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क्या भारत विदेशों में खुफिया ऑपरेशन चला रहा है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

विदेशी मीडिया भारत को बदनाम करने के लिए हर स्तर की कोशिश कर रहे हैं। भारत पर जासूसी का आरोप लगाकर मीडिया अपने स्तर पर तरह तरह की कहानियां गढ़ रही है। विदेशी मीडिया न जाने क्या क्या छाप रही है। अमेरिका, कनाडा, पाकिस्तान के बाद एक और देश में भारत पर खुफिया ऑपरेशन चलाने का आरोप लगा है। ये देश भारत का सबसे अच्छा मित्र माना जाता है।

ये देश क्वाड का सदस्य भी है और इस देश के पीएम भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बॉस कहकर संबोधित कर चुके हैं। 30 अप्रैल को ऑस्ट्रेलियाई मीडिया संस्थान ने सनसनीखेज रिपोर्ट पब्लिश की और दावा किया कि 2020 में कुछ भारतीय एजेंट्स को ऑस्ट्रेलिया से निकाला गया था। ये लोग डिफेंस और ऑस्ट्रेलिया के व्यापारिक रिश्तों से जुड़ी गोपनीय जानकारियां चुराने की कोशिश कर रहे थे।

30 अप्रैल को एबीसी न्यूज ने एक डिटेल रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें कहा गया कि भारतीय एजेंट्स को डिफेंस प्रोजेक्ट, एयरपोर्ट सिक्योरिटी और ऑस्ट्रेलिया के व्यापारिक रिश्तों से जुड़ी गोपनीय जानकारी चुराने की कोशिश करते हुए पकड़ा गया। पकड़े जाने के बाद उन्हें ऑस्ट्रेलिया से बाहर कर दिया गया। ऑस्ट्रेलिया की खुफिया एजेंसी ऑस्ट्रेलियन सिक्योरिटी ऑर्गनाइजेशन ने 2020 में विदेशी जासूसों के समूह का खुलासा किया।

वे लोग विदेशों में रह रहे भारतीयों की निगरानी कर रहे थे। उन्होंने कई स्थानीय नेताओं से घनिष्ठ संबंध बना लिए थे। खुलासे के बाद ऑस्ट्रेलिया सरकार ने कई भारतीय एजेंट्स को बाहर निकलने के लिए कहा था। मीडिया रिपोर्ट में रॉ के दो अफसरों को निकाले जाने की बात लिखी गई है। 2020 में ‘रहस्य चुराने’ की कोशिश के लिए ऑस्ट्रेलिया से निष्कासित दो भारतीय जासूसों के बारे में ऑस्ट्रेलियाई मीडिया रिपोर्टों के बारे में एएनआई के सवाल पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि हमारे पास वास्तव में उन रिपोर्टों पर कोई टिप्पणी नहीं है। हम उन्हें अटकलबाजी रिपोर्ट के रूप में देखते हैं और हम उन पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं।

दुनिया के पांच ताकतवर देशों का गठबंधन जिसे फाइव आईज के नाम से जाना जाता है। इसके सदस्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड हैं। ये साझेदार देश एकीकृत बहुपक्षीय व्यवस्था में एक दूसरे के साथ व्यापक स्तर की खुफिया जानकारी साझा करते हैं। फाइव आईज संगठन पिछले 80 सालों से काम कर रहा है। तीन अलग-अलग महाद्वीपों के सभी चार देश, जहां आरोप लगाए गए हैं, न्यूजीलैंड के साथ-साथ फाइव आईज खुफिया-साझाकरण नेटवर्क का हिस्सा हैं। भारत के क्वाड समूह में जापान सहित उसके साझेदारों अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ गहरे रणनीतिक संबंध हैं।

भारत ने अमेरिका के साथ संबंधों में भारी निवेश किया है। रिश्ते में कभी-कभार आने वाली परेशानियों के बावजूद, अमेरिका ने उत्साहपूर्वक प्रतिक्रिया व्यक्त की है। लेकिन पन्नुन की हत्या की साजिश के साथ, ऐसा प्रतीत होता है कि अमेरिकियों ने एक लाइन ड्रा करने की कोशिश की है। भारत को बता दिया है कि उन्हें हल्के में न लिया जाए। दरअसल, नई दिल्ली में रणनीतिक हलकों को विदेशों में भारतीय गुप्त अभियानों को उजागर करने के लिए समन्वित कदमों से आश्चर्यचकित कर दिया गया है, जो कि फाइव आईज़ भागीदारों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

रणनीतिक साझेदारी का मतलब अमेरिका फर्स्ट

कूटनीतिक और रणनीतिक हलकों में यह बात सर्वविदित है कि लगभग हर देश दूसरे देशों की जासूसी करते है और विदेशों में दूतावासों में खुफिया अधिकारियों को तैनात करते है। विदेशी देशों में मीडिया द्वारा भारतीय ऑपरेटिव को बाहर करने के वर्तमान संदर्भ में एक पूर्व भारतीय अधिकारी का कहना है कि सभी देश जासूसी करते हैं, लेकिन सभी देशों से यह भी उम्मीद की जाती है कि वे जासूसी करने पर नाराज़गी दिखाएँ।

ऐसा प्रतीत होता है कि फ़ाइव आइज़ देशों ने भारत के साथ ख़ुफ़िया जानकारी साझा करने और रक्षा सहित रणनीतिक संबंध विकसित करने और भारत को चीन के लिए एक रणनीतिक प्रतिकार के रूप में देखने के बावजूद, नई दिल्ली द्वारा उनके देशों में गुप्त अभियान चलाने की कोशिश की सराहना नहीं की है।

भारत के पूर्व शीर्ष जासूस विक्रम सूद का कहना है कि अमेरिकी शब्दावली में रणनीतिक साझेदारी और गठबंधन का मतलब पहले अमेरिकी हितों को सुरक्षित करना है और हितों के अभिसरण का आमतौर पर मतलब है कि दूसरे साझेदार को अमेरिकी हितों को स्वीकार करना होगा।

भारत-अमेरिका संबंध दशकों में सबसे अच्छे हो सकते हैं लेकिन अमेरिका अपने स्वार्थ को बहुत अधिक दृढ़ता से परिभाषित करता है। जब हम मुसीबत में होंगे तो यह अपना एजेंडा आगे बढ़ाएगा और दूसरी तरफ देखेगा। किसी भारतीय मुद्दे का समर्थन करना अमेरिकी हित में नहीं है।

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