Breaking

कैसे क्राइम का दूसरा नाम बना मुख्तार अंसारी?

कैसे क्राइम का दूसरा नाम बना मुख्तार अंसारी?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

जेल में बंद गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी की गुरुवार को उत्तर प्रदेश के बांदा में पेट दर्द की शिकायत के बाद दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। सूत्रों का कहना है कि 60 साल के माफिया डॉन की ‘रोजा’ तोड़ने के बाद तबीयत बिगड़ गई थी। जेल में बेहोश होने के बाद डॉक्टरों की टीम बांदा जेल पहुंची जहां अंसारी को रखा गया था। इसके बाद हायर सेंटर के लिए बांदा मेडिकल अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। 1963 में यूपी के युसुफपुर में जन्मे मुख्तार के दादा आजादी की लड़ाई लड़ चुके हैं। नाना देश के लिए शहीद हुए। फिर कैसे इतने प्रतिष्ठित परिवार का लड़का अपराध की गलियों में जा पहुंचा और जल्द ही पूर्वांचल का माफिया डॉन बन गया।

30 जून 1963 को उत्तर प्रदेश के युसुफपुर में जन्मे मुख्तार अंसारी का अपराध की गलियों से सत्ता के गलियारों तक का सफर जितना विवादास्पद था उतना ही रोचक भी है। मुख्तार अंसारी ने 1980 के दशक के दौरान अपराध की दुनिया में कदम रखा था। मुख्तार ने शुरू में मखनू सिंह गिरोह के साथ काम किया। 1990 के दशक में मुख्तार ने अपराध जगत में अपनी जगह बनाने के लिए हाथ-पांव मारने शुरू किए। अपने साथ नए लड़कों को जोड़ा और अपना ग्रुप बना लिया। यह वो वक्त था तब मुख्तार की मऊ, गाज़ीपुर, वाराणसी और जौनपुर जिलों में हनक हुआ करती थी।

दादा स्वतंत्रता सेनानी
मुख्तार अंसारी के फैमिली हिस्ट्री की बात करें तो उसका परिवार एक प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार हुआ करता था। मुख्तार के दादा मुख्तार अहमद अंसारी ने महात्मा गांधी के साथ देश की आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था। 1926-27 के वक्त वो कांग्रेस अध्यक्ष भी रहे। मुख्तार के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान ने 1947 में शहादत दी और मरणोपरांत महावीर चक्र से नवाजे गए। मुख्तार के पिता सुबहानउल्लाह की गाजीपुर में अच्छी छवि रही। इलाके में राजनीति से जुड़े लोग मुख्तार के पिता की इज्जत किया करते थे।

अपराध की दुनिया में कैसे बढ़ता गया कद
मुख्तार को शुरुआत से ही शॉर्टकट के साथ प्रसिद्धि की सनक थी। इसलिए अपराध की दुनिया की कदम बढ़ाने शुरू किए। जल्द ही मुख्तार ने कोयला खनन, रेलवे निर्माण और अन्य क्षेत्रों से जुड़े कांट्रेक्ट पर नियंत्रण हासिल कर लिया। यह वो वक्त था जब पूर्वांचल में मुख्तार माफिया डॉन ब्रजेश सिंह को टक्कर देने लगे थे। उस वक्त मुख्तार और ब्रजेश सिंह के गैंग के बीच अक्सर गैंगवार की खबरें सुर्खियां बटोरा करती थी। जल्द ही ब्रजेश सिंह की तरह मुख्तार ने भी खुद को माफिया डॉन के रूप में स्थापित कर लिया।

1996 में पहली बार बना विधायक
एक वक्त ऐसा था जब मऊ और उसके आसपास के इलाके में मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी। हालांकि अब योगी सरकार के आने के बाद अंसारी के ठिकाने और हनक सभी जमींदोज हो चुके हैं। 1996 में मुख्तार अंसारी पहली बार विधायक बना था। वह बीजेपी को छोड़कर यूपी की हर बड़ी पार्टी से जुड़ा। 24 साल तक यूपी की विधानसभा तक पहुंचा। पहली बार 1996 में BSP के टिकट पर चुनाव जीता। इसके बाद अंसारी ने मऊ सीट से 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 में भी जीत हासिल की। आखिरी 3 बार चुनाव उसने जेल में बंद रहते हुए चुनाव जीते।

2002 में कैसे बदली जिंदगी
साल 2002 की एक घटना ने मुख्तार अंसारी की जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी। इसी साल बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय ने अंसारी परिवार के पास 1985 से रही गाजीपुर विधानसभा सीट छीन ली। यह बात मुख्तार को इतनी नागवार गुजरी कि उसके कहने पर राय की हत्या करवा दी गई। कृष्णानंद राय की विधायक रहते ही हत्या करवा दी गई। बताया जाता है कि एक कार्यक्रम से लौटते वक्त कृष्णानंद राय पर जानलेवा हमला हुआ। AK-47 राइफल से उनके शरीर पर 500 गोलियां दागी गई। इस घटना ने पूरे देश को हिला दिया था। राय समेत मौके पर सात लोगों की मौत हो गई थी।

लाल झंडे से राजनीति की शुरुआत करने वाले अंसारी परिवार को सपा और बसपा का साथ मिला तो हसरतें परवान भी चढ़ीं। मऊ से लगातार पांच बार विधायक बना। तीन बार तो जेल में रहते हुए ही विधायक चुना गया। प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद मुख्तार के पूरे परिवार पर नकेल कसी गई।1963 में यूपी के युसुफपुर में जन्मे मुख्तार के दादा आजादी की लड़ाई लड़ चुके हैं। नाना ने देश के अपनी जान दे दी। फिर कैसे इतने प्रतिष्ठित परिवार का लड़का अपराध की गलियों में जा पहुंचा और जल्द ही पूर्वांचल का माफिया डॉन बन गया।

गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के घर के बाहर समर्थकों का जमावड़ा, नारेबाजी

मुख्तार अंसारी की मौत की खबर मिलते ही गाजीपुर के मोहम्मदाबाद में उसके घर के बाहर समर्थकों का जमावड़ा लग गया। पुलिस ने लाउडस्पीकर से लोगों को अपने-अपने घरों में जाने की अपील की। पुलिस की अपील अनसुनी करने पर मुख्तार अंसारी के विधायक भतीजे सुहैल अंसारी ने भी लोगों से अपील की लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं हुआ। नारेबाजी और तेज हो गई। इससे सुहैल को माइक छोड़ना पड़ गया।

जेल में जहर देने की जताई थी आशंका

मुख्तार अंसारी ने जेल के खाने में जहर देने का आरोप लगाया था। उसने कहा था कि इससे उसकी तबीयत काफी गंभीर हो गई है और ऐसा लगता है कि कभी भी मृत्यु हो सकती है। पिछले गुरुवार को बाराबंकी की एमपी एमएलए कोर्ट में गैंगस्टर मामले की पेशी के दौरान मुख्तार अंसारी के वकील ने उसका प्रार्थना पत्र अदालत को सौंपा था।

Leave a Reply

error: Content is protected !!