भारत में कैसे बढ़ गई 43 फीसदी मुसलमानों की आबादी?

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कांग्रेस ने देश को धर्मशाला बना दिया-भाजपा

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

लोकसभा चुनाव के बीच प्रधानमंत्री को सलाह देने वाली आर्थिक सलाह परिषद की एक नई रिपोर्ट आई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 1950 के बाद से हिंदुओं की आबादी में करीब 8 फीसदी कमी आई है. दूसरी तरफ मुसलमानों की आबादी का ग्राफ 43 फीसदी की तेजी से बढ़ा है. इस रिपोर्ट के आते ही राजनीति की नई सीरीज शुरू हो चुकी है. भारत में 1950 से 2015 के बीच हिंदुओं की आबादी 7.82 फीसद घट गई। वहीं इसी बीच मुसलमानों की आबादी में 43.15 फीसद बढ़ोतरी दर्ज की गई। कांग्रेस का कहना है कि बेरोजगारी, किसान, महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर बात होनी चाहिए.रिपोर्ट में 167 देशों में 1950 से 2015 के बीच आए डेमोग्राफिक बदलावों का विश्लेषण किया गया है।

पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में वहां की बहुसंख्यक आबादी मुसलमानों की संख्या बढ़ गई और अल्पसंख्यकों की संख्या सिमट गई।

दरअसल, पीएम की इकोनॉमिक काउंसिल की एक स्टडी में 1950 से 2015 के बीच आबादी की स्टडी की गई है. स्टडी के मुताबिक, देश में हिंदुओं की आबादी में करीब 8 फीसदी गिरावट हुई है. जबकि 1950 में अल्पसंख्यकों की आबादी में तुलना में 2015 तक 43.15 फीसदी का इजाफा हुआ है. 1950 में मुस्लिमों की आबादी 9.84 फीसदी थी. 2015 में मुस्लिमों की आबादी बढ़कर 14.09 फीसदी हो गई है.

1947 में हिंदू की आबादी लगभग 90 प्रतिशत थी और आज हम 70 प्रतिशत पर आ गए. आज मुसलमान 20 प्रतिशत हो गया है, जो पहले 8 पर थे. कांग्रेसियों ने देश को धर्मशाला बना दिया है. देश में बांग्लादेशी घुसपैठिए आए. देश में रोहिंग्या को वोटबैंक के लिए ले आए. मुसलमानों को आरक्षण देना चाहते हैं. ये लोग देश को इस्लामिक स्टेट बनाना चाहते हैं.
पाकिस्तान में विभाजन के समय 23 प्रतिशत हिंदू था तो घट गया? मार दिया गया. निकाल दिया गया. धर्मांतरण हो गया. सुप्रीम कोर्ट ने भी चिंता व्यक्त की है. इस देश में तत्काल प्रभाव से जनसंख्या नियंत्रण कानून बनना चाहिए. ये अपरिहार्य है. जब-जब हिंदू घटा तो देश बंटा… उन्होंने आगे कहा, पहले भी मैंने कहा था 4 बीबी, 40 बच्चे इस देश नहीं चलेंगे. अगर मैं 4 बच्चों की अपील करने लगा तो? मेरे खिलाफ केस दर्ज हो गया. मैं ना हिंदू की बात करता हूं, ना मुसलमान की बात करता हूं, मैं देश की बात करता हूं. मोदी जी देश के प्रति समर्पित हैं. राष्ट्र के हित में जो होगा, वो किया जाएगा. जनसंख्या नियंत्रण कानून बनना चाहिए.
ईएसी-पीएम यानी प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट की मानें तो भारत की जनसंख्या में हिंदुओं की हिस्सेदारी 1950 में 84% से घटकर 2015 में 78% हो गई, जबकि इसी अवधि (65 वर्ष) में मुसलमानों की हिस्सेदारी 9.84% से बढ़कर 14.09% हो गई है. भारत में बहुसंख्यक यानी हिंदुओं की आबादी 7.8 फीसदी घटी है. भारत की तरह ही पड़ोसी देश म्यांमार में भी बहुसंख्यकों की आबादी में 10% की गिरावट दर्ज की गई है. नेपाल का भी हाल कुछ ऐसा ही है, जहां उसकी बहुसंख्यक (हिंदू) आबादी में 3.6 फीसदी की गिरावट हुई है.

बौद्ध आबादी में भी आई गिरावट

दक्षिण एशियाई देशों में 65 साल में आए जनसांख्यिकी परिवर्तन की तस्वीर पेश करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि म्यांमार में बहुसंख्यक बौद्ध आबादी 78.53 फीसद से घटकर 70.80 फीसद रह गई है। जबकि श्रीलंका में बहुसंख्यक बौद्धों की आबादी में 64.28 से बढ़कर 67.65 फीसद हो गई है। श्रीलंका की तरह ही भूटान में भी बौद्धों की आबादी में जबरदस्त इजाफा हुआ है और यह 71.44 फीसद से बढ़कर 84.07 फीसद पहुंच गई।

जबकि भारत में हिंदू आबादी में कमी का सिलसिला नेपाल में भी देखा गया और वहां हिंदुओं की संख्या 84.30 फीसद से घटकर 81.26 फीसद तक पहुंच गई। भारत में मुसलमानों के साथ ही ईसाई और सिख अल्पसंख्यक की आबादी में क्रमश: 5.38 फीसद और 6.58 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।

पारसी और जैन अल्पसंख्यक आबादी में भी आई गिरावट

वहीं पारसी और जैन अल्पसंख्यक आबादी में कमी दर्ज की गई। पड़ोसी पाकिस्तान में 1950 में 77.45 फीसद मुस्लिम आबादी थी, जो 2015 में बढ़कर 80.36 फीसद पहुंच गई। मुस्लिम आबादी में सबसे तेज बढ़ोतरी बांग्लादेश में देखने को मिली, दो 65 सालों में 74.24 से बढ़कर 88.02 फीसद तक पहुंच गई।

अफगानिस्तान में भी मुस्लिम आबादी 88.75 फीसद से बढ़कर 89.01 फीसद पहुंच गई। दक्षिण एशिया में अकेले मालदीव में मुस्लिम आबादी में मामूली गिरावट दर्ज की गई है, जो 99.83 फीसद से घटकर 98.36 फीसद पर आ गई है।

EAC-PM रिपोर्ट में क्या है? 
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की हालिया रिपोर्ट में 1950 से 2015 के बीच जनसांख्यिकी में आए बदलाव का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 1950 से 2015 के बीच हिंदुओं की आबादी में 7.82 प्रतिशत की कमी आई है जबकि मुसलमानों की आबादी में 43.15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जिससे पता चलता है कि देश में विविधता को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल माहौल है।

‘धार्मिक अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी: एक राष्ट्रव्यापी विश्लेषण (1950-2015)’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की आबादी में जैन समुदाय के लोगों की हिस्सेदारी 1950 में 0.45 प्रतिशत थी जो 2015 में घटकर 0.36 प्रतिशत रह गई।

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