सरकार क्या ऑनलाइन गेमिंग पर कानून लाएगी ?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पीएम मोदी ने देश के टॉप गेमर्स से बातचीत की है। पीएम ने उनके कई सवालों का मजेदार अंदाज में जवाब दिया है। वहीं, पीएम ने इन गेमर्स के साथ ऑनलाइन गेमिंग में हाथ भी अजमाया। मोदी ने गेमिंग उद्योग से संबंधित कई समस्याओं पर गेमर्स से बातचीत की।
पीएम ने कुछ गेम्स में आजमाया हाथ
भविष्य के साथ-साथ ई-गेमिंग उद्योग के समक्ष चुनौतियों के बारे में बातचीत के दौरान पीएम ने गेमर्स से कुछ उत्सुक प्रश्न भी किए और साथ ही कुछ गेम्स में अपना हाथ भी आजमाया। पर्यावरण की चिंता करते हुए पीएम ने कहा कि कई लोगों ने इस पर अलग-अलग समाधान पेश किए हैं। मेरे पास मिशन लाइफ नामक एक वैकल्पिक समाधान है, जो पर्यावरण को लाभ पहुंचाने के लिए हमारी दैनिक जीवनशैली को बदलने की वकालत करता है।
पीएम ने इसी के साथ गेमर्स को एक खास सुझाव देते हुए कहा कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन की समस्या को संबोधित करने के उद्देश्य से आपको एक गेम की कल्पना करनी चाहिए, जहां गेमर को विभिन्न तरीकों और समाधानों का पता लगाना होगा।
पीएम ने खुद उदाहरण देकर समझाया
पीएम ने पर्यावरण से संबंधित गेम लाने पर बात करते हुए एक उदाहरण भी दिया। पीएम ने कहा, एक उदाहरण के रूप में स्वच्छता को लें, खेल का विषय स्वच्छता के इर्द-गिर्द घूम सकता है और हर बच्चे को यह खेल खेलना चाहिए। युवाओं को भारतीय मूल्यों को अपनाना चाहिए और उनकी वास्तविकता को समझना चाहिए।
गेमर्स से बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने गेमिंग उद्योग में नए विकास पर चर्चा की। पीएम ने जोर दिया कि कैसे सरकार ने गेमर्स की रचनात्मकता को पहचाना है और भारत में गेमिंग उद्योग को बढ़ावा दिया है। उन्होंने गेमिंग उद्योग में महिलाओं की भागीदारी पर चर्चा करते हुए जुआ बनाम गेमिंग से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की।
इसी के साथ पीएम ने गेमर्स से कहा कि वो और सरकार उनकी समस्याओं का हल निकालेंगे। पीएम ने कहा कि वो सभी समस्याओं को मेल कर बताएं।
क्या कानून लाएगी सरकार?
टॉप गेमर्स से बातचीत में पीएम ने कहा कि खेलों को ‘विनियमित’ करना सही नहीं होगा। सरकार दो चीजें कर सकती है, या तो कानून के तहत प्रतिबंध लगाए या इससे जुड़ी हर चीज को समझने की कोशिश करे और देश की जरूरतों के आधार पर उन्हें ढाले। पीएम ने कहा कि सरकार को इस विषय को समझना चाहिए और आवश्यक बदलाव करना चाहिए।
ऑनलाइन गेमिंग को लेकर कौन-सी चिंताएँ पाई जाती हैं?
- सरकारी कोषागार को हानि:
- पर्याप्त विनियमन की कमी ने अवैध ऑफशोर गैंबलिंग बाज़ारों को पनपने का अवसर दिया है, जिससे उपयोगकर्ताओं को नुकसान होता है और सरकारी खजाने को वृहत हानि उठानी पड़ती है।
- अवैध ऑफशोर गैंबलिंग और बेटिंग बाज़ार को भारत से प्रति वर्ष 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर की जमा राशि प्राप्त होती है और इसने पिछले तीन वर्षों में 20% की वृद्धि दर दर्ज की है।
- पर्याप्त विनियमन की कमी ने अवैध ऑफशोर गैंबलिंग बाज़ारों को पनपने का अवसर दिया है, जिससे उपयोगकर्ताओं को नुकसान होता है और सरकारी खजाने को वृहत हानि उठानी पड़ती है।
- लत लगाने वाले ऑनलाइन गेमिंग व्यवहार के बारे में चिंताएँ :
- कुछ ऑनलाइन गेमिंग गतिविधियों की लत लगने की प्रकृति को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं, जो संभावित बाध्यकारी व्यवहार, ज़िम्मेदारियों की उपेक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव जैसे परिणाम उत्पन्न करता है।
- ये मुद्दे सुदीर्घ या प्रोलॉन्ग गेमिंग के मनोवैज्ञानिक प्रभावों की बारीकी से जाँच करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं।
- कुछ ऑनलाइन गेमिंग गतिविधियों की लत लगने की प्रकृति को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं, जो संभावित बाध्यकारी व्यवहार, ज़िम्मेदारियों की उपेक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव जैसे परिणाम उत्पन्न करता है।
