मेक्सिको ने इक्वाडोर के साथ राजनयिक संबंध क्यों तोड़ लिए है?

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दूतावास में दरवाजा तोड़कर क्यों घुस गई फौज?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

इक्वाडोर की पुलिस ने 5 अप्रैल की देर रात राजधानी क्विटो में मैक्सिकन दूतावास के बाहरी दरवाजे तोड़कर जॉर्ज ग्लास को गिरफ्तार कर लिया, जो दिसंबर से वहां रह रहे थे। भ्रष्टाचार के आरोप में दोषी ठहराए जाने के बाद ग्लास ने दूतावास में राजनीतिक शरण मांगी। दुनिया भर में दूतावासों को अलंघनीय संप्रभु क्षेत्र माना जाता है। इस तरह की छापेमारी वियना कन्वेंशन का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया है कि कोई देश अपने क्षेत्र में दूतावास में घुसपैठ नहीं कर सकता है। इसलिए, इक्वाडोर को अपने कार्यों के लिए और अधिक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

मैक्सिको इक्वाडोर विवाद क्या है?

मैक्सिको नॉर्थ अमेरिका में पड़ता है और ये अमेरिका की सीमा से सटा हुआ है, जबकि इक्वाडोर दक्षिण अमेरिका महाद्वीप का हिस्सा है। दोनों के बीच की दूरी लगभग 4 हजार किलोमीटर है। फिर भी कई मामलों में उनका कनेक्शन है। मेक्सिको और इक्वाडोर इतिहास में स्पेन की कॉलोनी का हिस्सा थे। दोनों 19वीं सदी की शुरुआत में औपनिवेशिक शासन से आजाद हुआ। दोनों देशों की समस्या भी कमोबेश एक ही है। दोनों ही गैंग वायलेंस और ड्रग्स की समस्या से जूझ रहे हैं। दोनों देशों के बीच विवाद कड़ी जॉर्ज ग्लास से जुड़ती है।

2013 से 2018 तक ग्लास इक्वाडोर के उपराष्ट्रपति थे। अगस्त 2017 में घूसखोरी के केस में उनका नाम जुड़ा। आरोप लगे कि उन्होंने पैसे लेकर ब्राजील के कंस्ट्रक्शन फर्म को सरकारी कॉन्ट्रैक्ट दिए। राष्ट्रपति ने उनकी शक्तियां छीन ली। दिसंबर 2017 में उन्हें 6 साल के लिए जेल भेज दिया गया। नवंबर 2022 में रिहा किया गया था। उन्हें इक्वाडोर में कहीं भी आने जाने की इजाजत थी। लेकिन देश छोड़ने पर पाबंदी थी। दिसंबर 2023 में इक्वाडोर के अटार्नी जनरल ने ग्लास को किसी और केस में पूछताछ के लिए बुलाया।

लेकिन वो अटार्नी जनरल की बजाए मैक्सिको के दूतावास पहुंच गए। वहां शरण मांगते हुए कहा कि उन पर लगे आरोप झूठे हैं। जानबूझकर फंसाया जा रहा है। इक्वाडोर ने इसे गैरकानूनी बताया। 1 मार्च 2024 को इक्वाडोर ने चिट्ठी लिखकर दूतावास में घुसने की इजाजत मांगी। लेकिन मैक्सिको ने इसकी इजाजत नहीं दी। दोनों देशों में तनाव बढ़ गया। 3 अप्रैल को मैक्सिको के राष्ट्रपति ओब्राडोर ने प्रेस कॉनफ्रेंस में बयान देते हुए कहा कि इक्वाडोर में राष्ट्रपति चुनाव में हिंसा हुई और इसका फायदा पायदान में नीचे खड़े उम्मीदवार को हुआ। उनका इशारा इक्वाडोर के राष्ट्रपति डेनियल नोबोआ की तरफ था।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन के किसी भी उल्लंघन की निंदा करता है और राजनयिक मिशनों की अनुल्लंघनीयता का सम्मान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत मेजबान देशों के दायित्व को बहुत गंभीरता से लेता है। उन्होंने दोनों देशों से अपने मतभेद सुलझाने का आह्वान किया।

वियना कन्वेंशन क्या है?

वियना कन्वेंशन पर भारत समेत 187 देशों ने सहमति जताई है। इसमें कहा गया है कि सभी राजनयिक एजेंटों जिनमें राजनयिक कर्मचारियों के सदस्य और प्रशासनिक और तकनीकी कर्मचारी और मिशन के सेवा कर्मचारी शामिल हैं, उन्हें स्टेट के आपराधिक क्षेत्राधिकार से छूट दी जानी चाहिए। आर्टिकल 22 के तहत मेहमान देश के दूतावास और उससे जुड़ी इमारतों में मेज़बान देश के अधिकारी नहीं घुस सकते. घुसने के लिए उन्हें डिप्लोमेटिक मिशन के हेड की परमिशन चाहिए।

ये नियम डिप्लोमेटिक स्टाफ़्स के घरों पर भी लागू होता है। थॉट.को की रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें नागरिक मुकदमों से भी छूट दी गई है, जब तक कि मामला राजनयिक कार्यों से संबंधित धन या संपत्ति से जुड़ा न हो। वियना कन्वेंशन के अनुसार, दूतों को कार्यों के आधार पर दूतावास, कांसुलर और अंतर्राष्ट्रीय संगठन के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

प्रत्येक विदेशी देश में एक दूतावास होता है, जो अक्सर दूसरे देश की राजधानी में होता है। भारत में दूतावास नई दिल्ली में हैं। दूतावास का मुख्य अधिकारी राजदूत होता है, जो अपने देश का आधिकारिक प्रतिनिधि होता है। राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन के अनुसार, दूतावास में तैनात राजनयिकों और प्रशासनिक और तकनीकी कर्मचारियों को उनके परिवार के सदस्यों के साथ छूट मिलती है।

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