नहीं मिला है। यदि वह कांग्रेस में आना चाहें तो हम उनका वेलकम करेंगे। अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘वरुण गांधी को कांग्रेस में आना चाहिए। अगर वह आए तो हमें खुशी होगी। वरुण गांधी एक कद्दावर और बेहद काबिल नेता हैं।’ उन्होंने कहा कि उनका गांधी परिवार से संबंध है इसलिए भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। हम चाहते हैं कि अब वरुण गांधी कांग्रेस में आ जाएं। बता दें कि पीलीभीत में पहले राउंड में मतदान होना है और 27 मार्च को नामांकन की आखिरी तारीख है। अब तक वरुण कैंप की हलचल बता रही है कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे।

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