सीता स्वयंवर और धनुष भंग कथा सुनने उमड़ी भारी भीड़
श्रीनारद मीडिया, बड़हरिया,सीवान,बिहार
सीवान जिला के बड़हरिया प्रखंड के ऐतिहासिक यमुनागढ़ स्थित नवनिर्मित शिवमंदिर में प्राणप्रतिष्ठा के तहत आयोजित श्रीरुद्र महायज्ञ के दौरान चल रही श्रीराम कथा के षष्टम दिवस कथावाचक अनूप जी महाराज ने धनुष भंग,सीता स्वयंवर और परशुराम-लक्ष्मण संवाद का रोचक कथाप्रसंग सुनाया। श्रोता कथा के उतार-चढ़ाव में डूबते उतराते रहे।उन्होंने श्रीराम जी के जनकपुर प्रवेश की कथा का वर्णन किया।
उन्होंने गुरु के चरणों की सेवा का महिमा बताते हुए उन्होंने कहा कि जो गुरु की शरण में रहते हैं, काल भी उनका कुछ बिगाड़ नहीं पता है। भाईयों में स्नेह की चर्चा करते हुए महाराज श्री ने बताया कि भाई-भाई को कभी अलग नहीं होना चाहिए, मां के उदर का ऋण मानकर भाई भाई को एक साथ रहना चाहिए।उन्होंने पुष्प वाटिका में सीता व राम के साक्षात्कार का अद्भुत वर्णन कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
पति पत्नी में स्नेह सहज होना चाहिए। दिखावे के प्रेम का परिणाम संबंध विच्छेद की ओर ले जाता है। सीता जी और प्रभु राम जी दोनो सदा ही सहज भाव में रहते हैं। तभी चाहे राजमहल हो या आगे चलकर वन का साथ दोनो में समान सहजता बनी रहती है। अपने को अपनी क्षमता से अधिक दिखाने का परिणाम वही होता है जो राजसभा में धनुष भंग करने आए राजाओ की हुई थी। वे धनुष उठा भी नहीं पाये थे।
धनुष भंग की कथा के बाद श्री सीताराम विवाह उत्सव पूरे धामधाम से मनाया गया। उन्होंने श्रीराम विवाहोत्सव के अंतर्गत सीता स्वयंकार कथा प्रसंग सुनाया। इस दौरान जब धनुष उठाने में विफल राजाओं ने धनुष के नहीं उठने पर प्रश्न किया तो धनुष ने कहा कि मिथिलावासी होने का दायित्व निभा रहा था कि सुयोग्य वर मिलने से अपने स्थान पर पड़ा रहूं। मैंने तो अपने दायित्व का निर्वहन कर रहा था। वहीं धनुष टूटने पर हर्षित देवताओं ने पुष्प वर्षा कर हर्ष प्रकट किया। उन्होंने परशुराम-लक्षमण संवाद के तहत दोनों के बीच की तीखी बहस को रोचक ढंग से सुनाया।
बीच-बीच में कथा को सामाजिकता से जोड़कर कथा को बोधगम्य बनाने की भरपूर कोशिश की और सफलता भी पायी। आरती में मुखिया राजकली देवी, मुखिया प्रतिनिधि बाल्मीकि कुमार सपत्नीक, भोजपुरी फिल्म अभिनेता मंटू लाल सहित अन्य श्रद्धालु मौजूद थे। मुखिया राजकली देवी और उनके परिजनों ने कथावाचक अनूप जी महाराज और वादकों को अंगवस्त्रों से सम्मानित किया। वहीं रासलीला के दौरान मुख्य यजमान गुरुचरण प्रसाद, मोहन प्रसाद, रामनारायण चौरसिया, संतोष सोनी, सुदामा सोनी,जीतेंद्र प्रसाद, रामनारायण प्रसाद, अजीत कुमार आद उपस्थित थे।
मौके पर डॉ अनिल गिरि, अभिनेता मंटू लाल, मनोज कुशवाहा,डॉ आइडी गिरि,गांधीजी, संतोष मिश्र, बाबूलाल प्रसाद, भगरासन यादव, डॉ सच्चिदानंद गिरि, हरेराम कुमार, मनोज सर,आनंद कुमार, पप्पू यादव,अनिल मिश्र, कल्याण वर्मा, राजकिशोर प्रसाद सहित अन्य गणमान्य श्रोता मौजूद थे।
- यह ही पढ़े………….
- ईरान-इजरायल पर विशेषज्ञों की राय
- 16 अप्रैल 1853: 171 साल पहले रेलवे ने चलाई थी पहली ट्रेन
- महेंद्र शास्त्री जी साहित्यिक आ सामाजिक नायक हई