स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मियों के बदौलत दिघवारा सीएचसी के बढ़ते कदम:
संस्थागत प्रसव कराने में निजी अस्पतालों जैसा व्यवहार और व्यवस्था के कारण ही दिघवारा सीएचसी पहली पसंद: रीता देवी
जिला स्तरीय पदाधिकारियों और संबंधित अस्पताल के एमओआईसी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया प्रयास सराहनीय: सिविल सर्जन
चतुर्थ एएनसी के अनुपात में शत प्रतिशत संस्थागत प्रसव सुनिश्चित करना पहला लक्ष्य: एमओआईसी
सीएचसी दिघवारा में विगत वर्ष 2133 यानी प्रत्येक दिन लगभग 6 महिलाओं का कराया गया संस्थागत प्रसव: बीएचएम
श्रीनारद मीडिया, छपरा, (बिहार):
मातृ मृत्यु व नवजात मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने के लिए सारण जिले के दिघवारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मियों द्वारा हर संभव प्रयास किया जा रहा हैं। क्योंकि प्रथम तिमाही में गर्भवती महिलाओं की पहचान, प्रसव पूर्व चार एएनसी जांच व संस्थागत प्रसव बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार की आवश्यक इंतजाम हैं। जिसको लेकर संस्थागत प्रसव से संबंधित मामलों में अपेक्षित सुधार देखा जा रहा है। स्थानीय प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रौशन कुमार ने कहा कि 10 पंचायत और एक नगर पंचायत वाला दिघवारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में गड़खा और दरियापुर के सीमावर्ती इलाकों से कुछ मरीज़ अपना उचित परामर्श या उपचार कराने के लिए आते हैं। लेकिन गंभीर स्थिति को देखते हुए सदर अस्पताल छपरा या पीएमसीएच पटना रेफर कर दिया जाता है।
संस्थागत प्रसव कराने में निजी अस्पतालों जैसा व्यवहार और व्यवस्था के कारण ही दिघवारा सीएचसी पहली पसंद: रीता देवी
दिघवारा प्रखंड के बसंतपुर बालू घाट निवासी रीता देवी ने अपनी बड़ी पुत्रवधु रूपा रंजन के साथ छोटे पुत्र शैलेश कुमार की पत्नी अनु कुमारी को संस्थागत प्रसव कराने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य आई हुई थी तो बताया गया कि हम लोगों के द्वारा इसके पहले घर के अलावा कई अन्य महिलाओं का प्रसव कराया जा चुका है। जिस कारण हमलोग निजी अस्पतालों में जाने से बेहतर सरकारी अस्पताल का चयन करते हैं। क्योंकि यहां के चिकित्सक और कर्मियों का व्यवहार घर जैसा होने के साथ ही हर तरह की सुख सुविधाएं उपलब्ध कराया जाता है।हालांकि पहले तो इतनी सुविधाएं उपलब्ध नही थी लेकिन इसके बावजूद यहां की व्यवस्था को देखने से ऐसा कभी नहीं लगा की कोई कमी है। लेकिन सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम और प्रशिक्षण के बाद बहुत ज्यादा बदलाव आया है। जिसका नतीज़ा हम सभी के सामने दिख रहा है। दिनों दिन प्रसव की संख्या बढ़ती जा रही है।
जिला स्तरीय पदाधिकारियों और संबंधित अस्पताल के एमओआईसी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया प्रयास सराहनीय: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि जिला सहित अन्य सभी स्वास्थ्य केंद्रों में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए डीपीएम अरविंद कुमार और जिला सलाहकार, गुणवत्ता यकीन पदाधिकारी (डीसीक्यूए) रमेश चंद्र कुमार सहित संबंधित स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा पदाधिकारियों के संयुक्त रूप से बेहतर रणनीति व सामूहिक प्रयास कारगर साबित हो रहा है। क्योंकि दिघवारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दिघवारा को पहली बार कायाकल्प पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। लेकिन अब राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्वास) को लेकर तैयारी शुरू की गई है। ताकि इससे भी बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराया जा सके। हालांकि समुदाय स्तर पर कार्य करने वाली आशा कार्यकर्ताओं से लेकर प्रसव कक्ष में प्रतिनियुक्त कर्मियों के क्षमता संर्वद्धन पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इतना ही नहीं प्रथम तिमाही के दौरान गर्भवती महिलाओं की पहचान को लेकर भी युद्धस्तर पर प्रयास किया जाता हैं।
चतुर्थ एएनसी के अनुपात में शत प्रतिशत संस्थागत प्रसव सुनिश्चित करना पहला लक्ष्य: एमओआईसी
सीएचसी दिघवारा के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रौशन कुमार ने बताया कि संस्थागत प्रसव में एएनसी जांच को प्रमुखता दिया जाता है। जिस कारण काफी बदलाव होने के साथ ही जिला स्तरीय लक्ष्य को प्रखंड व प्रखंड स्तरीय लक्ष्य को वीएचएसएनडी सत्र के मुताबिक बांटा जाता है। हालांकि संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए चतुर्थ एएनसी के अनुपात में संस्थागत प्रसव सुनिश्चित कराने का प्रयास किया जा रहा है। प्रसव संबंधी सुविधाओं को भी पहले की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही विस्तारित किया गया है। पूर्व में जहां प्रत्येक वर्ष दो हजार से कम प्रसव होता था लेकिन अब यह आंकड़ा पार कर गया है। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने में ग्रामीण इलाकों में संचालित हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) की भूमिका महत्वपूर्ण साबित हो रही है। क्योंकि इनके पोषक क्षेत्र की महिलाओं और ग्रामीणों के बीच समय समय पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है।
सीएचसी दिघवारा में विगत वर्ष 2133 यानी प्रत्येक दिन लगभग 6 महिलाओं का कराया गया संस्थागत प्रसव: बीएचएम
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दिघवारा की प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक (बीएचएम) ऋचा कुमारी ने बताया कि स्थानीय अस्पताल में आने वाली गर्भवती महिलाओं सहित अन्य मरीजों को विभागीय स्तर पर मिलने वाली सुख सुविधाओं का हर संभव ख्याल रखा जाता है। ताकि किसी भी व्यक्ति को किसी प्रकार की परेशानियों का सामना नही करना पड़े। विगत 2021- 22 के (01 अप्रैल से 31 मार्च) तक 1852 गर्भवती महिलाओं का संस्थागत प्रसव कार्य8गया है। जबकि 2022- 23 में 1958 तो वही 2023 से 24 तक 2133 प्रसव जिसमें अप्रैल 2023 में 127, मई में 159, जून में 150, जुलाई में 186, अगस्त में 210, सितंबर में 191, अक्टूबर में 197, नवंबर में 195, दिसंबर में 166, जनवरी 2024 में 162, फ़रवरी में 209 जबकि मार्च में 181 प्रसव कक्ष की प्रभारी स्टाफ नर्स शोभा कुमारी और इनके टीम में शामिल अन्य जीएनएम और एएनएम द्वारा सहज तरीके से संस्थागत प्रसव कराया गया है।
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