इजरायल के लिए अब साथ में लड़ेंगे हमास और फतह?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
फिलिस्तीन में लंबे समय से जारी इजरायली ऑपरेशन के बीच दो कट्टर प्रतिद्वंद्वी गुटों ने डील कर ली है। यहां रोचक बात ये है कि फिलिस्तीन के इन दोनों गुटों की आपस में नहीं बनती है लेकिन इजरायल के खिलाफ उन्होंने एकजुट रहने की फैसला किया है। हम बात कर रहे हैं प्रतिद्वंद्वी फिलिस्तीनी समूह फतह और हमास की है। दोनों गुटों ने संभावित सुलह पर बातचीत के लिए चीन में मुलाकात की है।
चीन ने कराई डील
अल-जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी विदेश मंत्रालय ने सोमवार को पुष्टि करते हुए कहा कि समूहों के प्रतिनिधियों ने हाल ही में मुलाकात की थी। ये दोनों समूह सालों से एक दूसरे खिलाफ रहे हैं, लेकिन गाजा पट्टी पर इजरायली युद्ध ने उन्होंने सुलह के लिए बातचीत करने को प्रेरित किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि दोनों समूहों ने (सुलह की) संभावनाओं पर गहन और स्पष्ट बातचीत में भाग लेने के लिए चीन का दौरा किया। उन्होंने यह नहीं बताया कि बैठक कब हुई।
उन्होंने कहा, “दोनों पक्षों ने बातचीत और परामर्श के माध्यम से सुलह हासिल करने के लिए पूरी तरह से अपनी राजनीतिक इच्छा व्यक्त की। इस दौरान कई विशिष्ट मुद्दों पर चर्चा की और सकारात्मक प्रगति हुई है।” प्रवक्ता ने कहा, “चीन और फिलिस्तीन के बीच पारंपरिक मित्रता है। हम बातचीत और परामर्श के माध्यम से सुलह हासिल करने और एकजुटता बढ़ाने में फिलिस्तीनी गुटों का समर्थन करते हैं। हम उस दिशा में सक्रिय रूप से काम करना जारी रखेंगे।” संयुक्त फिलिस्तीनी सरकार के संभावित गठन पर चर्चा करने के लिए दोनों समूहों के साथ-साथ अन्य राजनीतिक गुटों के प्रतिनिधियों ने इस साल की शुरुआत में रूस (मास्को) में भी मुलाकात की थी।
2007 में हमास ने फतह को हराया था
2007 में फतह को हराने के बाद से पूरी गाजा पट्टी पर हमास का नियंत्रण है। 2007 में हमास ने संसदीय चुनावों में राष्ट्रपति महमूद अब्बास की लंबे समय से प्रभुत्व वाली पार्टी को हराया था। हालांकि धांधली का आरोप लगाते हुए फतह ने चुनाव के नतीजों को मानने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उसे गाजा छोड़ना पड़ा। अब फतह के नेतृत्व वाले फिलिस्तीनी प्राधिकरण का वेस्ट बैंक पर नियंत्रण है और इसकी लीडरशिप यहीं रहती है।
चीन ऐतिहासिक रूप से फिलिस्तीनी मुद्दे के प्रति सहानुभूति रखता है और इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के लिए दो-राज्य समाधान का समर्थक रहा है। अक्टूबर में इजराइल-गाजा युद्ध की शुरुआत के बाद से बीजिंग तत्काल युद्धविराम का आह्वान कर रहा है। लेकिन अब चीन ने दो दुश्मनों को इजरायल के खिलाफ एकजुट करने का काम किया है।
बेहद पुराना है फतह का इतिहास
फतह का मतलब “फिलिस्तीन की मुक्ति के लिए आंदोलन” से है। यह एक फिलिस्तीनी राष्ट्रवादी राजनीतिक दल और फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (पीएलओ) का सबसे बड़ा गुट है। इसका गठन 1959 में एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के उद्देश्य से यासर अराफात द्वारा किया गया था। फतह ने फिलिस्तीनी राष्ट्रीय आंदोलन में, विशेषकर 20वीं सदी के अंत में, महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह 1960 और 1970 के दशक में इजरायल के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में सबसे आगे था, जिसमें 1972 म्यूनिख ओलंपिक नरसंहार जैसे हाई-प्रोफाइल हमले भी शामिल थे। हालांकि, फतह ने बाद में अधिक कूटनीतिक दृष्टिकोण अपनाया और इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए इजरायल के साथ बातचीत में शामिल हो गया।
तेज आर्थिक विकास के दम पर चीन दुनिया की बड़ी ताकतों में शुमार हो गया है और अब उसकी महत्वकांक्षा अमेरिका को पछाड़कर खुद को सबसे शक्तिशाली देश बनाने की है, लेकिन इस्राइल-हमास के बीच छिड़ी लड़ाई में चीन फंस गया है और उसकी महाशक्तिशाली देश की छवि भी दांव पर लग गई है। बता दें कि इस साल चीन ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच मधयस्थता करने की कोशिश की। साथ ही चीन ने दो दुश्मन देशों सऊदी अरब और ईरान के बीच मध्यस्थता कराकर अपनी ताकत का लोहा मनवाया था।
हालांकि इस्राइल हमास के संघर्ष ने चीन की मध्यस्थता कराने की क्षमता की कमियों को उजागर कर दिया है। दरअसल चीन ने इस विवाद पर जो बयान जारी किया है, उसमें चीन ने हमास का नाम ही नहीं लिया और सिर्फ सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील कर खानापूर्ति वाला बयान जारी किया है। जिसे लेकर इस्राइल ने निराशा जताई है।
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