सत्रह विदेशियों को उसके देश वापस भेजिए -सुप्रीम कोर्ट

सत्रह विदेशियों को उसके देश वापस भेजिए -सुप्रीम कोर्ट

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

 सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भारत सरकार को असम हिरासत केंद्र में बंद 17 विदेशियों को निर्वासित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ कोई अपराध दर्ज नहीं है।

निर्वासित करने के लिए तत्काल कदम उठाए भारत सरकारः कोर्ट

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट पर गौर किया, जिसमें कहा गया था कि असम में हिरासत केंद्र में 17 विदेशी हिरासत में हैं। पीठ ने कहा कि हमारा विचार है कि भारत सरकार को इन 17 विदेशियों को निर्वासित करने के लिए तत्काल कदम उठाना चाहिए।

इस मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने दिया आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल में असम के राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण से दो साल से अधिक समय से हिरासत में लिए गए विदेशियों के बारे में उसे अवगत कराने के लिए कहा था। कोर्ट ने कानूनी सेवा प्राधिकरण को विदेशियों को उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं का पता लगाने के लिए हिरासत केंद्रों का दौरा करने के लिए एक टीम गठित करने का भी निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट राज्य के हिरासत केंद्रों में दो साल से अधिक समय बिता चुके लोगों की रिहाई की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

सुप्रीम कोर्ट में राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण ने इस मामले में एक रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट में कहा गया है कि असम में 17 विदेशी नागरिकों को हिरासत में रखा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत को जल्द से जल्द 17 विदेशी नागरिकों को रिहा करने के लिए कदम उठाने चाहिए क्योंकि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई विदेशी नागरिक वर्षों से हिरासत केंद्रों में बंद हैं और उनकी हालत खराब हो रही है. अदालत ने अप्रैल में राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण से दो वर्ष से हिरासत में लिए गए विदेशियों के बारे में जानकारी देने को कहा था. उस दौरान कोर्ट ने प्राधिकरण को हिरासत केंद्रों में जाने और विदेशी नागरिकों को दी जाने वाले सुविधाओं की जानकारी लेने के लिए एक टीम का गठन करने का निर्देश दिया था. याचिका में उन विदेशी नागरिकों को रिहा करने की मांग की गई थी जो दो वर्षों से अधिक समय से असम के हिरासत केंद्रों में बंद हैं.

जस्टिस एएस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ असम में हिरासत केंद्रों की स्थिति से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी. जहां संदिग्ध नागरिकता वाले और विदेशी समझे जाने वाले व्यक्तियों को हिरासत में रखा गया था. कोर्ट ने 17 ऐसे घोषित विदेशी लोगों को तत्काल निर्वासित करने का आदेश दिया जिनके खिलाफ कोई आपराधिक आरोप नहीं लगाया गया था. ऐसे 4 विदेशियों को 2 वर्ष की अवधि से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया.

जस्टिस ओका ने कहा कि ऐसे विदेशियों को हिरासत में लिया गया है जबकि उनके खिलाफ कोई लंबित मामला दर्ज नहीं है. भारत सरकार को उनको वापस भेजने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए. पीठ ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि ऐसे घोषित विदेशियों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए इस्तेमाल किए गए बजट का उपयोग भारतीय नागरिकों के लिए अन्य कल्याणकारी गतिविधियों के लिए किया जा सकता था.

आदेश में निम्नलिखित निर्देश पारित किया गया:

14 मई 2024 की रिपोर्ट से पता चलता है कि असम में एक हिरासत केंद्र है जिसे ट्रांजिट कैंप के नाम से भी जाना जाता है। ट्रांजिट कैंप के हिरासत केंद्र में 17 घोषित विदेशियों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें से 4 ने 2 साल से अधिक समय बिताया है। उनका विचार है कि भारत संघ को इन 17 घोषित विदेशियों को निर्वासित करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए क्योंकि ऐसा नहीं है कि उनके खिलाफ अपराध दर्ज किए गए हैं,

उन 4 व्यक्तियों को निर्वासित करने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए जिन्होंने हिरासत केंद्र में 2 साल से अधिक समय बिताया है । भारत संघ इन विदेशियों को निर्वासित करने के लिए तत्काल कदम उठाने के लिए इस आदेश की एक प्रति भारत संघ के सभी संबंधित अधिकारियों को भेजेगा।”

Leave a Reply

error: Content is protected !!