क्या सीवान लोकसभा से जेडीयू प्रत्याशी कठिनाई में है ?

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सीवान लोकसभा सीट के लिए पल पल बिछ रही शतरंजी बिसात

प्रत्याशी हर संभव रणनीति को आजमा रहे

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार में सीवान लोकसभा का चुनाव छठे चरण में 25 मई को होना निश्चित है। प्रशासन स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए पूरी तैयारी कर रही है।
चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी भी अपने स्तर से पूरी तरह प्रचार में लगे हुए हैं। सीवान लोकसभा के लिए तेरह प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह आवंटित हो गए है। सभी अपने प्रचार में लगे हुए हैं लेकिन मुकाबला मुख्य रूप से तीन प्रत्याशियों के बीच में है।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की विजयलक्ष्मी कुशवाहा, ईडी महागठबंधन के प्रत्याशी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व सीवान सदर विधायक अवध बिहारी चौधरी और निर्दलीय प्रत्याशी हेना शाहब के बीच लड़ाई है।

रोचक तथ्य यह है कि क्या सीवान चुनाव में मोदी-नीतीश का प्रभाव कम होता दिख रहा है? क्या जे डी यू प्रत्याशी कठिनाई में आती दिख रहीं है? क्योंकि तर्क यह दिया जा रहा है कि 1984 के चुनाव में कांग्रेस के जबरदस्त लहर के बावजूद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में गोपालगंज से काली पाण्डेय विजयी हो गए थे।
1977 में महाराजगंज क्षेत्र से रामबहादुर राय भी दिलचस्प मुकाबले में विजयी हुए। कई बार ऐसे समीकरण बनते हैं जब पूरे लहर को दरकिनार करते हुए जनता एक खास प्रत्याशी को चुन लेती है।

ऐसा ही कुछ सीवान लोकसभा क्षेत्र में होता दिख रहा है, जहां निर्दलीय प्रत्याशी हेना शहाब चुनाव चिन्ह (टेंपो-ऑटो) के जीत की कामना करते हुए दिन-रात उनके प्रचार में लगे हुए हैं। यू ट्यूब के प्रसारण को देखते हुए लगता है कि लोग हेना शहाब को समर्थन दे रहे हैं:

सूत्रों की माने तो जन सुराज के प्रमुख व चुनाव विश्लेषक प्रशांत किशोर की एजेंसी ‘आई पैक’ की सेवा निर्दलीय प्रत्याशी को मिल रही है। जो एक खास रणनीति से चुनाव में कार्य कर रहा है। मोदी के कोर वोटर अगड़े एवं बनिया वर्ग को तोड़कर राजग को कमजोर किया जा रहा है।

एनडीए के प्रत्याशी के पुराने इतिहास को भय, डरावना, खौंफ से भरा बता कर अगड़ी जाति के मतों को गोलबंद किया जा रहा है। वही मुसलमान वोटरों से मुखर होकर बोलने पर मनाही है उन्हें अक्रामक ढंग से प्रचार करने पर भी पाबंदी है क्योंकि इससे हिंदू-मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण हो जाएगा। निर्दलीय प्रत्याशी व उनके समर्थकों के द्वारा जनता के बीच प्रमुख मुद्दों को रखा जा रहा है-

– 2009 से 2024 तक सीवान का विकास रुक गया है। इस अवधि में कोई कार्य नहीं हुआ है।
– मोहम्मद शहाबुद्दीन सीवान के विकास पुरुष थे। उन्होंने सीवान में इंजीनियरिंग कॉलेज, राजेंद्र स्टेडियम, विद्या भवन महाविद्यालय, डीएवी महाविद्यालय के परिसर में कई भवनों का निर्माण करायें, युनानी कॉलेज, आयुर्वेदिक महाविद्यालय, एकता इंडोर स्टेडियम एवं रेड क्रॉस भवन का निर्माण कराया। डॉक्टरों की फीस ₹30 से ₹50 करवाई। साथ ही गांव-गांव में कई सड़कों का निर्माण करवाया।
-मीडिया को जारी सूची के अनुसार एनडीए प्रत्याशी के पति एवं पूर्व विधायक रमेश सिंह कुशवाहा ने 1990 के दशक में अगड़े जाति के 46 लोगों को मौत के घाट उतारा, जिसे स्वर्ण समाज कभी माफ नहीं करेगा।
वहीं जारी आंकडे के मुताबिक 1996 से लेकर 2004 तक 63 लोगों की हत्याओं में पूर्व सांसद पर आरोप लगते रहे है।
-निर्दलीय प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार करने वाले भगवाधारी बन गए है। क्योंकि यह रणनीति 2015 के चुनाव में प्रशांत किशोर ने बिहार में आजमाया था, जब वह लाल, भगवा कपड़ों का प्रयोग जदयू और राजद के कार्यकर्ताओं के लिए किया था।
-नारा दिया जा रहा है 399 प्लस वन यानी एक सीट से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, हिना मैडम तो जीत कर एनडीए में ही जा रही है।
-यह रणनीति है कि निर्दलीय प्रत्याशी मुखर होकर एनडीए के प्रत्याशी एवं उनके पति के बारे में कुछ नहीं बोल रही हैं जबकि राजद पर हमले कर रही हैं क्योंकि एनडीए के वोट को अपने खेमे में स्थानांतरित करवाना है।
-पूरे जोर देकर कहा जा सकता है कि सोशल मीडिया ने प्रचार का कमान संभाल लिया है जो निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन दे रहे हैं लेकिन कुछ यु-टयुबर्स संतुलन बनाने की भी कोशिश कर रहे है।
-निर्दलीय प्रत्याशी के चुनाव कार्यालय पर दो दिनों तक प्रत्याशी के बेटे ओसामा का पोस्टर लगा रहा लेकिन चुनावी रणनीति के तहत इस पोस्ट को हटा लिया गया।
-जन सुराज के सभी कार्यकर्ता को निर्दलीय प्रत्याशी की मदद करने की सलाह दी गई है लेकिन राजीव रंजन पाण्डेय एवं इंतखाब अहमद को चुप रहने की सलाह दी गई है।
-बिहार में भारतीय जनता पार्टी, लोजपा के सीटों पर लड़ाई सीधे है लेकिन जदयू की सीटों पर लड़ाई को दिलचस्प बनाया गया है।

आखिर वह कौन सी ताकत है जो जदयू को कठिनाई में डाल रही है?

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