- ऑनलाइन गेमिंग में वित्तीय जोखिम:
- गेमिंग पर अत्यधिक व्यय करने के कारण व्यक्तियों, विशेष रूप से कमज़ोर आर्थिक पृष्ठभूमि के व्यक्तियों, को ऋण और आर्थिक कठिनाई सहित वित्तीय जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है।
- यह ज़िम्मेदार उपभोक्ता संलग्नता के बारे में सवाल उठाता है और गेमिंग उद्योग में नैतिक विचारों के महत्त्व पर बल देता है।
- गेमिंग पर अत्यधिक व्यय करने के कारण व्यक्तियों, विशेष रूप से कमज़ोर आर्थिक पृष्ठभूमि के व्यक्तियों, को ऋण और आर्थिक कठिनाई सहित वित्तीय जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है।
- कौशल-आधारित गेमिंग और गैंबलिंग के बीच अंतर करने में नियामक अस्पष्टता:
- कौशल-आधारित गेमिंग और गैंबलिंग के लिये स्पष्ट परिभाषाओं की कमी नियामक अस्पष्टता को जन्म देती है, जिससे इन गेमिंग गतिविधियों की प्रकृति के बारे में नैतिक बहस और विविध व्याख्याएँ शुरू हो जाती हैं।
- गेमिंग उद्योग में निष्पक्ष और उत्तरदायी विनियमन के लिये इस अस्पष्टता को संबोधित करना महत्त्वपूर्ण है।
- कौशल-आधारित गेमिंग और गैंबलिंग के लिये स्पष्ट परिभाषाओं की कमी नियामक अस्पष्टता को जन्म देती है, जिससे इन गेमिंग गतिविधियों की प्रकृति के बारे में नैतिक बहस और विविध व्याख्याएँ शुरू हो जाती हैं।
- मनी लॉन्ड्रिंग के साधन:
- ऑनलाइन गैंबलिंग का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग के साधन के रूप में किया जा सकता है, जहाँ खिलाड़ी ऑनलाइन खातों में बड़ी मात्रा में नकदी जमा कर सकते हैं और फिर इसे वैध रूप से निकाल सकते हैं।
- साइबर हमलों का खतरा:
- ऑनलाइन गैंबलिंग साइट्स साइबर हमलों के प्रति भेद्य हो सकते हैं, जिससे खिलाड़ियों की संवेदनशील व्यक्तिगत एवं वित्तीय सूचना की चोरी हो सकती है; इस प्रकार डेटा सुरक्षा नियमों का उल्लंघन हो सकता है और उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता भंग हो सकती है।
- सामाजिक अलगाव:
- ऑनलाइन गैंबलिंग सामाजिक अलगाव का कारण बन सकता है, क्योंकि खिलाड़ी घंटों ऑनलाइन गेम खेलने में व्यस्त हो सकते हैं, जिससे परिवार और दोस्तों के साथ सामाजिक मेलजोल में कमी आ सकती है। इससे बच्चों के अपराधी बनने का खतरा भी उत्पन्न होता है।
- साइबर अपराध के उभरते रुझान:
- वित्त पर संसद की स्थायी समिति ने साइबर अपराध के रुझानों की पहचान की, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग के लिये अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन बेटिंग साइटों का उपयोग करना भी शामिल है।
- विनियमन की कमी इन मुद्दों में योगदन करती है, जो एक विशेष नियामक प्राधिकरण की आवश्यकता को उजागर करता है।
डिजिटल बाज़ारों का उभरता परिदृश्य, विशेष रूप से ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में, अपर्याप्त विनियमन के कारण बाज़ार की विफलता के गंभीर मुद्दे को उजागर करता है। ऑनलाइन गेमिंग की तेज़ वृद्धि ने, आर्थिक विकास का वादा करते हुए, लत एवं मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से लेकर वित्तीय धोखाधड़ी एवं राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिमों तक कई चिंताओं को जन्म दिया है।
भारत में एक मज़बूत नियामक ढाँचे की तत्काल आवश्यकता न केवल उपयोगकर्ताओं और राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिये, बल्कि ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र में ज़िम्मेदार विकास को बढ़ावा देने, कर चोरी और शैडो इकॉनमी के प्रसार के मुद्दों को संबोधित करने के लिये भी बेहद प्रकट हो गई है।
- यह भी पढ़े………….
- क्या इजरायल पर ईरान कभी भी हमला कर सकता है?
- दिलसाद का शव मिला खेत मे, क्षेत्र में ख़ौफ़ का माहौल
- बेउर जेल में बंद आईपीएस आदित्य कुमार को नहीं मिली राहत