प्रत्येक भारतवासी को सीएए कानून पता होनी चाहिए, क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 यानी सीएए के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। इसके साथ ही सीएए कानून देशभर में लागू हो गया है। CAA को नागरिकता संशोधन कानून कहा जाता है। इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया है।
Indian citizenship certificates Of CAA (सीएए भारतीय नागरिकता प्रमाण पत्र)
केंद्र सरकार ने 15 मई 2024 बुधवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत नागरिकता प्रमाणपत्रों का पहला सेट जारी कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 14 लोगों को भारतीय नागरिकता प्रमाणपत्र दिया गया। सीएए प्रमाणपत्र जारी होने के बाद पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय राष्ट्रीयता देने की प्रक्रिया शुरू हो गई।
केंद्र सरकार के एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने एक निर्दिष्ट पोर्टल के माध्यम से उनके आवेदन ऑनलाइन संसाधित होने के बाद 14 लोगों को प्रमाण पत्र सौंपे गए हैं।
1. सीएए का फुल फॉर्म नागरिकता (संशोधन) अधिनियम है। नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 एक ऐसा कानून है, जिसके तहत दिसंबर 2014 से पहले तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में आने वाले छह धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को नागरिकता दी जाएगी।
2. केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा लोकसभा चुनाव से पहले 11 मार्च 2024 को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 की अधिसूचना जारी कर दी है। सीएए नियमों का उद्देश्य गैर-मुस्लिम प्रवासियों जिनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है।
3. भारतीय नागरिकता केवल उन्हें मिलेगी जो बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में शरण लिए हुए थे।इन तीन देशों के लोग ही नागरिकता के लिए आवेदन करने के योग्य होंगे।
4. नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019, दिसंबर 2019 में संसद में पारित किया गया। इसके बाद राष्ट्रपति से सीएए कानून को मंजूरी मिल गई थी। हालांकि राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद देश के विभिन्न राज्यों में सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शन भी किया गया।
5. सीएए के नियम पहले से ही तैयार कर लिए गए थे और इसके लिए आवेदन की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन रखी गई है। आवेदन के लिए आवेदक को किसी अतिरिक्त दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होगी। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन रहेगी। आवेदकों को बताना होगा कि वे भारत कब आए।
6. पिछले दो वर्षों के दौरान नौ राज्यों के 30 से अधिक जिला मजिस्ट्रेटों और गृह सचिवों को नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने की क्षमता प्रदान की गई।
7. गृह मंत्रालय की 2021 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 के बीच पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों के 1414 व्यक्तियों को नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत पंजीकरण या प्राकृतिककरण के माध्यम से भारतीय नागरिकता प्रदान की गई।
8. नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 से भारतीय नागरिकों का कोई सरोकार नहीं है। संविधान के तहत भारतीयों को नागरिकता का अधिकार है। सीएए कानून भारतीय नागरिकता को नहीं छीन सकता।
9. गृह मंत्री अमित शाह ने 9 दिसंबर को इसे लोकसभा में पेश किया था। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 (सीएए) संसद में 11 दिसंबर 2019 को पारित किया गया था। सीएए के पक्ष में 125 वोट पड़े थे और 105 वोट इसके खिलाफ गए थे। 12 दिसंबर 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी।
10. वर्ष 2016 में नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 (सीएए) पेश किया गया था। इसमें 1955 के कानून में बदलाव किया जाना था। जिसमें भारत के तीन पड़ोसी देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देना था। अगस्त 2016 में इसे संयुक्त संसदीय कमेटी को भेजा गया और कमेटी ने 7 जनवरी 2019 को इसकी रिपोर्ट सौंपी थी।
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत नागरिकता प्रमाणपत्रों का पहला सेट बुधवार को जारी किया गया। केंद्र सरकार द्वारा 14 लोगों को नागरिकता प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं। सीएए प्रमाणपत्र जारी होने के बाद पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय राष्ट्रीयता देने की प्रक्रिया शुरू हो गई।
केंद्र सरकार के एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने एक निर्दिष्ट पोर्टल के माध्यम से उनके आवेदन ऑनलाइन संसाधित होने के बाद 14 लोगों को प्रमाण पत्र सौंपे गए हैं।
सीएए को बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से सताए गए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करने के लिए दिसंबर 2019 में अधिनियमित किया गया था, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए थे। इनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शामिल हैं।
कानून बनने के बाद सीएए को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी, लेकिन जिन नियमों के तहत भारतीय नागरिकता दी गई थी, उन्हें चार साल से अधिक की देरी के बाद इस साल 11 मार्च को जारी किया गया था।
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